तुलसी अति प्राचीन और कल्याणकारी हैं। प्राचीन ग्रंथों में इसकी महिमा का अपार गुणगान किया जाता हैं। पदृ पुराण में कहां गया हैं कि जिस घर में तुलसी का पेड़ होता है, वह तीर्थ की तरह हो जाता हैं। ऐसे घर में यमराज के दूत भी प्रविष्ट नंहीं हो पाते। यही नहीं, तुलसी लगाने और उसकी सेवा करने से मनुष्य के बडे-बडे पाप भी नष्ट हो जाते हैं। जिस घर के आंगन में तुलसी के नीचे की भूमि मिट्टी में लिपि रहती हैं, वहां रोगाणुओं का प्रवेश भी नहीं होता हैं।
प्राचीन मान्यदताओं के अनुसार प्रत्येक हिंदू के घर के आंगन में तुलसी का एक पौधा अवश्य होना चाहिए। तुलसी की गंध लेकर वायु जिस दिशा में आती हैं। वह दिशा तथा वहां रहने वाले सभी प्राणी पवित्र और दोष रहित हो जाते हैं। जिस स्थामन पर तुलसी का पौधा होता हैं। वहां ब्रह्मा, विष्णुन, शिव आदि समस्तव देवों, पुष्कशर आदि तीर्थो एंव गंगा आदि सरिताओं का निवास होता हैं। अतः तुलसी की पूजा अर्चना करने से समस्ते देवों के पूजन का फल प्राप्ता होता हैं।
कार्तिक मास में तुलसी का रोपण, सिंचन, दर्शन एंव ध्यान करने से अनेक युगों के पाप नष्ट, हो जाते हैं। तुलसी सौभाग्य्दायक र्आर विपत्ति विनाशक हैं। इसे भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में चढाने से मुक्ति प्राप्त होती हैं। तुलसी के बिना सभी कर्मकांड़ व्यर्थ हो जाते हैं। तुलसी वन की छाया में किया गया श्राद्धां पितरों के लिए विशेष रूप से तृप्तिकारक होता हैं। जो दान तुलसी के संयोगपूर्वक किया जाता हैं, अपार फलदाई होता हैं।