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Astrology

जानिए लोकसभा चुनाव में मोदी को सफलता तो मिलेगी,या नहीं

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Mar 13 2019 2:27AM | Updated Date: Mar 13 2019 2:27AM
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हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आने वाला समय उनके लिए कितना अनुकूल है और कितना प्रतिकूल? क्या 2019 में वे फिर से प्रधानमंत्री बन पाएंगे? इन्हीं कुछ चंद सवालों को लेकर आज हम करने जा रहे हैं उनकी जन्म कुंडली का विश्लेषण...
 
उनकी वृश्चिक लग्न की कुंडली है और लग्नेश हैं मंगल, जो कि लग्न में ही स्थित है। लग्नेश का लग्न में ही स्थित होना एक बहुत बड़ा प्लस प्वॉइंट है लेकिन साथ ही अपनी नीच राशि में स्थित चंद्र नीच भंग राजयोग बना रहे हैं। और पंच महापुरुष योग की बात करें तो मंगल स्वराशि स्थित होकर रूचक नामक योग बना रहे हैं जिसका विश्लेषण करने की शायद मुझे आवश्यकता नहीं होगी।
 
आइए बात करते हैं इनकी जन्म कुंडली में स्थित अन्य योगों की। एकादश भाव में जहां पर 6 नंबर हैं, वहां सूर्य-बुध का बुधादित्य योग लग्न में ही है, चंद्र मंगल का महालक्ष्मी योग और चंद्र गुरु का गजकेसरी योग साथ ही गुरु शुक्र का दृष्टि संबंध से बना शंख योग है, तो हमने देखा कि इनकी जन्म कुंडली अनेक विशिष्ट योग से अलंकृत है।
 
आइए अब बात करते हैं इनकी जन्म कुंडली में स्थित अरिष्ट योग की, एकादश भाव में स्थित सूर्य और पंचम भाव में स्थित राहु से बना ग्रहण दोष साथ ही बुध केतु का जड़त्व दोष और बुध की अस्त और वक्री स्थिति वहीं चतुर्थ भाव में वक्री गुरु दशम भाव में अस्तगत शनि इन्हीं अशुभ योगों के कारण आने वाला समय मोदी के लिए कष्टप्रद रह सकता है।
 
विंशोत्तरी दशा की बात करें तो अभी चंद्र की महादशा 28/11/2011 से 20/11/2021 तक में बुध का अंतर 29/09/2017 से 28/02/2019 तक श्रेष्ठ नहीं कहा गया है, क्योंकि चंद्र मन का कारक है और साथ ही चंचलता का कारक है और बुध बुद्धि का कारक है तो स्पष्ट है बुद्धि में चंचलता श्रेष्ठ नहीं होती जिसका स्पष्टीकरण करें तो अभी कुछ निर्णय मोदी ने बुद्धि की चंचलता के फलस्वरूप लिए हैं, क्योंकि बुध की स्थिति श्रेष्ठ नहीं है, जैसा कि पहले ही बताया।
 
इनकी कुंडली में बुध अस्त वक्री और राहु की पूर्ण दृष्टि बुध पर है। हालांकि बुध की प्रत्यंतर दशा फरवरी 2019 तक है। उसके बाद केतु की प्रत्यंतर दशा 28/02/2019 से 28/09/2019 तक शुरू हो जाएगी। हालांकि केतु एकादश भाव में स्थित श्रेष्ठ फल प्रदान करेगा, क्योंकि कोई भी क्रूर और पापी ग्रह कुंडली के क्रूर भाव तीसरे, छठे, ग्याहरवें बैठते हैं तो अपनी दशा-अंतरदशा में श्रेष्ठ फलकारक होते हैं। वैदिक ज्योतिष की मानें तो चंद्रमा में केतु का अंतर ग्रहण दोष के समकक्ष फल प्रतिपादित करते हैं इसलिए 2019 में मोदी को सफलता तो मिलेगी, लेकिन बड़े संघर्षों के बाद।
 
अब बात कर ली जाए इनके गोचर स्थिति की तो 2019 के प्रारंभ में इनके लग्न भाव वृश्चिक में स्थित देव गुरु बृहस्पति औसत फलकारक होते हैं अर्थात कोई विशेष अनिष्टकारी भी नहीं है, तो शुभ फलकारक भी नहीं है लेकिन 10 अप्रैल से 11 अगस्त तक गुरु वक्री अवस्था में गोचर करने जा रहे हैं, जो परेशानियां पैदा कर सकते हैं।
 
द्वितीय भाव में शनि, जो कि साढ़ेसाती का निर्माण करते हैं और इस समय अस्तगत स्थिति में है, कार्य में रुकावट की स्थिति का निर्माण करते हैं और वर्तमान में राहु, केतु का तृतीय और नवम दृष्टि संबंध तृतीय भाव संघर्ष के बाद विजय का प्रतीक है, वहीं नवम भाव भाग्य का प्रतीक है इसलिए तृतीय भाव का केतु विजय तो प्रदान करेगा लेकिन कड़े संघर्ष के बाद, क्योंकि नवम भाव का राहु भाग्य में अवरोध पैदा करता है, तो भाग्य का साथ शायद नहीं मिले लेकिन 6 मार्च को राहु, केतु अपनी राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं।
 
राहू इनके अष्टम भाव और केतु दूसरे भाव में स्थित होंगे, हालांकि राहु शनिवत और केतु मंगल के समकक्ष फल प्रतिपादित करते हैं। इनकी कुंडली में शनि तीसरे और चौथे भाव के स्वामी हैं और शनि 30 अप्रैल से 18 अगस्त तक वक्री अवस्था में गोचर करने जा रहे हैं, जो कि इनके लग्न भाव के समकक्ष फल देंगे यानी कि वृश्चिक राशि में स्थित फल देंगे, जो कि गत लोकसभा चुनाव में शनि इनके लग्न में ही स्थित थे, जो कि श्रेष्ठ फलकारक थे। इसलिए शनि का ये गोचर श्रेष्ठ फलकारक कह सकते हैं। वहीं केतु के मंगलवत फल की बात करें तो 22 मार्च से मंगल इनके छठे भाव में गोचर कर रहे हैं, जो कि प्रतिस्पर्धा में विजय का प्रतीक है। अत: दशाओं और गोचर के विश्लेषण के बाद निष्कर्ष की बात करें तो 90% सितारे नरेन्द्र दामोदरदास मोदी की जीत का संकेत कर रहे हैं।
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