24 Apr 2024, 12:40:49 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

बच्चो, कई बार बारिश के दौरान अचानक पानी की बूंदों के साथ बर्फ के छोटे-छोटे गोले भी गिरते हैं। इन्हें हम ओले कहते हैं। ये ओले आसमान में कैसे बनते हैं और ओले क्यों गिरते हैं? तो आओ ओले के बारे में पूरी बात जानें।

आप जानते हो कि बर्फ पानी के जमने से बनता है। अब तुम्हारे मन में ये प्रश्न उठ रहा होगा कि आसमान में ये पानी कैसे बर्फ बन जाता है और फिर गोल-गोले बर्फ के टुकड़ों के रूप में ये धरती पर क्यों गिरते हैं? आप ने जैसा कि पढ़ा होगा कि पानी को जमने के लिए शून्य डिग्री सेल्सियत तापमान होना चाहिए, आप ने फ्रीजर में देखा होगा कि पानी के छोटे-छोटे बूंदें बर्फ के गोले के रूप में जम जाता है, ऐसा ही प्रकृति में होता है।

हम जैसे-जैसे समुद्र के किनारे से ऊपर यानी ऊंचाई की ओर बढ़ते हैं, तब जगह के साथ ही तापमान धीरे-धीरे कम होता जाता है। तुम इसे ऐसे समझ सकते हो, लोग गर्मी के मौसम में पहाड़ों पर जाना पसंद करते हैं, क्यों? इसलिए कि पहाड़ पर तापमान कम होता है, यानी मैदानी इलाके की तुलना में पहाड़ों पर तापमान ठंडी होती है।

अब आपको समझ में आ गया होगा कि ऊंचे स्थानों पर तापमान कम होता है, जैसे हमारे देश के पहाड़ी इलाके मसूरी और नैनीताल में। लेकिन लद्दाख में तो इतनी ठंड पड़ती है कि वहां हमेशा पानी बर्फ के रूप में होता है, क्योंकि यह धरती की सबसे ऊंची जगह मे एक है।
पानी बन जाता है बर्फ
तो अब आप यह जान गए कि ऊंचाई के साथ तापमान कम होता है। लेकिन प्रश्न आपके मन में फिर उठ रहा है कि आखिर ओले कैसे बनते हैं? आप यह अच्छी तरीके से जानते हो कि नदियों, तालाबों और समुद्र का पानी भाप बनकर आसमान में वर्षा का बादल बनाता है और यही बादल पानी बरसाते हैं। लेकिन जब आसमान में तापमान शून्य से कई डिग्री कम हो जाता है तो वहां हवा में मौजूद नमी संघनित यानी पानी की छोटी-छोटी बूंदों के रूप में जम जाती है।

इन जमी हुई बूंदों पर और पानी जमता जाता है। धीरे-धीरे ये बर्फ के गोलों का रूप धारण कर लेती हैं। जब ये गोले ज्यादा वजनी हो जाते हैं तो नीचे गिरने लगते हैं। गिरते समय रास्ते की गरम हवा से टकरा कर बूंदों में बदल जाते हैं। लेकिन अधिक मोटे गोले जो पूरी तरह नहीं पिघल पाते, वे बर्फ के गोलों के रूप में ही धरती पर गिरते हैं। इन्हें ही हम ओले कहते हैं।
कब गिरते हैं ओले
ओले अक्सर गर्मियों के मौसम में दोपहर के बाद गिरते हैं, सर्दियों में भी ओले गिरते देखे गए हैं। जब ओले गिरते हैं, तो बादलों में गड़गड़ाहट और बिजली की चमक बहुत अधिक होती है। ये ओले कहीं बहुत हल्की तो कहीं बहुत भारी भी हो सकती है। इसका कारण यह है कि बर्फ हवा से उड़ती हुई इधर-उधर जाती हैं और एक जगह पर इकट्ठा हो जाती है। गिरती हुई बर्फ हमेशा नर्म नहीं होती। यह छोटे-छोटे गोल आकार के रूप में भी गिरती है।
ओले गोल क्यों?
ओले हमेशा गोले ही होते हैं? पानी जब बूंद के रूप में गिरता है तो पृष्ठतनाव के कारण पानी की बूंदे गोल आकार ले लेता है, तुमने नल से टपकते हुए पानी की बूंदों को देखा होगा, ये बूंद गोल रूप में होता है। ठीक इसी तरह जब आसमान से पानी गिरता है तो वह बूंद के रूप में बर्फ बन जाता है। इनमें बर्फ की कई सतहें होती हैं। अभी तक सबसे बड़ा ओला एक किलोग्राम का आसमान से गिर चुका है।

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