24 Apr 2024, 22:04:22 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-कैलाश विजयवर्गीय
भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री


नरेंद्र भाई मोदी का स्टाइल और स्ट्राइक मुझे बहुत भाता है। उनके काम करने के स्टाइल और स्ट्राइक का मैं शुरू से ही कायल रहा हूं, प्रधानमंत्री बनने के बहुत पहले से। गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए मोदीजी उज्जैन में 2004 के सिहंस्थ में आए थे। पूरे दिन उनके साथ रहा और उनकी बातें सुनकर लगता था कि नए अंदाज के नेता हैं। भाजपा के संगठन महामंत्री रहते हुए भी उनके कामकाज को बड़ी बारीकी से देखने का मौका मिला। फैसले लेने में जितनी तेजी, उतनी ही तेजी लागू कराने में। हरियाणा विधानसभा के पिछले चुनाव के दौरान भी भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता मोदीजी के बारे बताते थे, कैसे प्रभारी रहते हुए उन्होंने राज्य में पार्टी की चाल-ढाल बदल दी। पांच सौ और हजार रुपए के नोट बंद करने की घोषणा से एकदम लोग हैरान तो हुए पर खुश भी बहुत हुए। कुछ ही ऐसे लोग हैं जो सन्न हो गए हैं। लोकसभा चुनाव से पहले मोदीजी ने कालेधन को बाहर लाने का जो वादा किया था, वह पूरा कर दिखाया।

प्रधानमंत्री बनने के बाद से उन पर लगातार कालेधन को लेकर प्रहार किया जा रहा था। ऐसा भी नहीं है कि केंद्र सरकार ने कालेधन के खिलाफ एकाएक फैसला लिया है। सरकार ने आय घोषणा योजना लागू की थी। लोगों को काला धन घोषित करने का समय दिया। दिवाली से एक सप्ताह पहले वडोदरा में उन्होंने काले धन को लेकर चेतावनी दी थी कि पैसा बाहर निकाल लो नहीं तो दीवाला निकल जाएगा। प्रधानमंत्री ने बताया था कि काले धन की घोषणा न करने वालों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा भी था कि आईडीएस के तहत 65,000 करोड़ रुपए से अधिक की बेहिसाब संपत्ति की घोषणा हुई है, वह भी बिना किसी सर्जिकल स्ट्राइक के। सर्जिकल स्ट्राइक होगा तो क्या होगा। जन धन योजना के तहत आधार नंबर को सीधे लिंक कराकर बिना बिचौलियों पैसे का स्थानांतरण सीधे तौर पर करके 36,000 करोड़ रुपए भी सरकार ने बचाए हैं। कुल मिलाकर लगभग एक लाख करोड़ रुपए सरकार को मिले। बड़े नोट बंद करने का झटका केवल बड़े काले धन वालों को लगेगा। आम जनता को कुछ दिन परेशान हो सकती है। मोदीजी ने राष्ट्र के नाम संदेश में कहा भी है कि देश का ईमानदार नागरिक असुविधा तो चुनेगा लेकिन भ्रष्टाचार नहीं। ये देश की सफाई का अभियान है, ताकि हर नागरिक गर्व के साथ यह काम कर सके। दुनिया को दिखा दें कि भारत का नागरिक कितना ईमानदार है। कार्ड और चेक से लेनदेन पर असर नहीं पड़ेगा।

यह सही है कि पांच सौ और हजार के नोट बंद करने का फैसला अचानक हुआ। केंद्र के मंत्रियों तक को कोई भनक नहीं लगी। नोट बंद करने से पहले ही सरकार ने जनता को परेशानी से बचाने के लिए तैयारी कर ली थी। दो हजार के नोट छपने लगे थे। मोदीजी के ऐलान से पहले ही रिजर्व बैंक ने देशभर में दस फीसदी एटीएम में केवल सौ-सौ रुपए के नोट निकालने के निर्देश दिए थे। तब भी लोग समझ नहीं पाए कि ऐसा क्यों किया जा रहा है। देशभर में दो, पांच, दस, बीस, पचास, सौ, पांच सौ और हजार रुपए के सभी नोटों का मिलाकर 16,415 अरब रुपए है। पांच सौ के 1650 करोड़ नोट बाजार में हैं। हजार रुपए के 6.3 लाख करोड़ की कीमत वाले 670 करोड़ नोट लोगों के पास हैं। पांच सौ की नोटों की हिस्सेदारी करेंसी में का 47.85 फीसदी है और हजार के नोटों का हिस्सा है 38.54 फीसदी। मैं तो किराना व्यापारी हूं और छुट्टे पैसों की कीमत अच्छी तरह जानता हूं। यह भी सभी जानते हैं कि बड़े नोट ही छिपाकर रखे जाते हैं। अब जिनके पास काले धन की भरमार है, उनके ही काले दिन आएंगे। आम जनता को परेशानी से बचाने के लिए पूरे इंतजाम किए गए हैं। नोट बदलने के लिए पचास दिन भी दिए गए हैं। यह लड़ाई काले धन के खिलाफ तो है ही साथ देश में आतंक फैलाने के लिए पाकिस्तान से आने वाले नकली नोटों को बंद करने के लेकर भी है। बाजार में नकली नोट आने के कारण हर दुकानदार पांच सौ और हजार के नोट को बड़े गौर से देखकर लेता था। बड़ा नोट देते समय दुकानदार जिस तरह से देखता था तो ऐसा लगता था कि जैसे कोई बड़ी गलती हो गई है। दो बार पूछ भी लेता था, भैया नोट तो असली है। लोगों को अब नकली और असली की पहचान की झंझट से भी मुक्ति मिलेगी। पचास दिन के बाद यह भी पता चल जाएगा कि कितना काला धन लोगों के पास रह गया। काला धन क्या, जिनके पास बेहिसाब पैसा है उनके लिए अब कागज के टुकड़े ही रह जाएंगे।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 500 और 1000 रुपए के नोटों को हटाने के केंद्र के फैसले को 'निर्मम और बिना सोच समझकर' लिया गया बताया है। उनका कहना है कि वित्तीय दिक्कतें होंगी। उन्होंने फैसले को तुरंत वापस लेने की मांग भी कर दी है। एक तरफ ममता बनर्जी मोदी सरकार पर विदेश से काला धन वापस लाने में नाकामी से ध्यान हटाने के लिए नाटक करने का आरोप लगा रही है और दूसरी तरफ दिक्कतों को लेकर बड़े नोटों की वापसी चाहती है। उनकी यह मांग और आरोप के पीछे असली वजह है पश्चिम बंगाल में नकली नोटों की भरमार। पाकिस्तान और बांग्लादेश से जाली करेंसी बड़े पैमाने पर पश्चिम बंगाल में आई है। नकली करेंसी के सहारे आतंकवादियों का गढ़ बन गया है पश्चिम बंगाल। वैसे कांग्रेस ने भी सरकार के इस फैसले का आधिकारिक तौर पर स्वागत किया है। एक मनीष तिवारी जैसे नेता ने ही तुगलकी फरमान बताया है। कांग्रेस में ही उन्हें कोई गंभीरता से नहीं लेता है तो देश की जनता कैसे गंभीरता से लेगी। आमतौर पर सभी दलों ने मोदी सरकार के फैसले का स्वागत किया है। कुछ लोगों को चिंता होना लाजिमी है। अगले साल होने विधानसभा चुनावों पर भी इस घोषणा से असर होगा। जनता के बीच काम करने वाले लोगों को अब नोट बांटने की जरूरत नहीं होगी और पैसे के सहारे राजनीति करने वालों को लगेगा, जोर का झटका।

यह भी सही है कि ऐसा फैसला केवल और केवल मोदीजी ही कर सकते थे और उन्होंने करके भी दिखा दिया। काले धन के खिलाफ कार्रवाई न करने के आरोप लगा-लगा कर कोसने वालों को ही मोदीजी का यह फैसला पसंद नहीं आ रहा है। बाकी जनता तो खुश है और मोदीजी इस बात पर गौर करने की जरूरत है कि देश के सामान्य नागरिक की एक ही तमन्ना है कि वह कुछ भी कर गुजरने को तैयार है। आतंक के खिलाफ जंग में हम थोड़ी-सी कठिनाई कुछ दिनों के लिए तो सहन कर ही सकते हैं। मेरा विश्वास है कि आम आदमी भ्रष्टाचार के खिलाफ शुचिता के इस महान यज्ञ में खड़ा होगा। दिवाली के पर्व के बाद ईमानदारी के इस उत्सव में आप बढ़-चढ़कर भाग लें। सरकार ने कर दिखाया और अब हमारी बारी है कि कुछ परेशानी हो तो कुछ दिन उठा लीजिए पर देश से भ्रष्टाचार का खात्मा हो जाएगा।

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