हाथ में रेखाएं, क्रास और अन्य चिन्ह व्यक्ति के भाग्य और सफलता के बारे में बहुत कुछ बताती हैं। रेखाओं के उदगग से बताया जा सकता है कि व्यक्ति की उन्नति और भाग्य कैसा होगा। उन्नति, भाग्य, सफलता, विफलता और भाग्योदय हाथों की रेखाओं के जरिए ज्ञात किए जा सकते हैं।
हालांकि इसके लिए सटीक विश्लेषण और रेखाओं की पूरी स्थिति का ज्ञान होना बेहद जरूरी है। जानिए क्या कहते हैं आपके हाथ-
ल्ल यदि सूर्य रेखा जीवन रेखा की जड़ से उदित होकर बृहस्पति पर्वत पर तारक चिन्ह में समाप्त हो तो यह उच्च भाग्य की सूचक होती है।
ल्ल यदि मणिबन्ध का पहला वलय जंजीरदार परंतु समान, निर्बाध सूर्य रेखा त्रिकोण के निचले भाग से उदित होने के साथ में अच्छी भाग्य रेखा श्रमपूर्ण जीवन के बाद सफल भाग्योदय का प्रतीक है।
तर्जनी अंगुली के दूसरे पूर्व पर एक या दो क्रास चतुर्भुज के अंदर से बुध पर्वत को एक पुष्ट रेखा। गहरी सूर्य रेखा, साथ में दोनों हाथों में पुष्ट बृहस्पति पर्वत। ऐसी स्थिति बड़े लोगों की मित्रता से लाभ को दर्शाती है।
बृहस्पति तथा शनि पर्वतों के बीच में से उठती हुई हृदय रेखा, विकसित शनि पर्वत तथा किरणविहीन चंद्र पर्वत पर कोई चिन्ह अथवा संयोग रेखा नहीं, यह नकारात्मक सुख की सूचक है।
कनिष्ठा अंगुली की जड़ से एक रेखा बुध पर्वत को झुकती हुई बड़े लोगों की मित्रता से सम्मान को बताती है।
भाग्य रेखा चंद्र पर्वत से उदित तथा बृहस्पति क्षेत्र से आरम्भ हृदय रेखा में लोप अप्रत्याशित सत्ता को बताती है।
अंगूठा हाथ में बहुत नीचे होना सामान्य प्रतिभा को बताता है।
सूर्य पर्वत पर एक क्रास, भाग्य रेखा शाखाओं के साथ मणिबंध से आरंभ विफलताओं की सूचक है।
जीवन रेखा से मणिबंध को जाती हुई छोटी-छोटी रेखाएं जीवन में निराशा को दर्शाती हैं।
बुध पर्वत पर तारक चिन्ह , साथ में निम्न बृहस्पति पर्वत अपमान एवं असफलता को बताता है।
पुष्ट मंगल रेखा की उपस्थिति और स्वास्थ्य रेखा के साथ-साथ गौण रेखा के रूप में उत्तम बुध रेखा बहुत अधिक सुख के बारे में बताती है।