19 Apr 2024, 04:40:58 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-वीना नागपाल

बात करेंगे उज्ज्वला पादुकोण की।' पादुकोण' से ही आप समझ गए होंगे कि इनका संबंध अत्यंत लोकप्रिय व सशक्त अभिनेत्री दीपिका पादुकोण से होगा। जी, हां आपने ठीक पहचाना यह दीपिका की मां हैं। पिछले दिनों इनसे एक साक्षात्कार लिया गया और उसमें उन्होंने बहुत स्पष्टता से अपने विचार बताते हुए कहा-  यह अब माता-पिता (पैरेंट्स) का प्राथमिक कर्तव्य हो गया है कि वह अपने बेटों को महिलाओं (युवतियां) का सम्मान व आदर करना सिखाएं। कितना सटीक परामर्श दिया गया है।

अभी तक होता यही रहा है कि बेटियों को कई प्रकार की समझाइशें दी जाती रहीं। पता नहीं कितनी तरह से उन्हें ही पाबंदियों में रहना और व्यवहार करना सिखाया जाता रहा है। उन्हें सिर झुकाकर चलने के लिए कहा गया। उन पर कभी मुंह न खोलने की बंदिश तो तय थी। घर से बाहर न निकलो और यदि निकलकर कहीं गई भी तो इतने बजे घर लौट आओ। उस बेटी की निरंतर जासूसी की जाती है कि वह कहां जाती है तथा उसकी सहेलियां कौन हैं और यहां तक कि यदि किसी सहेली के घर में यदि भाई होता है तो उस सहेली से मित्रता नहीं रखने की सशक्त हिदायत दी जाती है। सारे जहां की नैतिकता, संस्कार, शुचिता व पवित्रता की बातें बेटियों के ही दुपट्टों में तथा पत्नी-बहनों की शादियों में पल्लू में कसकर गांठ बांधकर रखने के कठोर निर्देश दिए जाते हैं।

परिवारों के बेटे जब अपने परिवारों में लड़कियों के साथ होने वाले इस तरह के व्यवहार को देखते हैं तो उनके मन में उनके प्रति आदर व सम्मान की भावना कैसे जाग सकती है। वह स्पष्टत: देखते हैं कि उन पर तो किसी तरह की रोक-टोक नहीं है, उनके लिए अनुशासन में रहने के नियमों की कोई बाध्यता नहीं है। वह देखते हैं कि घर की महिलाओं और लड़कियों को तो बार-बार कहा जाता है कि वह तो लड़का है, वह तो कुछ भी कर सकता है पर तुम ऐसा कुछ नहीं कर सकतीं। ऐसी असमानता का व्यवहार अभी तक कई परिवारों में है। वह एक छद्म अहंकार से भर जाता है।

आज वो बंगलुरु और मेरठ तथा इसी तरह अन्य शहरों में कभी न कभी युवतियों के साथ अशिष्टता व अति दुर्व्यवहार हुआ है या होता है उसके मूल में यदि तलाश करें तो यह उन्हीं परिवारों के बेटे व भाई हैं जिनके यहां बेटियों, बहनों और यहां तक की मां के साथ भी घर के पुरुष दुर्व्यवहार करते हैं। ऐसे माहौल में पले-बड़े लड़के व युवा यह बर्दाश्त ही नहीं कर पाते कि लड़कियां भी बारह निकल सकती हैं और वह जब तथा जिस समय चाहें कुछ पल आनंद के उठा सकती हैं या वह कुछ समय केवल अपने लिए खुश होने के निकाल सकती हैं। यदि वह ऐसा करती हैं तो सरेआम उनके कपड़े फाड़ दो, उनके साथ वह सारी असभ्यता कर दो जिसके विचार उनके दिमाग में ठूंस-ठूंस कर भरे हुए हैं। इस व्यवहार पर जिस तरह का चैनल्स पर छातीकूट चल रहा है उससे परिवारों में माहौल नहीं बदलेगा, यह सब सतही है।

इतना सब होने के बाद अब शासन को और सजग होने व समाज में यह संदेश देने की जरूरत है कि ऐसा दुर्व्यवहार कतई सहन नहीं किया जाएगा तथा तुरंत कोशिश कर इन अशिष्ट और दुर्व्यवहार करने वालों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी, पर इसके उल्टे फिर लड़कियों की ही वेशभूषा और उनके समय, कुसमय आने-जाने की बेतुकी बातें की जा रही हैं। वह भी उनके द्वारा जिन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वह शासन के सर्वोच्च पद पर बैठकर महिला हितैषी बात करेंगे।

जितने वह दुर्व्यवहारी दोषी हैं उतने ही इस पद पर चुने गए वह तथाकथित नेता भी दोषी हैं। ऐसा लगता है कि वह भी इस तरह के व्यवहार करने की मानसिकता ही रखते हैं। ऐसा व्यवहार अब सहन नहीं किया जा सकता। यदि आज और अभी माता-पिता (पैरेंट्स) सजग नहीं हुए और अपने बेटों को संस्कारित नहीं किया तथा उन्हें महिलाओं का सम्मान करने की घुट्टी उनके जन्म के साथ ही नहीं पिलाई तो परिवारों की बेटियां, बहनें व अन्य भी यूं ही शर्मिदा होती रहेंगी। मांओं अब तो अपने बेटों को सुधारो।

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