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Gagar Men Sagar

खुद की तोंद मोटी पर लड़की छरहरी चाहिए

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 22 2016 10:45AM | Updated Date: Sep 22 2016 10:45AM
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-वीना नागपाल

लोकप्रिय अभिनेत्री सोनाक्षाी सिन्हा ने अपने बेबाक अंदाज में कहा- मर्दों की तोंद पर मर्द कुछ नहीं बोलेंगे, बस! जहां लड़की से शादी की बात आती है तो उन्हें लड़की छरहरी ही चाहिए। ‘‘सोनाक्षी सिन्हा का अपने पापा की तरह खुलकर बात करने का अंदाज अच्छा लगता है। वह निडर तो हैं ही पर, अपने आत्मविश्वास के कारण भी जानी-पहचानी जाती हैं। उनके व्यक्तित्व की यह दृढ़ता उनके पालन-पोषण में उनके माता-पिता का अहम योगदान भी दिखाती है जिसमें उनके दो भाइयों और उनके बीच कोई फर्क नहीं किया गया।

देखा जाए तो सोनाक्षी सिन्हा ने बिल्कुल सच कहा है। पुरुषों का खास अंदाज यही होता है कि वह चलते-फिरते व उठते-बैठते अपनी कमियों पर नजर नहीं डालते। वैवाहिक विज्ञापनों में तो उनकी लालसा व लिप्तता खुलकर सामने आती है। स्वयं तो होंगे रूप-रंग में पता नहीं कितने पक्के रंग के पर, वधू की मांग रखेंगे- खालिस गौरी-चिट्टी की। वह भी इतनी गौरी कि अप्सरा भी मात खा जाए। स्वयं तो होंगे अच्छे मोटे-ताजे और तोंद भी बाहर निकली होगी पर, बीवी उन्हें बिल्कुल किसी मॉडल की तरह जीरो फिगर वाली छरहरी चाहिए। जब वह और उनका परिवार कहीं लड़की देखने जाता है तो उनके मन में ऐसी कसौटी बनी हुई होती है कि एक अच्छी खासी पर सामान्य दिखने वाली लड़की को तो वह अपना पूरा आदर-सत्कार करने के बाद भी नकार कर आ जाते हैं। इतने लज्जाहीन होते हैं यह कि इन्हें किसी लड़की का इस प्रकार अपमान करने में भी कोई संकोच नहीं होता। यह स्थान-स्थान पर चक्कर लगाते हैं और न जाने कितनी लड़कियों व युवतियों का आत्मसम्मान पल में मिट्टी कर देते हैं। समाज का यह पक्ष वास्तव में युवतियों को बहुत आहत करने वाला और ठेस पहुंचाने वाला है। यह देखने-दिखाने की प्रथा अमानवीय है। किसी भी व्यक्ति को यह हक नहीं है कि वह यंू किसी को इस प्रकार से उसके रूप -रंग के कारण अथवा उसकी काया को लेकर नकार दे। पुरुषों के अहंकार और उनके वर्चस्व को इससे और बढ़ावा मिलता है। ऐसे नकचढे युवकों को उनके माता-पिता और बढ़ावा देते हैं। वह स्वयं आगे बढ़कर ऐसा जताते हैं कि जैसे उनका बेटा तो लाखों में एक है उसे तो आसमान से उतरी हूर ही मिलना चाहिए।

इससे अच्छा तो सबसे ऊंची प्रेम सगाई है। लड़का-लड़की एक-दूसरे को पंसद करें, उनमें प्रेम संबंध के कारण शेष सब बातें गौण हों तो ऐसे विवाहों में कम से कम लड़की को दिखाने और देखने की भारी मुसीबत से छुटकारा तो मिलेगा ही, साथ में उसे नकार दिए जाने का अपमान भी नहीं सहन करना पड़ेगा। सोचिए तो सही जब एक बहुत साधारण दिखने वाला युवक किसी युवती को इसलिए नकार दे कि वह स्वप्न सुंदरी नहीं है तो उस युवती के मन में कैसा आक्रोश उठता होगा। इस अपमान प्रथा को सिरे से खारिज करने का वक्त आ गया है।

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