-वीना नागपाल
समाज और उसकी व्यवस्था से कई परिवर्तन ऐसे हो रहे हैं जो महिला हितैषी भी हैं और उन्हें काम करने की बेहतर सुविधाएं भी दे रहे हैं। इनके बारे में बात करना और जानकारी देना इसलिए जरूरी है कि जिससे अन्य संस्थान भी प्रभावित हों और वह भी इस दिशा में कदम बढ़ाएं।
कामकाजी महिलाएं ‘मां’ भी बनती हैं और वह यह चाहती हैं कि उनके मां बनने की स्थिति में उनका संस्थान उनका सहयोग करे और उनका भरपूर साथ दे। उनके ‘मां’ बनने पर नाक-भौं न सिकोड़े और यदि उन्होंने योग्यता व कुशलता से पहले कार्य किया है तो उसी के आधार पर अब उनका सहयोग करे। यह बहुत असंभव तो नहीं है पर, कितनी कंपनियां इस दिशा में काम कर रही हैं? इसके लिए एक सर्वेक्षण किया गया और लगभग 100 बेस्ट कंपनियों को चुना गया।
इसमें से 11 कंपनियों ने प्रथम 10 में अपना स्थान बनाया, जिन्होेंने महिला हितैषी होने तथा उनके साथ सहयोग करने में बहुत सार्थक भूमिका निभाई। 2016 में कंपनियों तथा प्रतिष्ठित संस्थानों में लगभग एक तिहाई महिला कर्मचारी काम कर रही हैं। इसमें उन कंपनियों ने जिन्होंने टॉप टेन में अपनी जगह बनाई उन्होंने अपने यहां काम करने वाली महिला कर्मचारियों को ‘मां’ बनने पर न केवल भरपूर मातृत्व अवकाश दिया बल्कि उनके ‘मां’ बनने के बाद भी काम पर लौटने पर उन्हें कई सुविधाएं दीं। उन्हें बहुत सुविधाजनक काम करने के घंटे दिए जिससे कि वह अपने नवजात शिशुओं की पूरी देखभाल कर सकें। यहां तक कि इन कंपनियों ने अपने पुरुष कर्मचारियों को भी पैरेंटल लीव दी, जिससे कि पह अपनी नई मां बनी पत्नियों की सहायता कर सकें और शिशु के लालन-पालन में हाथ बंटा सकें।
कुछ कंपनियां ‘‘मॉमई’’ नामक एक प्रोग्राम लागू कर रही हैं जिससे ‘मां’ बन चुकी महिला यदि दो-तीन वर्ष के लिए अपना काम छोड़कर अपने बच्चे की देखभाल करने के बाद यदि कंपनी में वापस आना चाहे तो उसे पुन: स्थान दिया जाए। यहां तक कि इन 10 प्रतिष्ठानों में कुछ ऐसे भी संस्थान हैं जो बच्चों की देखभाल के लिए ‘डे केयर सेंटर’ की व्यवस्था करते हैं, जहां मां अपने बच्चों को छोड़ सकती हैं और कंपनी इस सुविधा के लिए कोई धन राशि नहीं लेती अर्थात यह सुविधा ‘फ्री आॅफ कॉस्ट’ है।
जो महिला लंबी अवधि के लिए संस्थान से अवकाश लेती है और वह जब इसके बाद अपने काम पर लौटती है तो संस्थान द्वारा इस बीच आए परिवर्तन को समझने और जानने के लिए विशेष प्रशिक्षण देने तथा उससे परिचित होने के लिए विशेष व्यवस्था भी की जाती है। हम इन कंपनियों और संस्थानों के नामों की यहां सूची तो नहीं दे सकते जिन्होंने नवजात शिशुओं की मांओं को अपने यहां सुविधा दे रखी है पर, हम उनकी बहुत प्रशंसा करते हैं जिन्होंने महिलाओं के हित में इतने सार्थक कदम उठाए हैं, यहां तक कि यदि महिलाएं कम अवधि के लिए काम करना चाहें तो उन्हें इसके लिए कम अवधि के काम का वेतन देने की भी सुविधा दी जा रही है। इन सारे कदमों को उठाने के पीछे जो उद्देश्य है वह बहुत पवित्र व शुभ है, क्योंकि महिलाएं आर्थिक रूप से जब सुदृढ़ होती हैं तब उनका आत्मविश्वास से भरा आनंद उन्हें बहुत भीतर से मानसिक शांति देता है। वह उत्साहित व प्रफुल्लित रहती हैं। हम सब यही तो चाहते हैं। उन कंपनियों का आदर्श संस्थानों में भी लागू हो तो हमारी आबादी बहुत आनंदित व स्वस्थ हो जाएगी।
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