19 Apr 2024, 09:02:37 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

हिंदू धर्म में मंत्र जााप का खास महत्व है, मंत्र का जााप में जिस माला का प्रयोग किया जाता है, उसमें 108 मोती होते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन मोतियों की संख्या 108 ही क्यों होती है। इसके पीछे कई धार्मिक और वैज्ञानिक कारण बताए गए हैं। आइए जानते है...

 
मान्यता के अनुसार माला के 108 मोती और सूर्य की कलाओं का गहरा संबंध है। एक साल में सूर्य 216000 कलाएं बदलता है और वर्ष में दो बार अपनी स्थिति भी बदलता है। 6 माह उत्तरायण रहता है और 6 माह दक्षिणायन। सूर्य 6 माह की एक स्थिति में 108000 बार कलाएं बदलता है।
 
इसी संख्या 108000 से अंतिम तीन शून्य हटाकर माला के 108 मोती निर्धारित किए गए हैं। माला का एक-एक दाना सूर्य की एक-एक कला का प्रतीक है। सूर्य ही एकमात्र साक्षात दिखने वाले देवता हैं, इसी वजह से सूर्य की कलाओं के आधार पर दानों की संख्या 108 निर्धारित की गई है।
 
ज्योतिष के अनुसार ब्रह्मांड को 12 भागों में विभाजित किया गया है। इन 12 भागों के नाम मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन हैं। इन 12 राशियों में नौ ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु विचरण करते हैं। अत: ग्रहों की संख्या 9 का गुणा किया जाए राशियों की संख्या 12 में तो संख्या 108 प्राप्त हो जाती है। माला के मोतियों की संख्या 108 संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रतिनिधित्व करती है।
 
मान्यता ये भी है कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुल 27 नक्षत्र बताए गए हैं। हर नक्षत्र के 4 चरण होते हैं और 27 नक्षत्रों के कुल चरण 108 ही होते हैं। माला का एक-एक दाना नक्षत्र के एक-एक चरण का प्रतिनिधित्व करता है।
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