भगवान विष्णु के अंशावतार एवं देवताओं के वैद्य भगवान धन्वन्तरि का प्राकट्यपर्व कार्तिक कृष्णपक्ष त्रयोदशी को 25 अक्तूबर को मनाया जाएगा। ये पर्व प्रदोषव्यापिनी तिथि में मनाने का विधान है। इसी दिन स्वास्थ्य के देवता भगवान धनवंतरि की जयंती भी रहेगी। भगवान धनवंतरि समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इस दिन शुक्रवार को प्रदोष भी रहेगा, जिससे शुक्र प्रदोष व धन त्रयोदशी का महासंयोग बन रहा है। इसके अलावा ब्रह्मयोग व सिद्धियोग रहेंगे। पंडितों के अनुसार 100 साल के बाद ऐसा महासंयोग निर्मित हो रहा है, जिसमें धनतेरस पर शुक्रवार व प्रदोष समेत ब्रह्म व सिद्धि योग रहेंगे। इससे पहले 1 नवंबर 1918 में ही ऐसा महासंयोग बना था।
समुद्रमंथन से चौदह प्रमुख रत्नों की उत्पत्ति हुई जिनमें चौदहवें रत्न के रूप में स्वयं भगवान् धन्वन्तरि प्रकट हुए जो अपने हाथों में अमृत कलश लिए हुए थे। भगवान विष्णु ने इन्हें देवताओं का वैद्य एवं वनस्पतियों और औषधियों का स्वामी नियुक्त किया। इन्हीं के वरदान स्वरूप सभी वृक्षों-वनस्पतियों में रोगनाशक शक्ति का प्रादुर्भाव हुआ।
धनतेरस अबूझ मुहूर्त है। इसी दिन स्वास्थ्य के देवता भगवान धनवंतरि की जयंती भी है। धनतेरस के दिन शुक्रवार के दिन शुक्र प्रदोष भी रहेगा। जिस कारण से शुक्र प्रदोष और धन त्रयोदशी का महासंयोग बन रहा है। वही अगर इस दिन बने योगों की बात करें तो ब्रह्म व सिद्धि योग बन रहा है। ऐसा महासंयोग 100 साल के बाद दोबारा बन रहा है। इस दिन जो भी शुभ कार्य या खरीदी की जाए वह समृद्धिकारक होती है।