26 Apr 2024, 03:18:48 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
Gagar Men Sagar

सियासत में फंसी कर्ज माफी योजना

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 29 2016 10:20AM | Updated Date: Sep 29 2016 10:20AM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

-महेश तिवारी
लेखक समसामयिक विषयों पर लिखते हैं।


देश को आजाद हुए सात दशक का एक लंबा वक्त गुजरने को है। इन दिनों में कुछ अगर नहीं बदला तो वह हैं, किसान की दशा और दिशा। दूसरी पंचवर्षीय योजना में कृषि को महत्ता दी गई, फिर भी किसान की स्थिति वर्तमान में आकर कर्ज माफी जैसे जुमले की तरफ देखने पर मजबूर है। उस दौर में कृषि क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए सरकार ने हरित क्रांति जैसे बदलाव के द्वारा खाद्य पदार्थों का उत्पादन बढ़ाने और किसानों को उनकी मलीन अवस्था से उबारने की कोशिश की। देश में उस क्रांति के प्रभाव से उत्पादन में वृद्धि दर्ज की, लेकिन किसानों और मजदूरों की स्थिति में कोई अंतर नहीं आया। समय-समय पर केंद्र की सरकारें भूमिहीन किसानों और मजदूरों की स्थिति को उबारने के लिए तमाम योजनाएं भी लेकर आई। इन योजनाओं में मनरेगा, कृषि सिंचाई योजना आई, लेकिन ये योजनाएं भ्रष्टाचार की शिकार हो गई, जिससे अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकी। उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड और महाराष्ट्र के मराठवाड़ा जैसे देश के अनेक ऐसे क्षेत्र भी हैं,जो वर्तमान स्थिति में भी सिंचाई के अभाव से पीड़ित है।

मौसम की मार से किसानों की दशा और भी दयनीय हो जाती है। चुनाव के करीब आते ही सभी पार्टियां अपने जुमले में किसानों की दशा और दिशा सुधारने के लिए अनेक वादे करती है। किसानों को सस्ते दामों पर कृषि यंत्र और खाद-बीज उपलब्ध कराने का वादा करती है। सोचनीय मुद्दा यह हो जाता हैं कि जब कम जोत वाले किसान के पास भूमि ही पर्याप्त नहीं है, फिर तो इसका फायदा सीधे तौर पर व्यावसायिक और सीमांत किसानों को मिलेगा। सरकार की नीतियां केवल बड़े जोत के सीमांत किसानों के लिए ही उपयोगी सिद्ध हो पाती है।

गरीब किसान अपने आपको आज भी उसी स्थिति में पाता है, जो देश की स्वतंत्रता के समय थी। यूपीए सरकार में कागजों पर 75 हजार करोड़ रुपए दिए गए, फिर भी किसानों की आर्थिक दशा आजादी के पहले की ही बनी हुई है। देश में कर्ज माफी के लिए समान नियम लागू है। वे चाहे सीमांत किसान हो या छोटे भूमिहर किसान। जब देश में गरीबी को लेकर एपीएल और बीपीएल कार्ड की व्यवस्था है, फिर कर्ज माफी के लिए ऐसी कोई व्यवस्था क्यों नहीं बन पाई। देश में बदलाव के साथ अनेक नए कानून लागू किए जा चुके है। कृषि ऐसा क्षेत्र हैं, जिस क्षेत्र में आज भी अंगे्रजों के जमाने के नियमों पर कार्रवाई की जाती है। कर्ज माफी योजना अभी तक राजनीतिक हितों की पूर्ति का साधन बनी हुई है। अगर उत्तरप्रदेश की बात की जाए तो वहां पर किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य नहीं मिल पाता हैं और वहां की सरकार किसानों की गन्ना बकाया मूल्य दिलाने का वायदा करती है।

किसानों की कर्ज माफी के बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं। लालफीताशाही के अंतर्गत किसानों को अपने पक्ष में लाने के लिए राजनीतिक पार्टियों द्वारा केवल कर्ज माफी के रूप में लालीपॉप दिखाया जाता है। सरकार को अपने नीतियों में बड़े फेरबदल करने होंगे, अगर वे सही तरीके से कर्ज माफी किसानों को देने की जुगत में है।

छोटे किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य मिलना आवश्यक है, न कि  कर्ज माफी। किसानों को उचित समर्थन मूल्य की नहीं उचित प्रणाली की आवश्यकता है, जिससे वह उभरकर सामने आ सकें। किसानों को आगे लाने के लिए उन्हें सुविधाएं देने पर जोर देना होगा। न कि केवल बड़े-बड़े जुमले। भूखे को दो वक्त की रोटी और तन ढंकने के लिए कपड़े की आवश्यकता होती है, न कि किसानों के प्रति दिए गए भाषणों की।

किसान और मजदूर गरीब के घर जाकर रोटी खा लेने से गरीब किसानों की स्थिति में परिवर्तन नहीं होने वाला है। परिवर्तन के लिए सकारात्मक प्रयास करने होंगे। जब तक देश में गरीबी को लेकर एक सटीक पैमाने का  निर्माण नहीं हो सकेगा। देश में किसानों और गरीबों की स्थिति में परिवर्तन दिखना अस्वाभाविक है।

किसानों की स्थिति को  ऊपर उठाने के लिए भूमिहीन और खेतिहर किसानों में अंतर करना होगा। अधिकतर योजना का फायदा खेतिहर किसानों को ही मिल जाता है, जिससे भूमिहीन किसान वंचित रह जाते हैं।  सभी किसानों को एक जैसी फसल का प्रोत्साहन न देकर अलग-अलग तरीके के प्रोत्साहन देना होंगे। छोटे जोत वाले किसानों को हर्बल, सब्जी-फल और बागवान की फसल बोने के लिए उचित दाम पर बीज-खाद को उपलब्ध कराना होगा, जिससे उनको फायदा मिल सके और सीमांत किसानों को खाद्य फसलों पर जोर देना होगा, तभी किसानों की स्थिति में बराबरी लाई जा सकती है।

  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »