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राजनीति को लोकनीति में बदलने वाले नेता हैं शिवराज

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Nov 29 2016 10:10AM | Updated Date: Nov 29 2016 10:10AM
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-नरेंद्र सिंह तोमर
केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री


मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शिवराजसिंह चौहान के 11 वर्ष के कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि मैं यह मानता हूं कि उन्होंने ‘राजा’ और ‘प्रजा’ के बीच की दूरियों को मिटा दिया है। अर्जुन की तरह प्रदेश के विकास का लक्ष्य सामने रखकर उन्होंने एक दशक में जो जनकल्याणकारी योजनाएं शुरू कीं, उनके सुपरिणाम अब साफ दिखाई देने लगे हैं। शिवराज सरकार के कार्यकाल में राजनीति लोकनीति से आबद्ध हुई तो प्रशासन को लोकोन्मुखी बनाने का उपक्रम हुआ। लोक बढ़ता ही जा रहा है। केंद्र  में मोदी सरकार के सत्ता संभालने के बाद इस विकास पर्व को नई गति और ऊर्जा मिली है।

ऐसा कम ही होता है कि कोई प्रदेश उसके मुखिया के नाम और काम से जाना जाए। एक दशक का कार्यकाल पहले भी कुछ लोगों को पहले भी मिला है, लेकिन राज्य को एक सुस्पष्ट विजन, गति और संकल्प के साथ आगे ले जाने का जैसा जुनून शिवराजसिंह चौहान का है, वह दूसरों के लिए भी प्रेरणादायी है। शिवराज अपनी सत्ता का रथ लोगों को साथ लेकर और उनकी भावनाओं का ध्यान रखकर हांकते हैं। सद्भाव संवाद और समन्वय उनकी कार्यशैली के मूल सूत्र हैं और यही बात उन्हें दूसरे समकालीन लोगों से अलग करती है।

किसी भी राज्य के विकास की तस्वीर का आकलन उस सरकार की योजनाओं, उनके क्रियान्वयन और नतीजों से होता है। सत्ता संभालते वक्त ही शिवराजसिंह चौहान ने  इन्हें चुनौती के रूप में लिया और अपने कौशल से सिद्ध करके भी दिखाया। करीब एक दशक पहले तक पिछड़े, गरीब और भावनात्मक रूप से बिखरे मध्यप्रदेश को शिवराज जैसे जमीन से जुड़े नेता ने विकासशील और अग्रणी राज्य में बदला है, वह राजनीति विज्ञान और प्रबंधन के विद्यार्थियों के लिए अध्ययन का विषय है। एक तरफ भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में शिवराजसिंह चौहान ने विकास की चुनौतियों को बहुआयामी दृष्टि से स्वीकार किया, तो दूसरी तरफ मप्रवासियों में अपने राज्य और जमीन के प्रति भावनात्मक लगाव पैदा किया।

मुख्यमंत्री के रूप में चुनौतियां राजनीति, प्रशासनिक और सामाजिक स्तर पर थीं। इसी के मद्देनजर शिवराज सरकार ने अपने चुनावी मात देकर भी राज्य में लोकतंत्र की भावना के अनुरूप विपक्ष की भूमिका का महत्व दिया। साथ ही जनता को सरकार की कार्यशैली में हिस्सेदार बनाया। देश के आर्थिक नक्शे में मप्र को रेखांकित करने राज्य में किसानों की स्थिति में सुधार, खेती को लाभ का धंधा बनाने, भ्रष्टाचार से मुक्ति, अधोसंरचना का तेजी से विकास, शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र  में मप्र को अग्रिम पंक्ति में लाने को न केवल प्राथमिकता दी, बल्कि उस पर अमल कर दिखाया। इसी का परिणाम था कि आज राज्य के सिंचाई क्षेत्र का विस्तार 40 लाख हेक्टेयर से भी अधिक होकर मप्र कृषि उत्पादन के क्षेत्र में देश के पांच श्रेष्ठ राज्यों में आ गया। मप्र को केंद्र सरकार द्वारा लगातार चार बार कृषि कर्मण अर्वार्ड से सम्मानित किया जाना, इसका प्रमाण है। शिवराजसिंह चौहान की इच्छाशक्ति के दूसरे राज्यों के लिए प्रेरणा का आधार बनी। मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार सड़क, बिजली और पानी जैस विकास के बुनियादी मुद्दों पर चुनाव जीत कर बनी थी। विगत 11 वर्षों में इन्हीं मुद्दों पर मप्र को खड़ा करने का अनुष्ठान जारी है। आज प्रदेश में 24 घंटे बिजली दी जा रही है। राज्य की विकास दर 10 प्रतिशत से ऊपर और कृषि दर 20 प्रतिशत के करीब पहुंच गई है। अब अगला कदम स्मार्ट सिटी और स्मार्ट विलेज का है। खेती के लिए पानी की कमी दूर करने के लिए नदियों को जोड़ने का उपक्रम शुरू हो चुका है। नर्मदा का पानी शिप्रा तक लाया जा चुका है। मध्यप्रदेश उद्योग और रोजगार की दिशा में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। इंदौर में हुई पिछली इन्वेस्टर्स समिट में हुए करार के बाद 5 लाख 2 हजार करोड़ रुपए के निवेश के इरादे मप्र को प्राप्त हुए।

शिवराज सरकार की एक और बड़ी उपलब्धि सामाजिक क्षेत्र में है। उन्होंने बेटियों को बचाने के लिए शासकीय स्तर पर बनी योजना को जन अभियान में बदल दिया। बेटी बचाओ, लाड़ली लक्ष्मी और मुख्यमंत्री कन्यादान योजनाएं इसी का आईना हैं। इस सरकार ने श्रवण कुमार के दायित्वों को ध्यान में रखते हुए बुजुर्गों के लिए बनी किसी भेदभाव के तीर्थ दर्शन योजना सफलता से लागू की। राज्य विकास  के पथ पर तेजी से आगे बढ़े इसके लिए केंद्र सरकार भी राज्य को हर संभव सहयोग दे रही है। जननायक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसान हितैषी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की घोषणा के लिए मप्र की भूमि को चुना। इसके अलावा मप्र में केंद्र के सहयोग से जल्द ही छह हजार करोड़ का रासायनिक खाद कारखाना और इंदौर के पास फार्मा क्लस्टर खुलने वाला है।

एक मुख्यमंत्री के रूप में शिवराजसिंह चौहान ने ग्यारह  वर्षों में राजनीति को लोकनीति की आकांक्षाओं पर बुनने का सफल प्रयास किया है। यही कारण है कि वे जनता के बीच मुख्यमंत्री से ज्यादा एक मामा, भाई और संकट में दौड़कर आने वाले लोकमित्र के रूप में ज्यादा जाने और पहचाने जाते हंै। राजनीति की कुटिलताओं, प्रशासन की जटिलताओं और जनाकांक्षाओं की विपुलताओं के बीच इतना सहज रहकर सत्ता का संचालन करना अपने आप में विरल योग है और शिवराजसिंह चौहान ने इसे पूरी क्षमता के साथ साधा है। उपलब्धियों के गुजरे 11 वर्ष भविष्य की अपेक्षाओं को और विस्तार देने वाले हैं। संतोष की बात है कि प्रगति पथ और तेजी से आगे बढ़ने के लिए जरूरी दृष्टि, दम और दिशा उनके पास है। भाजपा सरकार और उसके अगुवा शिवराजसिंह आगे भी इसी अविचल संकल्प के साथ विकास के पथ पर बढ़ते रहेंगे, इसका मुझे विश्वास है।

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