-राहुल लाल
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव उलझता जा रहा है। मुकाबला उतना सीधा, सरल और एकपक्षीय नहीं रहा, जैसा पहले समझा जा रहा था। चुनावी सर्वेक्षणों में अब धीरे-धीरे समीकरण बदल रहे हैं। अमेरिकी चुनाव में अब बहुत कम वक्त बचा है, ऐसे में अब बार-बार प्रश्न उठ रहा है कि अमेरिका का अगला राष्ट्रपति कौन होगा? एक तरफ उदार सांस्कृतिक बहुलता है, जिसमें एशियाई, अफ्रीकी तमाम रंग मिलकर एक अमेरिकी पहचान निर्मित करते हैं, वहीं दूसरी ओर श्वेत आबादी की एक यह कसक है कि वह अपनी पूरी योग्यता के बावजूद अपने ही मुल्क में पीछे छूट रही है। अपने बयानों, अपने ही कई सनसनीखेज पूर्व खुलासों के बावजूद अगर ट्रंप अब भी न केवल में रेस में बने हुए हैं अपितु रेस में नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं, तो इसका मतलब है कि अमेरिका के अंदर एक प्रकार का अतिवाद सक्रिय है, जो स्वयं अमेरिकी जीवनशैली एवं संस्कृति के ही खिलाफ है।
चुनाव पूर्व सर्वे बता रहे हैं कि कड़ी टक्कर है। रिपब्लिकन पार्टी के दावेदार डोनाल्ड ट्रंप ने एक सर्वेक्षण में अपनी डेमोक्रेटिक प्रतिद्वंदी हिलेरी क्लिंटन को पीछे छोड़ दिया है। एबीसी न्यूज और वाशिंगटन पोस्ट के ताजा सर्वेक्षण में ट्रंप को 46% और हिलेरी को 45% मत मिले हैं। मई से चल रहे सर्वेक्षणों में पहली बार ट्रंप अपनी प्रतिद्वंदी से बढ़त बना पाए हैं। एफबीआई द्वारा क्लिंटन की ईमेल जांच दोबारा शुरू करने से भी ट्रंप को लाभ पहुंचा है। हिलेरी पर यह आरोप है कि उन्होंने अपने घर के निजी सर्वर का प्रयोग अपने आधिकारिक ई-मेल के लिए किया। एफबीआई की इस जांच के बाद राजनीति तीव्र हो गई है। ट्रंप का आरोप है कि हिलेरी को बचाया जा सकता है। हिलेरी ने ई मेल मामले की एफबीआई द्वारा दोबारा की जा रही जांच को चुनौती दी है। ओहायो की रैली में उन्होंने कहा कि किसी भी गड़बड़ी के साक्ष्य के बिना ही मतदान से पूर्व एफबीआई भी चुनावी मैदान में कूद पड़ी है।
दूसरी ओर ट्रंप पर एक गुप्त सर्वर संबंधित सनसनीखेज आरोप लगे हैं। एक अमेरिकी पत्रिका 'स्लेट' ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि न्यूयार्क के ट्रंप टॉवर में ट्रंप आॅर्गेनाजेशन का एक गुप्त सर्वर था। इसके माध्यम से रूस की सबसे बड़ी निजी व्यावसायिक बैंक 'अल्फा बैंक' के साथ गुप्त संवाद किया परंतु ट्रंप के प्रचार अभियान दल ने इसका खंडन किया है, वहीं हिलेरी ने इस पर कहा कि अब ट्रंप को इस गुप्त सर्वर के द्वारा रूस के साथ अपने संबंधों पर जवाब देना होगा।
बहुत हाल तक यह सबने मान लिया था कि हिलेरी क्लिंटन ही जीतेंगी, परंतु इस सप्ताह ट्रंप ने अचानक स्थिति बदली है। 2008 में भी हिलेरी ने उम्मीद बंधाई थी कि वे अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति होने जा रही हैं, लेकिन तब बराक ओबामा ने प्राइमरी में ही उन्हें राष्ट्रपति चुनाव के दौड़ से बाहर कर दिया था। इस बार मुख्य राजनीतिक दल का राष्ट्रपति उम्मीदवार बनकर हिलेरी क्लिंटन ने इतिहास तो रच ही दिया है। किसी मुख्य राजनीतिक दल की राष्ट्रपति चुनाव में हिलेरी पहली उम्मीदवार हैं और उनके सामने ट्रंप हैं। दोनों के बीच अब तक तीन प्रेसिडेंसियल बहस हो चुकी है और अब जनता के फैसले का वक्त है। करीब 12 करोड़ मतदाता अगले अमेरिकी राष्ट्रपति का चयन करेंगे।
अमेरिकी चुनाव के कुछ सकारात्मक पहलुओं के अलावा अब एक नजर दूसरे पक्ष पर भी। अमेरिका में पहली बार ऐसे चुनाव हो रहे हैं, जिसमें नस्लीय, मजहबी, नफरत सियासत का अभिन्न हिस्सा बन गई है। बहुत खुलकर ये बातें सामने आ रही हैं। ट्रंप खुले आम गोरे अमेरिकियों के प्रवक्ता बन गए हैं। खास तौर पर कहा जा रहा है कि ट्रंप व्हाइट मिडिल क्लास या व्हाइट मैन के दरअसल प्रवक्ता बन गए हैं। इसके अंदर एक ऐसा तबका बन रहा है जो हिलेरी के उदार रुख के बुरी तरह खिलाफ है। हिलेरी क्लिंटन नारिवादियों की पसंदीदा उम्मीदवार हैं और अब और भी ज्यादा जब ट्रंप के ऊपर बहुत सारी महिलाओं ने कई आरोप लगाए हैं। इन चुनावों में अमेरिका में कई नस्लीय नारे भी दिख रहे हैं, वे इस बात की गवाही देते हैं कि इन चुनावों में नस्लवाद एवं नफरत कितनी ज्यादा है। उदाहरण के लिए पेनसिलवेनिया के एक गन स्टोर के विज्ञापन को देखा जा सकता है। इसके विज्ञापन में कहा गया है कि हम मुसलमानों और डेमोक्रेटिक उम्मीदवार क्लिंटन समर्थकों को हथियार नहीं बेचेंगे।
हम आतंकियों को बंदूक बेचकर सुरक्षित महसूस नहीं करते। इन वाक्यों को न केवल दुकान पर लिखा गया है बल्कि एक अखबार में विज्ञापन भी दिया गया। इस गन स्टोर के विज्ञापन से अमेरिका में फैलती धार्मिक कट्टरता को समझा जा सकता है। अमेरिका में 1964 का सिविल राइट एक्ट धर्म के आधार पर किसी भी सार्वजनिक स्थान पर किसी भी भेदभाव का विरोध करता है। 8 नवंबर को चुनाव है, चुनाव पूर्व इस प्रकार की अजीबोगरीब घटनाओं में वृद्धि संभव है।
साथ ही यह चुनाव अमेरिकी मतदाताओं के उस भाव को भी प्रकट करता है कि काश कोई तीसरा विकल्प भी होता। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक अखबार की ओर से कराए गए सर्वें से यह पता चलता है कि हिलेरी की सबसे बड़ी ताकत प्रतिद्वंदी ट्रंप ही हैं। सर्वें में शामिल छात्रों ने हिलेरी को भरोसेमंद नहीं माना, पर ट्रंप से बेहतर बताया। इस तरह जब हिलेरी पर गंभीर आरोप लगते हैं तो ये लोग मजबूरीवश ट्रंप का समर्थन करते हैं। ऐसे में इन चुनावों में ट्रंप और हिलेरी से नाखुश काफी मतदाता हैं पर उनके पास कोई तीसरा विकल्प न होने के कारण वे इनमें से ही किसी को मतदान के लिए बाध्य हैं।
इन तमाम स्थितियों के बीच अश्वेतों को लुभाने के लिए हिलेरी ने जीतने पर मिशेल ओबामा को भी मंत्रिमंडल में शामिल करने की घोषणा कर अपनी स्थिति मजबूत करने का प्रयास किया है। अब जब अमेरिकी चुनाव काफी नजदीक हैं, फिर भी इसमें नित नए रंग जुटते ही जा रहे हैं। यही तमाम कमियों के बावजूद लोकतंत्र के महापर्व का आनंद भी है।