29 Mar 2024, 13:21:51 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-अश्विनी कुमार
पंजाब केसरी दिल्ली के संपादक


कालेधन के मुद्दे पर कड़ी आलोचना के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के प्रयास रंग लाने लगे हैं। विदेशी बैंकों में जमा कालेधन का मुद्दा पिछले दो लोकसभा चुनावों में काफी महत्वपूर्ण रहा है और प्रधानमंत्री के चुनावी जुमले भी काफी चर्चित हुए। विपक्षी दल आज तक इस मुद्दे पर नरेंद्र मोदी को निशाने पर लेते रहे हैं। अंतत: प्रधानमंत्री ने उन तमाम आलोचनाओं का जवाब दे दिया है और उन्होंने संकेत भी दे दिया है कि सरकार द्वारा ब्लैकमनी रखने वालों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की जाए तो कितना कालाधन सामने आएगा, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। वडोदरा के कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि उनकी सरकार बड़ी-बड़ी बात नहीं करती। आधार नंबर और जनधन एकाउंट की मदद से सीधे वंचितों के खाते में सबसिडी पहुंचा कर 36 हजार करोड़ रुपए बचाए गए हैं। पहले गैस के सिलेंडर, स्कालरशिप, पेंशन आदि से जुड़ा सरकारी पैसा गलत तरीके से कई खातों में जाता था पर कोई पूछने वाला ही नहीं था, लेकिन उनकी सरकार आने के बाद स्थिति बदली है।
आय घोषणा योजना की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों ने भी ऐसी योजनाएं पेश की थीं पर इस सरकार की विश्वसनीयता से 65000 करोड़ रुपए का कालाधन सरकार के खाते में आया। दोनों मिला कर एक लाख करोड़ हुआ और इसके लिए कोई सर्जिकल स्ट्राइक करने की जरूरत नहीं पड़ी। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि बिना ऐसी कार्रवाई के एक लाख करोड़ जुटाए गए तो अगर सर्जिकल स्ट्राइक्स करें तो कितना कालाधन निकलेगा। ऐसे धन का इस्तेमाल गरीबों की सही तरीके से सहायता के लिए हो रहा है।

घरेलू आय घोषणा योजना (आईडीएस) के तहत देश के 64,275 लोगों ने कुल 65,250 करोड़ रुपए के कालेधन का खुलासा किया है। चार महीनों के दौरान 65,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की बेनामी संपत्ति का खुलासा आईडीएस के जरिए हुआ है। देश में छुपे कालेधन को सिस्टम में वापस लाने के लिए केंद्र सरकार ने चार महीने पहले 1 जून, 2016 को आईडीएस-2016 यानी घरेलू आय घोषणा योजना का ऐलान किया था, जिसमें अपने कालेधन का खुलासा तय समय के भीतर करने पर ब्लैकमनी रखने वालों को सिर्फ टैक्स और पेनल्टी देकर कालेधन को सार्वजनिक करना था और इसके बाद उन पर कानूनी कार्रवाई से उन्हें राहत मिल जाएगी। सरकार को इस रकम में से जुर्माने और टैक्स के रूप में 30,000 करोड़ रुपए से थोड़ी कम की आय होगी।

देश के लोगों के पास कितना कालाधन है, इसको लेकर चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। आंध्र के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू और आंध्र के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस रेड्डी के पुत्र जगनमोहन रेड्डी के बीच ब्लैकमनी पर हो रहा झगड़ा अब नरेंद्र मोदी के दरबार में पहुंच चुका है। जगन ने ऐसे समय में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है जब चंद्रबाबू ने अप्रत्यक्ष तौर पर यह जताने की कोशिश की कि वाईएसआर कांग्रेस के नेता ने आय घोषणा के तहत 10,000 करोड़ रुपए की आय घोषित की है। चंद्रबाबू ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि केंद्र सरकार समानांतर अर्थव्यवस्था के प्रसार पर लगाम लगाने के लिए 500 रुपए और 1000 रुपए के नोटों का इस्तेमाल बंद कराए।

दूसरी ओर जगन ने मांग की कि आईडीएस-2016 की पूरी सूची प्रकाशित की जाए और मुख्यमंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की गहन जांच कराई जाए। मुख्यमंत्री ने अप्रत्यक्ष तौर पर वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष जगन की ओर इशारा करते हुए कल कहा था, देशभर में घोषित 65,000 करोड़ रुपए में से 13,000 करोड़ रुपए हैदराबाद में घोषित किए गए और इसमें से 10,000 करोड़ रुपए एक ही शख्स ने घोषित किए। उन्होंने कहा, वह कौन है, कानून के मुताबिक हम नहीं जान सकते। क्या किसी कारोबारी के लिए इतने पैसे घोषित करना सम्भव है। इसके अलावा, कुछ मंत्रियों और तेलुगुदेशम पार्टी के विधायकों ने सीधे तौर पर जगन का नाम ऐसे शख्स के तौर पर लिया, जिन्होंने 10,000 करोड़ रुपए की संपत्ति घोषित की है। वाईएसआर कांग्रेस ने इस आरोप को पुरजोर तरीके से खारिज किया है।

सूरत के एक बिल्डर ने अपने कालेधन की घोषणा की वह भी बाकायदा बोर्ड लगाकर। इस बोर्ड में लिखा था कि उसका एक प्रोजेक्ट में कालाधन लगा है। उन्होंने छह करोड़ के कालेधन का खुलासा किया। यह तो चंद उदाहरण हैं। पिछले कुछ माह से मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में लोकायुक्त के छापों में लगातार ऐसे लोग पकड़े जा रहे हैं जो हैं तो मामूली सरकारी नौकर लेकिन उनसे इतना कालाधन पकड़ा गया कि नोट गिनने के लिए भी मशीनें लानी पड़ी थीं।

यह भी सही है कि स्विट्जरलैंड अब कालेधन के लिए इतना सुरक्षित नहीं रहा, जितना पहले था। लोग अपने कालेधन को सुरक्षित रखने के लिए छोटे-छोटे टैक्स हैवन देशों का सहारा लेने लगे हैं। ऐसे कई देश हैं जो ज्यादा चर्चित नहीं हैं, लोग अब उनका सहारा लेने लगे हैं। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भले ही लाख आलोचना करते रहें कि मोदी कालेधन को सफेद करने के लिए फेयर एंड लवली स्कीम लाए हैं लेकिन मोदी सरकार की योजनाओं से देश को फायदा ही हुआ है।

स्विट्जरलैंड समेत कई टैक्स हैवन देश अब सूचनाएं देने को राजी हो रहे हैं। विदेशों से संधियां भी की जा रही हैं, लेकिन जिन देशों की अर्थव्यवस्था ही कालेधन से चलती हो, उनसे कोई ज्यादा उम्मीद नहीं कर सकता। अगर देश के भीतर का कालाधन पूरी तरह बाहर आ जाए तो देश को बहुत फायदा होगा। आशंका यह भी है कि मोदी सरकार ज्यादा सख्ती करेगी या कालेधन वालों पर सर्जिकल स्ट्राइक करेगी तो उसके परिणाम भी विपरीत निकल सकते हैं। लोगों को भी अपनी जिम्मेदारी समझ कर देश सेवा की प्रेरणा ग्रहण करनी चाहिए और कालेधन का खुलासा करना चाहिए ताकि सर्जिकल स्ट्राइक की जरूरत ही न पड़े।

  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »