24 Apr 2024, 05:02:39 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-दिनकर सबनीश
राष्ट्रीय सहसचिव,                                                                                                                                                              अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत


देश की अर्थव्यवस्था में ग्राहक का महत्वपूर्ण स्थान होता है, वह राजा होता है, ग्राहक तय करता है कि उसे क्या खरीदना है? क्योंकि उसे चयन का अधिकार प्राप्त है। अब बाजार घरों में घुस गया है अब बाजार तय कर रहा है कि समाज का व्यक्ति क्या खरीदेगा ? समाज का प्रत्येक व्यक्ति ग्राहक की भूमिका निभा रहा है फिर भी शोषण की प्रक्रिया में सबसे ज्यादा उलझनों वाला व्यक्ति ग्राहक ही है। जब तक ग्राहकों का नियमित प्रबोधन नहीं करेंगे ,उसको जानकारी नहीं देंगे, वह मौन ही रहेगा और उसका शोषण होते ही रहेगा। आश्चर्यजनक बात तो यह है कि जब समाज का प्रत्येक व्यक्ति ग्राहक है तो फिर उसका शोषण क्यों नहीं रुक रहा। उदाहरण के तौर पर देखें- हम किराना व्यापारी से राशन खरीदते हैं, तो हम उस के ग्राहक हुए, किराना व्यापारी कपड़े खरीदता है तो वह कपड़े का ग्राहक हुआ। इसी तरह कपड़ा व्यापारी भी अन्य वस्तु एवं सेवा प्राप्त कर बिजली विभाग, यात्रा करते समय परिवहन, रेलवे, बैंक, बीमा, दूरभाष विभाग आदि का ग्राहक ही हुआ।

इसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति, वस्तु एवं सेवा के संदर्भ में समाज में ग्राहक की भूमिका निभा रहा  है। जब हम सभी देश की अर्थव्यवस्था में ग्राहक की भूमिका निभा रहे हैं, तो क्यों न हम अच्छी क्वालिटी की वस्तुओं का उचित दाम आदान-प्रदान कर एक शोषण मुक्त समाज की स्थापना करें? यह समझ कर कि हम स्वयं भी तो ग्राहक ही हैं। केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा भी ग्राहक जागरुकता के विषय में बहुत अच्छे प्रयास किए जा रहे हैं।  जागो ग्राहक जागो विज्ञापन द्वारा समाज में बहुत संदेश दिया जा रहा है। अन्य स्वयंसेवी संगठनों द्वारा भी ग्राहक जागरूकता हेतु बहुत अच्छे प्रयास किए जा रहे हैं। विशेष रूप से अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत तोे पिछले चार दशकों से ग्राहक संरक्षण हेतु कार्य कर रहा है। विशेषकर उपभोक्ता संरक्षण कानून 1986 बनाने में इनका बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ग्राहक जागरूकता के विषय में तो इनकी पंच लाइन ही है- ग्राहक तू रहेगा मौन तो तेरी सुनेगा कौन?

वास्तव में जागरूकता के अभाव एवं अज्ञानता से ग्राहक को सदैव नुकसान होता है। अत: हम स्वयं जागरूक होकर अन्य समाजजनों को जागरूक कर शोषणमुक्त समाज की स्थापना करें। कई बार यह देखने में आता है कि हम अपने अधिकारों को नजरअंदाज कर जाते हैं। जैसे हमें खुल्ले पैसे ना होने का बहाना बनाकर हमें टाफियां दे दी जाती है। आप देखेंगे कि आपके न चाहते हुए भी आप ये टॉफियां लेते हंै, क्योंकि बात एक रुपए की ही होती है। इस तरह व्यापारी खुल्ले पैसे न होने का हवाला देकर खुल्ले पैसे के बदले में टॉफी व बिस्कुट पैकेट आदि का प्रचलन चला देते हैं, यह छोटी-छोटी चीजें आपके अधिकारों का उल्लंघन कर शोषण का कारण बनती जा रही है। आपको समझना होगा कि यह दुकानदार का कर्तव्य है, कि वह आपको खुल्ले पैसे ही लौटाए। 

जब आप होटल पर खाना खाने जाते हैं, तो आपसे पूछा जाता है कि पानी रेग्युलर लगाना है या बोतल का? यह पानी की बोतल आपको 25 रुपए तक की कीमत पर भी उपलब्ध कराई जाती है। प्रश्न यह है कि क्या रेगुलर पानी स्वच्छ नहीं होता? और क्या आपके होटल में खाना भी बोतल के पानी से बनाया जाता है? कानून तो यह कहता है कि आप किसी भी होटल में स्वच्छ पानी एवं वाशरूम की सुविधा नि:शुल्क प्राप्त कर सकते हैं। यानी की होटल प्रबंधक एवं पेट्रोल पंप मालिक को भी अपने पंप पर वाशरूम एवं स्वच्छ पानी की सुविधा ग्राहकों को नि:शुल्क उपलब्ध कराना है, यह इन्हीं सेवा प्रदाताओं का दायित्व है।

आमतौर पर त्योहारों के दौर में जैसे राखी, दशहरा, दिवाली, होली आदि पर मिठाइयां 600 से 1000 रुपए प्रति किलो तक की कीमत पर बाजार में उपलब्ध रहती है, आप देखेंगे कि इनके पैकेट भी बड़े आकर्षक होते हैं और तोेलते वक्त कागजी दस्ते के इन पैकेट को मिठाई के वजन के साथ ही तोला जाता है।  यानी की इन दस्ते का वजन भी 1000 रुपए में ही बेचा जा रहा है। जरूरी है कि आप जब भी कोई वस्तु या सेवा प्राप्त करें तो उसका पक्का बिल अवश्य लें। ये न केवल आपको कानूनी हक दिलाता है, बल्कि दुकानदार को भी टैक्स जमा करने हेतु बाध्य करता है। आप जब भी कोई वस्तु या सेवा प्राप्त करें, तो इससे पहले 2-4 दुकानों पर देखकर गुणवत्ता व कीमतों की जानकारी से संतुष्ट होकर ही लें।
स्कूलों में बच्चों को प्रवेश दिलाने के पश्चात कुछ बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए, कि आप अपने बच्चों की पुस्तकें विद्यालयों द्वारा बताई गई दुकानों से लेने के लिए बाध्य नहीं है। आप बाजार में उपलब्ध किसी भी दुकान से पुस्तकें एवं आवश्यक सामग्री स्कूल ड्रेस, वाटर बैग आदि खरीद सकते हैं। छात्र/छात्राओं का पाठयक्रम नेट पर भी उपलब्ध रहता है जिसे सीधे नेट से डाउनलोड कर महंगी पुस्तकों के अतिरिक्त खर्चों से बचा जा सकता है। 

खाने-पीने की वस्तुएं बाजार में आसानी से उपलब्ध है यदि आप शाकाहारी हैं तो चेक कर लें क्या उसमें हरा निशान है। एक्सपायरी डेट अवश्य चेक कर लें।  विशेषकर दवाइयों में। वर्ना कई दिनों तक दवाइयां लेने पर भी हमें उसका लाभ ही नहीं होता। 

अचल संपत्ति जैसे - मकान, दुकान प्लाट लेते समय आवश्यक कागजात जैसे - नगर निगम टी एंड सीपी यदि ग्राम पंचायत में संपत्ति है, तो अनुमति-पत्र एवं आवश्यक सभी दस्तावेज खरीदने से पहले अवश्य निरीक्षण कर लें एवं आवश्यकता पड़ने पर विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें ताकि धोखाधड़ी से बचा जा सके। मेडिकल फील्ड को लेकर समाज में कहा जाता है कि सबसे ज्यादा भ्रामकता इसी क्षेत्र में है।  एमआरपी का मतलब (अधिकतम खुदरा मूल्य) यानी कि इससे ज्यादा कीमत पर वस्तु को नहीं बेचा जा सकता। इस मूल्य में आप मोल भाव कर सकते हैं, शासन द्वारा भी आपको कई जगह पर दवा कम मूल्य पर उपलब्ध कराई जा रही है। सामान्यत: देखने में आता है कि टेलीकॉम कंपनियों द्वारा अनुचित प्रकार से मोबाइल बैलेंस काटने के साथ ही कॉल ड्राप, नेटवर्क ना आना, अनचाही सुविधाएं चालू कर ग्राहकों का आर्थिक नुकसान किया जाता है। पेट्रोल पंप पर, शुद्ध पेट्रोल, पूरा पेट्रोल व बिल प्राप्त करना ग्राहक का अधिकार है। ज्वेलरी आदि की खरीदी में भी बिल लेना न भूलें।

ग्राहक संबंधी समस्याओं के हल के लिए शासन ने भी उपभोक्ता फोरम की स्थापना की है। उपभोक्ता फोरम द्वारा बहुत ही अच्छे निर्णय उपभोक्ता संरक्षण के हित में दिए जाते हैं। सभी ग्राहकों का कर्तव्य है कि हम जागरूक होकर व अन्य समाजजनों को भी जागरूक करें जिससे हम सभी के प्रयासों से शोषण मुक्त ग्राहक समाज की स्थापना हो सके।

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