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भीतरी आतंकवाद की सर्जरी भी जरूरी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 8 2016 10:26AM | Updated Date: Oct 8 2016 10:26AM
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-डॉ. ब्रह्मदीप अलूने
लेखक समसामयिक विषयों पर लिखते हैं।


रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर का हालिया बयान है देश की सुरक्षा के लिए मैं टेढ़ा भी सोच सकता हूं या फिर आतंकवादी हमला हुआ तो घर में घुसकर मारेंगे। देश की जनता के लिए ये जुमले बेहद अच्छे लगते हैं, लेकिन एक जिम्मेदार राष्ट्र के रक्षामंत्री के यह शब्द नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। दुनिया में भारत को एक बेहद जिम्मेदार राष्ट्र माना जाता है और हमारी नीतियां भी एक जिम्मेदार राष्ट्र की ही रही है। एनएसजी हो या परमाणु असैनिक संधि भारत का समर्थन दुनिया में इसलिए किया जाता है क्योंकि भारत को एक संतुलित एवं लोकतंत्र द्वारा नियंत्रित राष्ट्र समझा जाता है। वहीं पाकिस्तान की छवि एक आक्रामक एवं असंतुलित ऐसे राष्ट्र की है जिसके नेता परमाणु हमले की धमकी से दुनिया को ब्लैकमेल करते हैं, इसी कारण पाकिस्तानी नेताओं की स्वीकार्यता दुनिया में नहीं है और पाकिस्तान भी नाकाम राष्ट्रों की सूची में शुमार हो गया है। सर्जिकल स्ट्राइक सेना की एक शानदार कार्रवाई थी, लेकिन रक्षामंत्री के ऐसे बयान भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को प्रभावित कर सकते हैं। हमारे रक्षामंत्री को यह भी याद रखना चाहिए कि पाक प्रायोजित आतंकवाद भारत के भीतर भी गहरी पैठ जमा चुका है और उसकी सर्जरी के लिए वृहद् रणनीति की आवश्यकता है।

दुश्मन को उसी के घर में घुसकर मार गिराने के सेना के बेहद सफलतम अभियान के बाद भारतीय राजनीति में मानो भूचाल आ गया है। सेना के प्रति सम्मान और गर्व को दरकिनार कर राजनीतिक पैंतरेबाजी और श्रेय लेने की होड़ लगी हुई है। देश में लंबे समय तक सत्ता में रही कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष प्रधानमंत्री पर यह आरोप लगाना कि वे शहीदों के खून पर दलाली कर रहे हैं, सेना का मनोबल गिराने जैसा है।

समूचे घटनाक्रम में देश की सुरक्षा और सम्मान से जुड़ी हुई सैनिक कार्रवाई को सरकार और विपक्ष के बीच राजनीतिक लड़ाई बन जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। इस समूचे घटनाक्रम में हमारे संविधानवेत्ताओं की दूरदर्शिता पर पूरे भारत के नागरिकों को गर्व होना चाहिए कि उन्होंने तीनों सेनाओं का प्रमुख राष्ट्रपति को बनाया है जो कि एक गैर राजनीतिक पद है। जाहिर है वे सेना को राजनीति से अलग रखना चाहते थे। दूसरी ओर भारत में सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर विरोधाभास पैदा करने का प्रयास किया गया है एवं राजनीतिक क्षेत्र में सेना को घसीटा जा रहा है। पाकिस्तान में केजरीवाल के इस बयान को प्रमुखता दी गई है, जिसमें उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत पेश करने की भारत सरकार से मांग की थी। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में स्वतंत्रताएं तो अनगिनत हैं, लेकिन देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने के किसी भी प्रकार के प्रयास की भर्त्सना की जानी चाहिए।

उरी हमले में 18 भारतीय जवानों के शहीद होने के बाद गुस्से से जब समूचा राष्ट्र उबल रहा था, तब प्रधानमंत्री के लिए भी चुनौती कम नहीं थी। वे वॉर रूम में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और तीनों सेनाओं के अध्यक्ष के साथ जवाब देने के तौर तरीके तलाश रहे थे। इन तरीकों में सर्जिकल स्ट्राइक, मिसाइल या हवाई हमले सहित कई विकल्पों पर विचार हुआ। अंतत: पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए प्रधानमंत्री ने सर्जिकल हमले की मंजूरी दे दी थी। प्रधानमंत्री मोदी ने केरल की धरती से पाकिस्तानी जनता के लिए मोहब्बत का पैगाम भी दिया और युद्ध जैसे हालात में सर्वदलीय बैठक बुलाकर दुनिया को यह बताने की कोशिश की कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक राष्ट्र भारत में राजनीतिक मतभेदों के बावजूद राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर सब एक हैं। इसके बाद पाकिस्तान में नियंत्रण रेखा के पार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया गया।

वास्तव में भारतीय सेना के इस सफल अभियान ने सर्जिकल स्ट्राइक करने वाले अग्रणी राष्ट्रों में भारत को शामिल कर दिया है। पूरी दुनिया में इस्राइल की सेना को सर्जिकल स्ट्राइक में सबसे माहिर माना जाता है। इस्राइल की कुख्यात गुप्तचर एजेंसी मोसाद, आंतरिक सुरक्षा के लिए शिंग बैंक, मिलिट्री इंटेलिजेंस अमन, इस्राइल स्पेशल सेल जैसी गुप्तचर और सैन्य इकाइयां बेहद मुस्तैदी से काम करती है एवं इनमें श्रेय नहीं काम को लक्ष्य रखा जाता है। 1976 में इस्राइल सेना ने युगांडा में पीएलओ के आतंकवादियों द्वारा एयर फ्रांस के एक विमान को अपहरण कर अनेक इस्राइलियों को बंदी बना लिया था, जिसके जवाब में इस्राइल ने बेहद शानदार अभियान के जरिए अपने बंधकों को छुड़ाकर सारे आतंकवादी मार गिराए थे। इस अभियान में इस्राइल का एक कमांडो मारा गया था और चार अन्य कमांडो घायल हुए थे। इस सफलतम अभियान को आॅपरेशन थंडर बोल्ट के नाम से आज भी दुनिया में याद किया जाता है। सर्जिकल स्ट्राइक का दूसरा सफलतम अभियान अमेरिकी सेना ने अंजाम दिया था जब उन्होंने बेहद गोपनीय तरीके से पाकिस्तान के इस्लामाबाद से करीब 61 किमी दूर ऐबटाबाद में एक इमारत में घुसकर दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को मार गिराया था। अमेरिका द्वारा पाकिस्तान में इस सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से ही भारत में यह कहा जाने लगा था कि भारतीय सेना को पाकिस्तान में घुसकर आतंकवादियों को मार गिराना चाहिए। अपनी पूर्ववर्ती सरकारों को पीछे छोड़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक साहसिक फैसला किया और सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए दुश्मन देश में घुसकर भारतीय सेना ने एक कामयाब अभियान चलाया तो उस पर देश में राजनीतिक बयानबाजियां बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं। भारतीय सेना ने जिस इलाके में सर्जिकल स्ट्राइक की है वह सुरक्षा के लिहाज से दुनिया का बहुत ही खतरनाक इलाका है।

रूस के दक्षिणी भाग ताजिकिस्तान में पामीर इलाके का फैलाव है, यहीं अफगानिस्तान, भारत, पाकिस्तान एवं चीन की सीमाएं मिलती हैं। सोवियत संघ के विघटन के बाद से ही मध्य एशिया में उत्तरी काकेशस के क्षेत्र में इस्लामी आतंकवादियों ने पैर जमाना आरंभ कर दिया था। पूरे उत्तरी काकेशस क्षेत्र को स्वतंत्र इस्लामी राज्य में रूपांतरित करना उनका घोषित लक्ष्य था। उनकी छत्रछाया में अपराधियों एवं मादक पदार्थों के अवैध व्यापार में लगे व्यक्तियों को फलने फूलने का पूरा मौका प्राप्त हो रहा था। चेचेन्या में उन्होंने अपना केंद्र स्थापित कर लिया था तथा दागस्तान को अपनी कार्रवाई के निशाने पर रखा था। स्वतंत्र देशों के राष्ट्रकुल कहे जाने वाले इस इलाके में इस्लामिक चरमपंथियों का गहरा प्रभाव है और अफगानिस्तान का इलाका इनके लिए प्रमुख शरणस्थली बन गया है। इन चरमपंथियों का प्रभाव भारत के कश्मीर और चीन के जिन जियांग प्रांत तक देखा जाता है। इस प्रकार जिस इलाके में भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक की है वह इलाका पूरी दुनिया में चरमपंथियों और इस्लामिक आतंकवाद को आयातित करता है।

स्पष्ट है सुरक्षा को लेकर आक्रमण की इस नीति पर सरकार को लगातार काम करना चाहिए, इस नीति पर पूर्ववर्ती सरकारें काम करती तो भारत की सीमाएं इतनी असुरक्षित नहीं होती और पाक प्रायोजित आतंकवाद भी अपनी पैठ नहीं जमा पाता। भारत के राजनीतिक दलों को यह बात अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि देश के लोग राजनीतिज्ञों की अपेक्षा सेना पर ज्यादा भरोसा करते हैं। अत: सर्जिकल स्ट्राइक पर सबूत देने की मांग पूरी तरीके से खारिज की जानी चाहिए।

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