हर महीने पीरियड्स आने पर कई घरों में महिलाओं को एक कोने पर बिठा दिया जाता है। हर चीज को छूने से मना किया जाता है। रसोईघर में आने से मनाही होती है। महिलाएं भी पीरियड्स आने को गंदा समझती हैं और इसके बारे में बात करने से शर्माती हैं, जबकि इसे कोई धर्मिक कांड ना बनाकर एक नैसर्गिक चीज मानना जरूरी है।
किसी भी धर्म में भी कहीं यह नहीं कहा गया कि पीरियड्स के दौरान महिला अपवित्र हो जाती है। पहले के जमाने में मेहनत ज्यादा करनी पड़ती थी क्योंकि इतनी सुविधाएं नहीं थी और सैनटरी पैड भी नहीं होते थे। इस वजह से उन्हें घर के बाकी हिस्सों से दूर रखा जाता था ताकि घर साफ रहे और उन्हें आराम मिले।
सर गंगाराम हॉस्पिटल में वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ एम कोचर व मैन्स्ट्रूपीडिया डॉट कॉम वेबसाइट की संस्थापक अदिति गुप्ता महावारी के दौरान महिलाओं से अछूत जैसा व्यवहार करने को गलत मानती हैं। दोनों का मानना है कि ये कोई बीमारी नहीं है।