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Gagar Men Sagar

मोदी के पास मां है, इसलिए जलता जहां है...

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Nov 17 2016 10:58AM | Updated Date: Nov 17 2016 10:58AM
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-किशोर वाधवानी
प्रधान संपादक एवं चेअरमैन
दबंग दुनिया समूह


मेरे पास बंगला है..., गाड़ी है..., नौकर है..., बैंक बैंलेंस है..., तुम्हारे पास क्या है?  इसके आगे का जवाब आप जानते हैं। हिंदी सिनेमा की सुपरहिट फिल्म दीवार का वह यादगार डायलॉग दशकों बाद भी लोग नहीं भूले। जिसके पास मां हो, उसके पास संसार का सबसे अनमोल खजाना है और यही खजाना भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास भी मां हीराबेन के रूप में हर पल साथ होता है। मोदी देश के काले कुबेरों के खिलाफ जो घरेलू जंग लड़ रहे हैं, उसमें अब उनकी मां श्रीमती हीराबेन बेटे के साथ खड़ी हो गई हैं। 95 साल की हीराबेन ने यह नहीं सोचा कि मैं प्रधानमंत्री की मां हूं, इसलिए रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया मेरी चौखट पर नाक रगड़ने आएगा। मेरे नोटों को बदलकर उसे देगा।
मां हीराबेन ने देश की जनता को परेशानियों से अकेले नहीं जूझने दिया, बल्कि वे स्वयं पुराने नोटों को बदलने के लिए बैंक पहुंचीं और आम नागरिकों की भांति पुराने नोट बदलकर घर लौट गर्इं। प्रधानसेवक की इस मां को देश की करोड़ों जनता की ओर से सलाम, जिसने एक आदर्श प्रधानमंत्री की मां होने का अतुलनीय उदाहरण पूरी दुनिया के सामने पेश किया है।

इस मां ने देश के आम नागरिकों को संदेश दिया है कि उनके बेटे के राज में कोई  वीवीआईपी नहीं है। अमीर- गरीब सब बराबर हैं। जो साहस नरेंद्र मोदी पर लगातार हमले करने वाले राजनीतिक दल नहीं दिखा सके, उसे पीएम की मां ने दिखा दिया। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस, सपा, बसपा और आम आदमी पार्टी की ओर से उनके परिवार का कोई सदस्य अभी तक बैंक की लाइन में खड़ा नहीं दिखा।

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पिछले दिनों नोट बदलवाने बैंक क्या पहुंचे, कांग्रेसियों ने उनके इस कदम को इतना महिमा मंडित किया, जैसे राहुल गांधी ने देशहित में कोई महान कार्य किया हो। हिंदुस्तान में कांग्रेस के बंटाढार होने का यही कारण है। कांग्रेसी जनता के दु:ख-सुख में शरीक होने से ज्यादा दिल्ली दरबार की परिक्रमा में लगे रहते हैं। इसीलिए उनका ऐसा हाल है कि जनता उन्हें जालिम सास मानती है। हीराबेन के बैंक जाने पर भी सियासत शुरू हो गई है। विरोधी इसे सियासी स्टंट बताकर जनता की नजरों में खुद को प्रासंगिक बनाए रखने का प्रयास तो करेंगे ही। वरना, उन्हें कौन पूछेगा?  जिसके पास हीराबेन जैसी आयरन मदर हो, उससे जमाना तो जलेगा ही। मोदी को ग्लोबल लीडर बनाने में उनकी मां के संस्कारों का बहुत बड़ा योगदान है। इस मां से मिलने का अवसर एक मर्तबा मुझे मिल चुका है। मैंने उन्हें करीब से जाना- समझा है।

इस उम्र में भी हीराबेन की सोच और साहस अद्भुत है। कालेधन के खिलाफ शुरू किए गए ऐतिहासिक महाअभियान की सराहना भारत की जनता ही नहीं, बल्कि पड़ोसी राष्ट्र चीन, जापान यहां तक कि पाकिस्तान जैसे देशों ने की है। नकली नोटों का साम्राज्य मोदी ने तबाह कर दिया है। इसलिए जानबूझकर कई तरह के भ्रम सोशल मीडिया के हवाले से फैलाए जा रहे हैं, जिनसे हमें बचने की जरूरत है। एक उद्योगपति होने के नाते मुझे भी नए नोट हासिल करने में वही दिक्कत हो रही है जो एक आम नागरिक को है।

उम्मीद की जानी चाहिए कि मोदी का यह अभियान देश में कालेधन के अड्डों का समूल नाश करने में ब्रह्मास्त्र सिद्ध होगा। धीरे- धीरे हालात सुधर रहे हैं। अब प्रधानमंत्री की मां ने जो राह देश को दिखाई है, उससे सबक सीखना चाहिए। यह हीराबेन के आशीर्वाद और घनघोर तप का ही फल है जो मोदी आज कामयाबी के शिखर पुरुष बने हुए हैं। यह भी सच है कि यह हीराबेन के अथक संघर्षों का ही फल है, जो नरेंद्र मोदी जैसा कोहिनूर बेटा उन्हें मिला है।

लोगों को मोदी का सिर्फ संघर्ष और चाय बेचने की कहानी याद है। उनकी सफलता की असली कुंजी तो 95 वर्षीय हीराबेन हैं, जिनका आंचल हर समय शत्रुओं से बेटे नरेंद्र की रक्षा करता है। यही वो कवच है, जिसे आज तक कोई भी इंसान भेद नहीं पाया। जब- जब संघर्ष की बदली छायी, हीराबेन के आंचल की छांव में मोदी पार होते गए। एक बार फिर उसी मां का सहारा मोदी को मिला है। इसलिए यह मान लीजिए कि विरोधियों की दाल इस बार भी नहीं गल पाएगी।

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