26 Apr 2024, 01:48:18 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-आर.के. सिन्हा
सांसद, राज्यसभा


अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर दिवाली की बधाई दी। उसके बाद मोदी ने एक ट्वीट करके कहा कि यह जानकर अच्छा लगा कि व्हाइट हाउस में भी दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। अमेरिका में वर्ष 2009 में पहली बार किसी अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर पर बराक ओबामा ने व्हाइट हाउस के ईस्ट रूम में दीपोत्सव का परंपरागत दीया जलाया था। इस बार तो अमेरिका में चुनाव अभियान चल रहे हैं। रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार ट्रंप उनकी 34  वर्षीय बेटी और डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की पत्नी हिलेरी क्लिंटन ने भी हिंदू मंदिरों और प्रवासी भारतीयों के संगठनों में जा जाकर अभी से दीए जलाने शुरू कर दिए हैं।
दरअसल अब आलोक पर्व दिवाली सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं रह गई है। इसे सारे संसार के चप्पे-चप्पे में मनाया जाता है। यह महापर्व भारत की सीमाओं को तो बहुत पहले ही लांघ चुका है। अब तो दिवाली एक तरह से क्रिसमस और ईद की तरह से विश्व पर्व की श्रेणी में रखा जा सकता है।

दरअसल, भारत से दशकों पहले (सन् 1834 से 1884 के बीच) सात समंदर पर चले गए भारतीय अपने तीज-त्योहारों को अब भी बहुत ही श्रद्धा और उत्साह के भाव से साथ मनाते हैं। नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. विद्याधर सूरजप्रसाद नायपाल पहली बार 1961 में दिवाली की रात को ही बंबई पहुंचे। यह देखकर उन्हें भारी निराशा हुई कि यहां पर ज्यादातर घरों के बाहर मोमबत्तियों से आलोक सज्जा हो रही थी। उनके देश त्रिनिदाद में दिवाली पर अब भी मिट्टी के दिए जलाने का प्रचलन है। मोमबत्ती जलाने की परंपरा चर्चों के आविर्भाव के बाद प्रारंभ हुई, यानी दो हजार वर्ष पूर्व, जबकि दीपक की परंपरा हजारों वर्ष पूर्व रामायण और महाभारत काल में भी मिलती है। वास्तव में मोमबत्ती जलने से प्रदूषण फैलता है। इसके ठीक विपरीत मिट्टी के दिए में तिल, अरंड, करंज, सरसों, नारियल आदि के तेल या शुद्ध घी में रुई की बाती जलाने पर वातावरण शुद्ध होता है।

अगर डॉ. नायपाल देश के किसी गांव में जाते तो उन्हें कतई निराशा नहीं होती, क्योंकि छोटे शहरों और गांवों में अब भी दीए जलाए जाते हैं। दीपोत्सव की तैयारियां कई देशों में दो-दो हफ्ते पहले शुरू हो जाती है। बीते दिनों निजी कार्य के सिलसिले में सिंगापुर गया था। अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से ही टापू राष्ट्र पर दिवाली का खुमार चढ़ चुका था। भारतीय आबादी के गढ़ से रंगून या लिटिल इंडिया के बाजार और तमाम सड़कें दिवाली के लिए सज चुकी थीं। यह आलम चीनी आबादी वाले क्षेत्रों से लेकर एयरपोर्ट तक है। प्रकाश पर्व अब सिंगापुर की सांस्कृतिक पहचान में शामिल हो चुका है। सिंगापुर में इस दिन सरकारी छुट्टी रहती है। श्रीलंका, म्यांमार,  थाईलैंड,  मलेशिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया, आॅस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फिजी, मॉरीशस, केन्या, तंजानिया, दक्षिण अफ्रीका, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो, नीदरलैंड्स, कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका वगैरह में भी दिवाली की छटा देखते ही बनती है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने बीते साल दिवाली पर मांट्रियल में भारतीय आबादी के साथ डांस फ्लोर पर डांस किया। कैरेबियाई टापू देश त्रिनिदाद और टोबैगो में बड़ी संख्या में भारतीय बसे हैं और वहां खूब धूमधाम से दिवाली मनाई जाती है। लोग घरों में पूजा करते हैं। त्रिनिदाद और टोबेगो की आबादी में लगभग एक चौथाई हिंदू हैं। त्रिनिदाद में सन् 1845 में भारतवंशियों की पहली टुकड़ी पहुंची थी। उसी वर्ष से वहां दिवाली का उत्सव मनाया जाता है। त्रिनिदाद और टोबेगो में दीपावली के पर्व पर राष्ट्रीय अवकाश होता है।  त्रिनिदाद के करीबी देश गुयाना में भी हिंदुओं की तादाद खासी है। वहां पर भी आलोक पर्व को बहुत ही भव्य तरीके से मनाया जाता है। गुयाना के तत्कालीन राष्ट्रपति छेदी जगन को इस बात का गौरव हासिल है कि वे पहले भारतीय मूल के शख्स थे,जिन्हें देश से बाहर राष्ट्राध्यक्ष बनने का गौरव मिला। वे 1961 में गुयाना के राष्ट्रपति बने थे। बाद में मारीशस आजाद होने के बाद जब आम चुनाव हुए तो भारतीय मूल के सर शिवसागर रामगुलाम मारीशस के प्रथम प्रधानमंत्री  और बाद में राष्ट्रपति भी बने।

त्रिनिदाद और टोबेगो और गुयाना में त्योहारों की धूम गणेश जयंती के साथ ही शुरू होती है। गणेश जयंती के बाद 15 दिनों तक पितृपक्ष, उसके बाद नवरात्रि, रामलीला आदि उत्सव मनाए जाते हैं, फिर मनाई जाती है दिवाली। त्रिनिदाद के पूर्व प्रधानमंत्री वासुदेव पांडे एक बार बता रहे थे त्रिनिदाद के किसी भी छोटे-बड़े शहर का दिवाली पर नजारा भारत के किसी गांव की तरह ही होता है। भारत के विपरीत प्रवासी भारतीय अपने घरों और अन्य इमारतों पर तेल के दीए ही जलाते हैं। जब ये ढेर सारे दीए दीपावली की रात को एक साथ प्रकाशमय होते हैं, तो दृश्य ही अदभुत होता है।

त्रिनिदाद की राजधानी पोर्ट आॅफ स्पेन शहर के तो एक बड़े चौराहे का नाम ही दिवाली स्ट्रीट है। अंग्रेज भारत के गन्ना प्रधान प्रदेशों, मुख्य रूप से उत्तरप्रदेश और बिहार तथा दक्षिण में महाराष्ट्र और तमिलनाडु के लोगों को गन्ने के खेतों में खेती करवाने के लिए इन देशों में बंधुआ मजदूर बनाकर ले गए थे, चूंकि इनसे एक एग्रीमेंट पर दस्तखत या अंगूठे का निशान लगवाया जाता था, इसीलिए इन्हें प्रचलित भाषा में गिरमिटिया कहा जाने लगा। कनाडा में तो तेज आवाज वाले पटाखे छोड़ने पर रोक है। यहां अलग-अलग भारतीयों के क्लब या केंद्र हैं, जहां पर भारतीय अपने त्योहार मनाने के लिए एकत्र होते हैं। पड़ोसी देश नेपाल के काठमांडू सहित सभी नगर में दीपावली का पर्व पांच दिन तक मनाया जाता है। परंपरा वैसी ही है जैसी भारत की है। हां, थोड़ी भिन्नता है। पहले दिन कौवे को और  दूसरे दिन कुत्ते को भोजन कराया जाता है। लक्ष्मी पूजा तीसरे दिन होती है। इसी दिन से नेपाल संवत शुरू होता है, इसलिए व्यापारी इसे शुभ दिन मानते हैं। चौथा दिन नए साल के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन महापूजा होती है और बेहतर स्वास्थ्य की कामना की जाती है। पांचवां दिन भाई टीका होता है, जब बहनें भाइयों का तिलक करती हैं।  अगर बात अफ्रीकी देश मारीशस की करें तो वहां भारतवंशी दीपावली पर लक्ष्मी पूजन पूरी विधि-विधान से करते हैं। वहां मिठाइयां घरों में ही बनाने की परंपरा  है। बड़ी बात यह है कि दीपोत्सव पर  भारतवंशी परंपरगत भारतीय वेशभूषा में ही होते हैं।

आॅस्ट्रेलिया में भी दीपावली की धूम रहती है और मेलबोर्न में तो श्री शिवविष्णु मंदिर में दिवाली की रौनक देखते ही बनती है। न्यूजीलैंड में भी भारतीय रोशनी का पर्व मनाते हैं। दोनों ही देशों में दीपावली पर सार्वजनिक अवकाश रहता है। भले ही पाकिस्तान में हिंदुओं को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाए पर वहां भी हिंदू रोशनी का पर्व धूमधाम से मनाते हैं। कराची के स्वामी नारायण मंदिर में हिंदू  एकत्र होकर पूजा-अर्चना करते हैं और पटाखों के साथ दिवाली मनाते हैं। पिछले साल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भी हिंदुओं को संबोधित किया था और शुभकामनाएं दी थीं, मतलब आपके साथ इस बार भी दिवाली  दुनिया के तमाम भागों में भारतवंशी के साथ-साथ पूरा विश्व पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाएंगे।

 

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