पटाखों और आतिशबाजी का अविष्कार सबसे पहले चीन में हुआ था। इसके बाद यूरोप में, अरब और ग्रीस होते हुए इनकी तकनीकी सारी दुनिया में फैली। अब सारी दुनिया में पटाखे और अातिशबाजी खुशी तथा उत्सामह के प्रतीक बन गए हैं। राष्ट्रीय महत्त्वो व आयोजनों से लेकर धार्मिक त्यौहारों पर खुशियों के इजहार के लिए अातिशबाजी का सहारा लिया जाता है। अातिशबाजी रंगबिरंगी रोशनी से मिलकर खुशियों और रंगीन हो जाती हैं। सामान्यत: पटाखे और अतिशबाजी बनाने के लिए पोटेशियम नाइट्रेट, सल्फहर और कोयले का मिश्रण प्रयोग किया जाता हैं। लेकिन यदि इस मिश्रण में स्ट्रंणशियम और बेरियम नामक धातुओं के लवण भी मिला दिए जाएं, तो अातिशबाजी से निकलने वाला प्रकाश रंगबिरंगी हो जाता हैं। अातिशबाजी में हरा रंग बेरियम लवण होता हैं। स्ट्रांशियम सल्फेट से आसमानी रंग, स्ट्रांशियम कार्बोनेट से पीला रंग, तथा स्ट्रांशियम से लाल रंग मिलता है। आजकल हर तरह की अातिशबाजी में बेरियम और स्ट्रांयशियम के अलग-अलग लवण का कांबीनेशन का प्रयोग किया जाता है।