29 Mar 2024, 15:14:21 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-वीना नागपाल

जब भी महिला सशक्तिकरण व मुक्ति तथा महिला समानता की बात होती है तब हम पश्चिम, विशेषकर अमेरिका की ओर देखते हैं। ऐसा लगता है महिलाओं को लेकर वह समाज कितना खुला और व्यापक नजरिया रखता है। बड़े जोर-शोर से डींगे हांक-हांक कर वहां की महिलाओं की स्वतंत्रता व अधिकारों की बात की जाती है। पर, पिछले दिनों सारे विचारों की पोल खुली तो एक-बारगी धक्का लगा। क्या वहां पर महिलाओं के प्रति पुरुषों का सम्मान का नजरिया मौजूद है?

अमेरीका में शासन के सर्वोच्च पद-राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं। रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार ट्रम्प (डोनाल्ड ट्रम्प हैं डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन हैं। इस बीच दोनों की बहस और बातों में ऐसा सच सामने आया जो बहुत चौंका रहा है। ट्रम्प की महिलाओं को लेकर सोच व उस सोच का वीडियो जब सामने आया तब पता चला कि तथाकथित महिला सशक्तिकरण और मुक्ति व समानता की झंडाबरदारी करने वाले अमेरीका में एक वह व्यक्ति जो राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार है उसकी महिलाओं के प्रति इतनी संकीर्ण व घटिया तथा निकृष्ट सोच है। वह महिलाओं को मात्र एक वस्तु समझता है जिसका खुलकर उपभोग किया जा सकता है। उसका मानना है कि पुरुष उपभोक्ता है और वह जब चाहे, जैसे चाहे इस उपभोग की वस्तु का भरपूर लाभ लेता है और ले भी सकता है। उसने अपनी इसी सोच के कारण ‘‘अमेरिकन ड्री शो’’ खरीदा। यह एक सौंदर्य स्पर्धा थी। डोनाल्ड की इसे खरीदने के पीछे मंशा यही थी कि युवतियों की सौंदर्य स्पर्धा में भागीदारी करने पर उनसे हर प्रकार का शारीरिक लाभ लेना व नए सुख ले अमेरीकन कहने से ही वहां की सोच क्या स्पष्ट नहीं हो जाती। ट्रम्प यहीं नहीं रुके। उन्होंने ‘‘मिस अमेरिका’’ और ‘मिस टीन अमेरिका’ की प्रतियोगिता शुरू कर दी। उन्हें अपने नवधनाढ्यपन का इतना नशा था कि उन्होंने पूरी तरह मदहोश होकर इन युवतियों और किशोरियों के सम्मान को ठोस पहुंचाई। इतनी बदनीयत वाले हैं ट्रम्प की वह किशोरियों के चेजिंग रूम (वस्त्र बदलने वाला कमरा) में घुस जाते थे। उस समय वह संकोच होता है, परंतु ट्रम्प को इस हरकत पर कोई शर्म व संकोच नहीं था, क्योंकि वह तो जान-बूझकर ऐसा करते थे। उनके वीडियो टेप में जो बातें कही गई हैं वह महिलाओं के सम्मान को तार-तार करती हैं। परंतु ट्रम्प महिलाओं को जिस निगाह से देखते है तब लगता है कि यह पुरुष उस समाज से है जो महिलाओं के अधिकारों व समानता की तो बड़ी-बड़ी बातें करता है पर, उसी समाज का महिलाओं को उपभोग की वस्तु समझने वाला एक पुरुष देश में सर्वोच्च पद पर बैठना चाहता है। उसका दु:साहस और निडरता तो देखिए कि इतना सब कुछ करने के बाद वह अपने लिए मत प्राप्त करने की अपील करता है। एक संदेह हिलेरी क्लिंटन को लेकर भी उभरता है। उनके पति बिल क्लिंटन ने अपनी निजी सचिव के साथ व्यवहार व अशिष्टता की थी वह भी अमेरिकी पुरुष समाज की निकृष्ट सोच बताने के लिए काफी है। तब हिलेरी ने भी महिला सम्मान को लेकर और वह भी एक कामकाजी महिला के सम्मान को लेकर चुप्पी साधे रखी थी। वहं का पुरुष उदार नहीं है, बल्कि एक शोषक की सोच रखता है।

अमेरिकी व्यवस्था पूंजीवादी व्यवस्था है, जहां व्यक्ति को व वस्तु को एक व्यापारी के दृष्टिकोण से ही देखा जाता है। पंूजीवादी व्यवस्था की बुराइयां उस समाज में मौजूद हैं जिसमें यदि आप उपभोक्ता हैं और क्रय करने की क्षमता रखते हैं तो सब कुछ खरीद सकते हैं। यह जो नारी मुक्ति व महिला सशक्तिकरण की बातें बडेÞ जोर-शोर से की जाती हैं उससे पूर्वी समाज बहुत चकित व भ्रमित होता है। जिस समाज का राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार महिलाओं को एक उपभोग की वस्तु समझता है उस समाज की चकाचौंध में न आया जाए। अपने संस्कारों, मूल्यों व जीवन के आदर्शों को ही अपनाएं। इनमें ही महिलाओं का सम्मान निहित है। अंतत: इसी पर पश्चिम भी आएगा।

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