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400 साल पहले 9 जनवरी को आता था मकर संक्रांति का पर्व, 600 साल बाद 23 को आएगा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 8 2016 11:11AM | Updated Date: Jan 8 2016 11:11AM
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शैलेंद्र जोशी, इंदौर
इंदौर। आमतौर पर यह समझा जाता है कि मकर संक्रांति हर साल 14 या फिर 15 जनवरी को आती है लेकिन यह भी सच है कि करीब 400 साल पहले यह पर्व 9 जनवरी को आता था। शंकराचार्य मठ के प्रभारी  गिरीशानंद महाराज ने बताया वास्तव में ग्रहों की चाल के कारण मकर संक्रांति पर्व की तारीख हर सौ-पचास साल में बढ़ती जा रही है। इसी के चलते अब से करीब 600 साल बाद मकर संक्रांति 23 जनवरी को आया करेगी।

परंपरा के अनुसार मकर संक्रांति पर पवित्र नदियों में स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इसी के साथ तिल स्नान भी किया जाता है। गिरीशानंद महाराज ने मकर संक्रांति को सेहत का पर्व करार देकर इसके वैज्ञानिक कारण बताए-
सुधरता है पाचन-तंत्र
मकर संक्रांति पर दो ऋतुओं शिशिर और बसंत ऋतु का संधिकाल होता है। इसके कारण शरीर का तापमान भी बदलने लगता है और इसका दुष्प्रभाव पाचन तंत्र पर पड़ता है, जिसे सुधारना जरूरी है।
हिमोग्लोबिन बढ़ता है
इस दौरान गुड़ तिल बांटा जाता है, क्योंकि इनके खाने से शरीर का तापमान नियंत्रित हो जाता है और खून में हिमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ने से सेहत ठीक रहती है।
तट पर अनुकूल किरणें
इस दिन नदी की कल-कल ध्वनि ब्रह्मांड के समतुल्य हो जाती है। इसके साथ ही नौ ग्रहों की किरणें नदी के तटवर्ती क्षेत्र में पड़ती हैं, जिससे वहां मौजूद रहने और स्नान करने से इंद्रियां केंद्रित हो जाती हैं। ऐसे में हम जो भी इच्छा व्यक्त करते हैं, वह फलीभूत होने लगती है। यहां तक कि अनिष्टकारक ग्रह भी अनुकूल हो जाते हैं।
त्वचा रोग से बचाव
शीत के कारण वातावरण में खुस्की होती है। इससे चर्मरोग की आशंका रहती है। ऐसे में तिल के उबटन से स्नान करने से त्वचा में कांति आती है और रोग दूर हो जाते हैं।
विकारों का नाश
दान-पुण्य से त्याग की भावना जगती है और विषयों और विकारों का नाश हो जाता है। इससे व्यक्ति सांसारिकता से अध्यात्म की ओर जाता है और उसके लिए मुक्ति का मार्ग खुल जाता है।
इस तरह बढ़ रही तारीख
सन् 1600    9 जनवरी
सन् 1616    9 जनवरी
सन् 1714    10 जनवरी
सन् 1716    11 जनवरी
सन् 1814    12 जनवरी
सन् 1816    13 जनवरी
सन् 1916    14 जनवरी
सन् 2016    15 जनवरी
सन् 2116    16 जनवरी
सन् 2152    17 जनवरी
सन् 2216    18 जनवरी
सन् 2314    19 जनवरी
सन् 2316    20 जनवरी
सन् 2416    20 जनवरी
सन् 2452    21 जनवरी
सन् 2516    22 जनवरी
सन् 2600    23 जनवरी
 

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