20 Apr 2024, 10:13:43 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

आपने अक्सर देखा होगा कि घरों और मंदिरों में पूजा के बाद पंडित जी हमारी कलाई पर लाल रंग का कलावा या मौली बांधते हैं और हम में से बहुत से लोग बिना इसकी जरुरत को हाथों में बांध लेते हैं।

सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि, आजकल पश्चिमी संस्कृति से प्रभावित अंग्रेजी स्कूलों में पढ़े लोग मौली बांधने को एक ढकोसला मानते हैं और उनका मजाक उड़ाते हैं।

हद तो ये है कि कुछ लोग मौली बंधवाने में अपनी आधुनिक शिक्षा का अपमान समझते हैं एवं मौली बंधवाने से उन्हें अपनी सेक्यूलरता खतरे में नजर आने लगती है।

मैं आपको एक बार फिर से ये याद दिला दूं कि, एक पूर्णतया वैज्ञानिक धर्म होने के नाते हमारे हिंदू सनातन धर्म की कोई भी परंपरा बिना वैज्ञानिक दृष्टि से हो कर नहीं गुजरता और हाथ में मौली धागा बांधने के पीछे भी एक बड़ा वैज्ञानिक कारण है।

दरअसल मौली का धागा कोई ऐसा-वैसा धागा नहीं होता है, बल्कि यह कच्चे सूत से तैयार किया जाता है और यह कई रंगों जैसे, लाल,काला, पीला अथवा केसरिया रंगों में होता है। मौली को लोग साधारणतया लोग हाथ की कलाई में बांधते हैं।

और, ऐसा माना जाता है कि, हाथ में मौली का बांधने से मनुष्य को भगवान ब्रह्मा, विष्णु व महेश तथा तीनों देवियों- लक्ष्मी, पार्वती एवं सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है। कहा जाता है कि, हाथ में मौली धागा बांधने से मनुष्य बुरी दृष्टि से बचा रहता है, क्योंकि भगवान उसकी रक्षा करते हैं।

हाथों में मौली धागा बांधने से मनुष्य के स्वास्थ्य में बरकत होती है, कारण कि, इस धागे को कलाई पर बांधने से शरीर में वात,पित्त तथा कफ के दोष में सामंजस्य बैठता है।

तथा, ये सामंजस्य इसीलिए हो पाता हैं क्योंकि शरीर की संरचना का प्रमुख नियंत्रण हाथ की कलाई में होता है (आपने भी देखा होगा कि, डॉक्टर रक्तचाप एवं ह्रदय गति मापने के लिए कलाई के नस का उपयोग प्राथमिकता से करते हैं।

इसीलिए वैज्ञानिकता के तहत हाथ में बंधा हुआ मौली धागा एक एक्यूप्रेशर की तरह काम करते हुए मनुष्य को रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह और लकवा जैसे गंभीर रोगों से काफी हद तक बचाता है, एवं इसे बांधने वाला व्यक्ति स्वस्थ रहता है।हमारे ऋषि-मुनियों ने हजारों -लाखों साल पहले जान लिया था।

हमारे ऋषि-मुनियों ने गूढ़ से गूढ़ बातों को भी हमारी परम्परों और रीति-रिवाजों का हिस्सा बना दिया ताकि, हम जन्म-जन्मांतर तक अपने पूर्वजों के ज्ञान-विज्ञान से लाभान्वित होते रहें। हम हिन्दू उस गौरवशाली सनातन धर्म का हिस्सा हैं, जिसके एक-एक रीति-रिवाजों में वैज्ञानिकता रची-बसी है।

नोट- शास्त्रों के अनुसार पुरुषों एवं अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में , एवं विवाहित स्त्रियों के लिए बाएं हाथ में मौली बांधने का नियम है। कलावा बंधवाते समय जिस हाथ में कलावा बंधवा रहे हों उसकी मुठ्ठी बंधी होनी चाहिए और, दूसरा हाथ सिर पर होना चाहिए।

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