25 Apr 2024, 16:53:52 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-अश्विनी कुमार
पंजाब केसरी दिल्ली के संपादक
 
 
आम आदमी के होते ज्यादा से ज्यादा तीन अरमान
दो वक्त की रोटी, तन पर कपड़ा और हो अपना एक मकान
पूरा दिन करके काम बिना किए आराम,
आधी रोटी, थोड़ी सब्जी, पानी पीकर गुजर जाती शाम
पूरी उम्र करके काम नहीं किया कभी आराम
एक-एक ईंट जोड़कर भी नहीं हो पाता खुद का मकान...
 
हर आदमी का सपना होता है कि उसका भी अपना एक घर हो। पहले मकान बनता है फिर घर बनता है। वह घर जिसमें परिवार रहता है और उसमें आत्मीयता होती है। भारत जैसे गरीब देश में रोटी और कपड़े की तो कोई ज्यादा समस्या नहीं फिर भी अभी भी लगभग 20 करोड़ लोग रात को भूखे सोते हैं, देश में गरीबों के लिए आवास बहुत बड़ी समस्या है। इसलिए देश में झुग्गी बस्तियां बसती हैं। महानगरों में तो रहने के लिए झुग्गी की भी कीमत अब काफी महंगी है। बेघरों को घर मिलना एक दिव्या स्वप्न-सा लगता है। भूमि की कीमतें काफी ऊंची हैं, गरीब तो क्या मध्यम वर्ग के लिए मकान लेना असंभव-सा हो गया है। 
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आवासहीन लोगों को पक्के मकान देने की शुरुआत कर दी है। आगरा में उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत पांच लाभार्थी महिलाओं को आवंटन पत्र सौंपे। जिन महिलाओं ने आवंटन पत्र प्राप्त किए उनके चेहरे पर खुशी देखने वाली थी। उनमें से कुछ श्रमिक थीं, लेकिन आवास के नाम पर झुग्गी। जिस पर कभी सूर्य की मार पड़ती तो कभी वर्षा की मार। कभी-कभी बच्चों के साथ सारी-सारी रात जागना पड़ता था। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2022 तक सभी गरीबों के पास अपना आवास होगा, इसी संकल्प के साथ योजना की शुरुआत की है। इस आवास में बिजली, रसोई गैस और अन्य बुनियादी जरूरतों की पूरी व्यवस्था होगी।
 
इस योजना के तहत अगले तीन वर्ष में एक करोड़ आवासों का निर्माण किया जाना है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उत्तरप्रदेश सहित पूरे देश में पूर्ववर्ती इंदिरा आवास योजना से वंचित लोगों को आवास उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण में पुनर्गठित करने से पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है। इस योजना के तहत 2016-17 से लेकर 2018-19 तक तीन वर्ष में मैदानी क्षेत्र में 1.20 लाख रुपए और पर्वतीय क्षेत्रों को 1.30 लाख रुपए की सहायता प्रदान की जाएगी।
 
इस योजना की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री की एक खास बात यह रही कि जो लोग अपना मकान खुद बनाएंगे उन्हें मनरेगा के तहत मजदूरी भी दी जाएगी। यह योजना एक तरह से कौशल विकास से भी जुड़ी हुई है। मिस्त्रियों की संख्या में कमी को देखते हुए लोगों को प्रशिक्षण की व्यवस्था भी की जाएगी। अगर वे अपना घर खुद बनाते हैं तो बेहतर होगा। साथ ही उनका कौशल उन्हें उम्रभर रोजगार देगा। मकानों की संरचना ऐसी होगी जो क्षेत्रीय आधार पर उपयुक्त हो, मकानों की रचना में ऐसी खासियतें रखी जाएंगी जो उन्हें प्राकृतिक आपदाओं से बचा सकें। लाभार्थियों का चयन ग्राम सभा की वरीयता सूची के आधार पर पारदर्शितापूर्ण ढंग से किया गया है। परियोजना से जुड़े सभी लोगों के लिए गहन क्षमता सर्जक प्रक्रिया निर्धारित की गई है।
 
मकान एक आर्थिक संपत्ति है एवं स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्रों में सकारात्मक प्रभाव डालने के साथ ही सामाजिक उन्नति में योगदान देता है। किसी परिवार के लिए रहने का स्थायी मकान होने के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष फायदे अमूल्य एवं ढेरों हैं। निर्माण क्षेत्र भारत में दूसरा सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता है। इस क्षेत्र का 250 से भी ज्यादा अधीनस्थ उद्योगों से वास्ता है। 
 
ग्रामीण आवास योजना के विकास से ग्रामीण समाज में रोजगार का सृजन होता है और इससे गांवों के अर्थतंत्र का विकास होता है। रहने के लिए वातावरण बेहतर होने के अप्रत्यक्ष फायदे, श्रम उत्पादकता एवं स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव के रूप में होते हैं। पोषण, स्वच्छता, माता एवं बच्चे के स्वास्थ्य समेत मानव विकास के मापदंडों पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जीवन स्तर बेहतर होता है।
अक्सर हमारी योजनाएं भ्रष्टाचार की शिकार हो जाती हैं। जिन परियोजनाओं में सार्वजनिक धन का निवेश होता है उन पर सतत निगरानी जरूरी है। प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए चयनित लोगों की सूची में गड़बड़ी की शिकायतें भी मिली थीं, जिनकी पूरी जांच-पड़ताल की गई।

 

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