गुरूत्वाकर्षण के सिद्घांत से हम सभी परिचित हैं। पृथ्वी का गुरूत्वाकर्षण बल प्रत्येक वस्तु को धरती पर आने के लिए प्रेरित करता है। आइए इस बल के होने के बावजूद बादल आकाश में क्यों तैर पाते है। बादल दरअसल समुद्र, नदियों, तलाबों और धरती में उपस्थित जल के वाष्पीकरण के कारण गर्म वायु अपने साथ जलवाष्प भी ले जाती हैं, ठण्डी वायु हल्की होने के कारण गर्म वायु ऊपर रहती हैं।
ऊपर जाने पर इसका फैलाव होने पर जब यह ठण्डी हो जाती हैं, तो बादलों का रूप ले लेती हैं। बादलों के आकार-प्रकार पर गुरूत्वाकर्षण बल असर करता है। वायु में उपस्थित अतरिक्त वाष्प पानी की बूंदों को नहीं रोक पाती हैं। बादल में उपस्थित बर्फ के कारण और पानी की बूंदें गुरूत्वाकर्षण बल के कारण बादलों की आकृती बदलती रहती हैं। लेकिन आयतन अधिक होने के कारण बादलों का घनत्व कम होता है, इस कारण बादलों का भार वायु में कम रहता है, और वह तैरते रहते हैं।