24 Apr 2024, 11:23:21 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-सतीश सिंह
लेखक आर्थिक मामलों के जानकार हैं।


चालू वित्त वर्ष में सरकार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के अंशधारकों की जमा पूंजी का 10 प्रतिशत एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) यानि शेयर में निवेश करेगा, जबकि वित्त वर्ष 2015-16 में यह सीमा पांच प्रतिशत थी। पिछले वित्त वर्ष में ईपीएफओ ने ईटीएफ में 6577 करोड़ रुपए निवेश किया था, जिसमें उसे 13.24 प्रतिशत का रिटर्न मिला था, जबकि उस कालखंड में दूसरे शेयरों में मंदी की स्थिति बनी हुई थी। मौजूदा समय में 13.24 प्रतिशत के रिटर्न को बेहद ही आकर्षक एवं मुफीद कहा जा सकता है। सुधरती अर्थव्यवस्था को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में ईपीएफओ ने ईटीएफ में निवेश को बढ़ाकर 10 प्रतिशत किया है। दरअसल, वित्त मंत्रालय ने ईपीएफओ के लिए एक नए निवेश पैटर्न को अधिसूचित किया है, जिसके तहत पांच प्रतिशत से लेकर 15 प्रतिशत तक ईपीएफओ अपने वार्षिक अधिशेष का शेयर में निवेश कर सकता है। ईपीएफओ का ताजा निर्णय इसी आलोक में लिया गया है।

वर्तमान में ईपीएफओ के पास लगभग आठ लाख करोड़ रुपए का कोष है और चालू वित्त वर्ष में निवेश करने के लिए इसके पास लगभग 1.30 लाख करोड़ रुपए अधिशेष है। ईपीएफओ के पास मौजूद फंड के 75 प्रतिशत हिस्से का प्रबंधन एसबीआई म्यूचुअल फंड और 25 प्रतिशत हिस्से का प्रबंधन यूटीआई म्यूचुअल फंड कर रहा है। विगत वर्षों में एसबीआई म्यूचुअल फंड में रिटर्न का प्रतिशत अच्छा रहा है। वहीं यूटीआई म्यूचुअल फंड भी निवेशकों के भरोसे को कायम रखने में सफल हुआ है। अगर विगत वित्त वर्ष की तरह चालू वित्त वर्ष में भी ईपीएफओ को ईटीएफ में निवेश से आकर्षक मुनाफा होता है तो आगामी वित्त वर्ष में इस मद में किए जाने वाले निवेश को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत किया जा सकता है।

चालू वित्त की दूसरी तिमाही तक ईपीएफओ ईटीएफ में 1500 करोड़ निवेश कर चुका है और बचे हुए दो तिमाही में वह इसमें और 11500 करोड़ रुपए निवेश करेगा। इस तरह ईपीएफओ चालू वित्त वर्ष में 1.30 लाख करोड़ रुपए अधिशेष का 10 प्रतिशत यानि 13000 करोड़ रुपए का निवेश ईटीएफ में करेगा। ईपीएफओ के पास मौजूदा समय में आठ लाख करोड़ रुपए का कोष है, जिसमें हर साल तकरीबन 70 हजार करोड़ रुपए की बढ़ोतरी का अनुमान है। गौरतलब है कि ईटीएफ शेयरों का समूह है, जिन्हें सामान्य शेयर की तरह दिनभर बदलती कीमतों पर खरीदा व बेचा जाता है। ईटीएफ शेयरों को खरीदने व बेचने के क्रम में मार्जिन के रूप में जो बचत होती है, वह डिविडेंड या लाभ के रूप में निवेशकर्ता को मिलता है। चूंकि, ईपीएफओ ने ईटीएफ में 10 प्रतिशत निवेश करने का निर्णय बिना ईपीएफओ ट्रस्टी के अनुमति के एकतरफा लिया है, लिहाजा, यूनियन ईपीएफओ के इस निर्णय का विरोध कर रहा है। फिर भी ईटीएफ में निवेश से मिलने वाले लाभांश को कम करके नहीं आंका जा सकता है। जाहिर है ईपीएफओ के पास आमदनी का यह एक प्रमुख जरिया है। बेशक, जब उसे निवेश पर बेहतर रिटर्न मिलेगा तभी वह अंशधारकों को उनकी जमा पर आकर्षक ब्याज दे पाएगा। निवेश पर आकर्षक रिटर्न नहीं मिलने के कारण ही विगत वर्षों में अंशधारकों को दिए जाने वाले ब्याज दर में कटौती की गई है। ईपीएफओ पहले अंशधारकों के भविष्यनिधि के अंश को सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करके मुनाफा कमाता था और उससे मिलने वाले लाभांश से वह अंशधारकों को उनकी जमा पर ब्याज दे रहा था। बता दें कि सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश को सुरक्षित माना जाता है, जिसमें निवेशक को नुकसान नहीं होता है।  इधर, ईपीएफओ ने वित्त वर्ष 2017-18 से अपने अंशधारकों के भविष्यनिधि के वर्तमान एवं भविष्य में आने वाले अंश को गिरवी रखकर उन्हें सस्ती दर पर घर दिलाने की योजना बनाई है। इतना ही नहीं अंशधारक अपने भविष्य निधि से लोन की किस्तों का भी भुगतान कर सकेंगे। वैसे, यह योजना ईपीएफओ अंशधारकों के लिए वैकल्पिक होगी और जिनके पास पहले से घर होगा, उन्हें सस्ते मकान नहीं मिलेंगे। मालूम हो कि इस नई योजना की शुरुआत ईपीएफओ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2022 तक सभी को घर दिलाने की योजना के आलोक में की है।

दरअसल, श्रम मंत्रालय की मंशा ईपीएफओ के पांच करोड़ से अधिक अंशधारकों को सस्ती दर पर मकान उपलब्ध कराने की है। श्रम मंत्रालय ने इसके लिए सरकारी बैंकों, आवास वित्त कंपनियों, सरकारी भवन निर्माण कंपनियों जैसे एनबीसीसी और डीडीए, पुडा, हुडा आदि से ऋण लेने एवं तय कीमत पर घर बनाने के लिए करारनामा करने वाला है। कहा जा रहा है कि सरकार ईपीएफओ के अंशधारकों खासकर कम आय वर्ग वालों को सस्ती दर पर मकान उपलब्ध कराएगी। आज की तारीख में लगभग 70  प्रतिशत ईपीएफओ अंशधारकों की आय 15 हजार रुपए मासिक से कम है। ईपीएफओ का गठन 1951 में पारित एक आॅर्डिनेंस के आधार पर 1952 में किया गया था। ईपीएफ में वेतनभोगी कर्मचारी वेतन का 12 प्रतिशत योगदान करते हैं, जिस पर चक्रवृद्धि ब्याज दिया जाता है। नियोक्ता ईपीएफ में 3.67 प्रतिशत मिलाते हैं। इस तरह कर्मचारी का ईपीएफ में 15.67 प्रतिशत और कुल योगदान 25.61 प्रतिशत होता है। ईपीएफओ अंशधारकों की जमा पूंजी को अन्यत्र निवेश करके अर्जित मुनाफे का हिस्सा ब्याज के रूप में अंशधारकों को वापिस लौटता है। 

कहा जा सकता है कि ईपीएफओ द्वारा इसके वार्षिक अधिशेष के 10 प्रतिशत का ईटीएफ में निवेश से उसे बेहतर रिटर्न मिल सकेगा, लेकिन हमारे देश की सामाजिक संरचना ऐसी नहीं है कि सभी लोग शेयर में निवेश करने के लिए तैयार हो सकें, क्योंकि शेयर में निवेश को सुरक्षित नहीं माना जा सकता है। कर्मचारी द्वारा भविष्य निधि के रूप में जमा की गई राशि उनके खून-पसीने की कमाई होती है। अगर यह पैसा डूबता है तो ईपीएफ अंशधारकों के परिवार का सड़क पर आना लाजिमी है। ईपीएफओ कर्मचारियों के पैसे को सुरक्षित रखने, पेंशन मुहैया कराने के साथ-साथ सामाजिक सरोकारों को भी पूरा करता है। ईपीएफ में अंशदान करने वाले किसी कर्मचारी की अकाल मृत्यु होने पर उसके आश्रितों को न्यूनतम पेंशन देने के अतिरिक्त बीमा का भी लाभ दिलाने में ईपीएफओ मदद करता है। अब ईपीएफओ ने अपने अंशधारकों को सस्ती दर पर मकान दिलाने की योजना बनाई है, जिससे अब तक गृह सुख से वंचित अंशधारकों को लाभ मिलने की उम्मीद है। स्पष्ट है ईपीएफओ का उद्देश्य अपने अंशधारकों की सामाजिक एवं आर्थिक रूप से सुरक्षा करना है। भारत एक लोकतांत्रिक, सामाजिक एवं कल्याणकारी देश है। इसलिए आजादी के बाद संगठित और असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों की वित्तीय आवश्यकता को सुनिश्चित करने के लिए ईपीएफओ का गठन किया गया था। हमारे देश में कामगारों एक बड़ा तबका आज भी शोषित है। ऐसे में ईपीएफओ द्वारा अंशधारकों की गाढ़ी कमाई के साथ खिलवाड़ करना किसी भी नजरिए से उचित नहीं है। साथ ही, इसे ईपीएफओ के उद्देश्य के असफल होने का भी खतरा है।  

  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »