19 Apr 2024, 19:55:57 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

श्रावण का महीना शिव जी को ही समर्पित है। शिव शब्द का अर्थ है पाप नष्ट करने वाला- श्यति पापम। शिव का रुद्र नाम भी बहुत प्रचलित है। इसके अलावा शिवजी को भव, शर्व, पशुपति, उग्र, महादेव और ईशान भी कहा जाता है। अथर्ववेद में ‘नीलमस्योदरं लोहित  पृष्टम’ भी कहा गया है।

शिवपुराण में शिव के पांच कार्य- सृष्टि, स्थिति, नाश, तिरोभाव और मोक्ष हैं। पंचमुख इसी कारण कहा जाता है। श्रावण मास का प्रत्येक सोमवार अति महत्वपूर्ण है। श्रावण मास के सोमवारों में भगवान शिव के व्रत, पूजा और आरती का विशेष महत्व है। शिव पंचाक्षर मंत्र का भी जाप करना चाहिए। असल में सोमवार चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करता है। चंद्रमा मन के स्वामी हैं। शिव के मस्तक पर विराजमान हैं। ‘चंद्रमा मनसो जात:’ अर्थात चंद्रमा मन का मालिक है। शिव के मस्तक पर विराजमान चंद्रमा को नियंत्रित कर भक्त अपने मन को अविद्या रूपी माया के मोहपाश से मुक्त करने में सफल होता है। जन्म-मरण से मुक्त हो जाता है। श्रावण में ही कांवड़ लेकर हजारों कांवड़ियों को गंगा नदी की ओर जाते हम सभी ने हर साल देखा है। पवित्र नदियों के जल से अभिषेक करने से शिव प्रसन्न जो होते हैं। देखा जाए तो श्रावण वर्षा ऋतु का महीना है। चातुर्मास में आने वाले इस महीने में श्री हरि जब शयन कर रहे होते हैं, तब संन्यासी एक जगह पर नारायण, शिव और अन्य देवी-देवताओं की कथा द्वारा नागरिकों का मार्गदर्शन कर रहे होते हैं। श्रावण में ही हरियाली तीज, रक्षाबंधन, नागपंचमी आदि प्रमुख त्योहार आते हैं। एक तरह से प्रकृति के संरक्षण का महीना है श्रावण। सावन मास में ही समुद्र मंथन भी हुआ था। उससे निकला हलाहल विष शंकर ने कंठ में समाहित कर सृष्टि की रक्षा की। विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया। श्रावण मास में शिव को जल चढ़ाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। शिवपुराण में उल्लेख है कि भगवान शिव स्वयं ही जल हैं।

सावन मास में भगवान शंकर की पूजा उनके परिवार के सदस्यों विशेषकर गणेश को प्रसन्न करने के लिए करनी चाहिए। शिव के रुद्राभिषेक का तो विशेष महत्व है। प्रत्येक दिन रुद्राभिषेक हो सकता है, विशेष लाभ के लिए। रुद्राभिषेक में जल, दूध, दही, शुद्ध घी, शहद, शक्कर या चीनी, गंगाजल तथा गन्ने के रस आदि से स्नान कराया जाता है। अभिषेक कराने के बाद दूब, बेलपत्र, शमीपत्र, आक, तुलसी, मदार, नीलकमल आदि अर्पण करना चाहिए, इससे शिव बहुत प्रसन्न होते हैंं। भांग, धतूरा भी शिव जी को बहुत पसंद हैं।

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