आमतौर पर आप एंबुलेंस की जो आवाज सुनते हैं, वह इलेक्ट्रॉनिक सायरन हैं। एंबुलेंस में सायरन के अलावा फ्लैशिंग लाइट, स्पीकर, रेडियों फोन और अन्य उपकरण होते हैं ताकि सड़क पर उसके लिए लोग रास्ता छोड़ दें। शुरू के सायरन हवा के दबाव से चलते थे। एक दौर में सिर्फ घंटियां बजाकर भी काम किया जाता था। आज सबसे प्रसिद्ध इलेक्ट्रॉनिक सायरन हैं।
एंबुलेंस को अलग दिखाई पड़ने के लिए चमकदार रंगों से सजाया जाता है। जरूरी नहीं कि वह रंग नीला और लाल हो। पीले, हरे, नारंगी और दूसरे रंगों में भी एंबुलेंस दुनियाभर में पाई जाती हैं। उद्देश्य होता है कि उन्हें लोग जल्द पहचानें और रास्ता छोड़ दें।
एंबुलेंस केवल मोटरगाड़ियों में ही नहीं होतीं। एंबुलेंस हवाई जहाजों, हेलिकॉप्टरों से लेकर नावों, घोड़ागाड़ियो, मोटर साइकिलों और साइकिलों पर भी होती हैं। एंबुलेंस में सामने की ओर आपने अक्सर अंग्रेजी के उल्टे अक्षरों में एंबुलेंस लिखा देखा होगा। इसका उद्देश्य है कि आगे चल रही गाड़ियों के ड्राइवरों को पीछे आती गाड़ी के अक्षर साफ दिखाई पड़ सकें। चूंकि वह दर्पण में उल्टे अक्षर पढ़ पाता है इसलिए उल्टे अक्षर लिखे जाते हैं।