जब किसी व्यक्ति की मौत होती है तो सभी दुखी होते हैं। मरने वाले व्यक्ति के दुनिया से चले जाने के गम में आंसू बहाते हैं। आंसू बहाते हुए पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को देखा जाता है।
जब अंतिम संस्कार होता है, तो वहां महिलाएं नहीं जाती हैं। आखिरकार ऐसा क्यों होता है? क्या कारण हैं कि महिलाओं को श्मशान न तक जाने की मनाही है? चलिये जानने की कोशिश करते हैं।
सबसे पहला कारण
जब भी किसी की मौत होती है तो शव के घर से निकलते ही पूरे घर आंगन को साफ सुथरा करते हुए धोया जाता है। फिर खाने पीने के सामान तैयार किया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि घर में कोई नकारात्मक शक्ति नहीं रह सके। इन्हीं सभी कामों को करने के लिए महिलाओं का घर में रहना जरूरी है।
दूसरा कारण
कहा जाता है कि श्मशान में आत्माओं का वास होता है। और इन भटकती आत्माओं तथा भूत प्रेतों से महिलाओं में सबसे ज्यादा खतरा होता है। ऐसा कहा जाता है कि बुरी आत्माएं वर्जिन महिलाओं को निशाना बनाती हैं।
तीसरा कारण
हिंदू रीति रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले परिवार के सदस्ययों को अपने बाल मुंडवाने होते हैं। इस प्रथा से महिलाएं दूर रहें इसलिए उन्हें वहां जाने की अनुमति नहीं है।
चौथा कारण
महिलाओं का दिल पुरुषों की अपेक्षा कम कठोर होता है। कहा जाता है कि अगर कोई श्मशान घाट पर रोता है तो मरने वाले की आत्मा को शांति नहीं मिलती। अगर इस काम में महिलाएं शामिल होगी तो निश्चित ही रोएंगी इसलिए भी इन्हें श्मशान घाट पर आने की मनाही होती है।