19 Apr 2024, 12:21:46 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-सुशील कुमार सिंह
निदेशक, वाईएस रिसर्च फाउंडेशन आॅफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, देहरादून


इस सवाल के साथ कि क्या पाकिस्तान इस बार भी पहले की तरह ही उरी मामले से भी अपना पल्ला झाड़ लेगा या फिर इस बार के भारतीय सैन्य ठिकाने पर हुए हमले से उसने बड़ी मुसीबत को न्यौता दे दिया है। जिस तरह दुनियाभर के तमाम देशों ने इस हमले की चौतरफा निंदा की है साथ ही भारत के प्रति संवेदना जताई है, इससे भी साफ है कि इस बार पाकिस्तान कश्मीर की आड़ में शेष संसार को धोखा नहीं दे सकेगा। चीन स्तब्ध है जबकि अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा और अफगानिस्तान भारत के साथ खड़े हैं। उरी में हुए अमानवीय हमले की कड़ी निंदा की साथ ही चीन ने पाकिस्तान आर्थिक कोरिडोर के भविष्य पर भी खतरा उत्पन्न कर दिया है। हालांकि मौजूदा स्थिति में यह चीनी चाल भी हो सकती है, क्योंकि चीन जितना स्तब्ध दिखाई दे रहा है असल में भी है कहना मुश्किल है।

भारत का धुर-विरोधी चीन पाकिस्तान को शह देने में कभी भी पीछे नहीं रहा, जब-जब पाकिस्तान पोषित आतंकियों को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने की बात आई तब-तब यही चीन राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में वीटो करके भारत के इरादों पर पानी फेरने का काम करता रहा। इसके पहले भी भारत पर हमले हुए हैं पर चीन का यह रुख देखने को नहीं मिला। शायद चीन विश्व बिरादरी को ध्यान में रखते हुए निंदा करने के लिए मजबूर है पर वास्तविकता क्या है यह तो वही जानता है। यदि वाकई में चीन इस मामले में संवेदनशील है तो पाकिस्तान की कूटनीति के लिए यह एक करारा घात होगा।

इतना ही नहीं उरी हमले के बाद पाकिस्तान के हिस्से वाले कश्मीर में होने वाले संयुक्त सैन्य अभ्यास को रूस ने भी निरस्त कर दिया है। गौरतलब है कि विगत कुछ दिनों से यह देखा जा रहा था कि रूस पाकिस्तान की ओर झुक रहा है जबकि सच्चाई यह है कि पांच दशकों से भारत का वह दुर्लभ मित्र रहा है। पाकिस्तान को आईना दिखाते हुए रूस ने यह भी संकेत दे दिया है कि भारत पर हमले की शर्त पर कोई साझा अभियान फिलहाल नहीं सोचा जा सकता। जाहिर है रूस के इस कदम से पाकिस्तान की कूटनीति पर एक और करारा घात लगा है। गौरतलब है कि फ्रेंडशिप 2016 के नाम से यह अभियान होने वाला था। फिलहाल पाकिस्तान का परिप्रेक्ष्य और दृष्टिकोण पूरी तरह से दुनिया के सामने है। दुनिया के देशों ने अपराधियों को सजा दिलाने की वकालत भी की है। यह बात और है कि चीन यहां मात्र स्तब्ध होकर रह गया है। विदेश मंत्री सुष्मा स्वराज को इस समर्थन के बाद संयुक्त राष्ट्र में अपनी बात रखने में काफी सहूलियत होगी। बताते चलें कि इन दिनों संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार के 33वें सत्र में भारत ने पाकिस्तान को खूब खरी-खोटी सुनाई। यूएन में भारत ने बोला कि पाकिस्तान पीओके खाली करे। जिस तर्ज पर पाकिस्तान के आतंकी और वहां के संगठन सरकार के संरक्षण में पनपे हाफिज सईद व मसूद जिस प्रकार बड़ी-बड़ी रैलियां करते हैं उससे भी साफ है कि वहां की सरकार में सरकार जैसा कुछ नहीं है। कड़े शब्दों में कहें तो नवाज शरीफ अपने नाम के साथ भी दगा कर रहे हैं। जब मीडिया ने उनसे कश्मीर मुद्दे पर सवाल किया तो जवाब देने के बजाय मुंह छुपाते आगे निकल गए। जाहिर है कि आतंक की खेती करने वाले नवाज शरीफ के पास किस मुंह से और कौन-सा जवाब संभव होगा। दुनियाभर में आतंक के विरोध में झंडा बुलंद करने वाला भारत आतंकियों की जिस भीषण तबाही का सामना कर रहा है, शायद ही ऐसे अनुभव से कोई देश गुजर रहा हो। मात्र 2016 में ही आधा दर्जन से अधिक  बड़े आतंकी हमले हो चुके हैं, जिसकी शुरुआत पठानकोट से हुई और उरी तक पहुंचते-पहुंचते तो न केवल इसकी रफ्तार तेज हुई बल्कि सभी को हिलाने वाला मंजर भी सिद्ध हुआ। जिस प्रकार भारत की आम जनता गुस्से से भरी है और जिस तर्ज पर पाकिस्तान से हिसाब चुकता करना चाहती है, उसे देखते हुए साफ है कि इस बार मोदी सरकार भी मामले की तह तक गए बिना चुप नहीं बैठ सकती। यदि इसे भुलाने की कोशिश की गई या इसके साथ कोई कमजोर रणनीति सामने आई तो एक बार फिर आतंक को जिताने में हम मदद जरूर कर देंगे। गौरतलब है कि पाकिस्तान से पल्ला झाड़ चुके रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन और प्रधानमंत्री मोदी के बीच अक्टूबर में एक शिखर बैठक होनी है। जाहिर है इस बैठक में भी उरी का मामला उठेगा और उस संतुलन पर भी चर्चा हो सकती है जिसकी वजह से दशकों पुराना मित्र रूस पाकिस्तान जैसे धोखेबाज के साथ गलबहियां करने के लिए तैयार था। प्रधानमंत्री से लेकर गृहमंत्री, रक्षामंत्री सहित मंत्रिपरिषद् के तमाम सदस्यों के तेवर तने हुए हैं। पाकिस्तान को बख्शने के मूड में कोई नहीं है पर इस खुन्नस को बरकरार रखना होगा, ताकि इस बार हिसाब चुकता रखने में कोई बकाया न रह जाए।

जहां एक ओर दुनिया के देश पाकिस्तान के इस हरकत को लेकर लानत-मलानत भेज रहे हैं, वहीं भारतीय सेना मुंहतोड़ जवाब देने को लेकर अपनी तैयारी में जुटी है। सेना का ऐलान है कि अब जवाबी कार्रवाई की जगह और वक्त हम तय करेंगे। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मामले की गंभीरता को देखते हुए बैठक में मुंहतोड़ जवाब देने का फैसला लिया गया। रणनीतिक और सुरक्षा बैठकों के बाद प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बीच भी मुलाकात हुई। राष्ट्रपति तीनों सेनाओं के कमांडर होते हैं। लिहाजा, ऐसे समय में सरकार को उन्हें पूरी सच्चाई से अवगत कराना होता है साथ ही यह इसलिए भी जरूरी है ताकि जवाबी कदम उठाने के मामले में सारी औपचारिकताएं पूरी हों। इसी बीच एक दुखद खबर यह भी है कि अब शहीदों की संख्या 17 बढ़कर 18 हो गई और जाहिर है घायलों की संख्या 20 से 19 हो गई है। हमले के घायल सिपाही विकास जनार्दन भी पूरी शिद्दत के साथ जिंदगी की जंग लड़ते-लड़ते शहीद हो गए। इस मुश्किल दौर में कई अनसुलझे सवाल भी पनप रहे हैं। मीडिया के माध्यम से जो कुछ पढ़ने -देखने को मिल रहा है उसे देखते हुए मन में भी कई कचोट उठ रहे हैं। शहीदों के घरवाले बेहाल हैं, बूढ़े मां-बाप से लेकर सैनिकों की विधवाओं पर आसमान टूट पड़ा है, बच्चे अनाथ हो गए हैं और देश के नागरिक गुस्से और दर्द से कराह रहे हैं और सभी इन्साफ की मांग कर रहे हैं। कई लोगों के आंसू थम नहीं रहे हैं, बीच-बीच में साहस की बात भी कर रहे हैं और पाकिस्तान को धूल चटाने की उम्मीद लगा रहे हैं।

जाहिर है ऐसे में सरकार को भी इसका जवाब खोजना होगा। पाकिस्तान का एक और शरीफ जो पाकिस्तानी सेना का प्रमुख है जो जनरल राहिल शरीफ के नाम से जाना जाता है उसने भी साफ किया है कि उसकी सेना देश की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह सतर्क है। इस मियां शरीफ से पूछा जाए कि सीमा पार से आए आतंकी पर तुम्हारी नजर क्यों नहीं पड़ती। रोचक यह भी है कि प्रधानमंत्री भी शरीफ हैं और सेना प्रमुख भी शरीफ हैं जबकि सच्चाई यह है कि शराफत से इनका कोई वास्ता नहीं है। तीन दशक से आतंक की मार झेलते-झेलते भारत अब उकता चुका है। प्रॉक्सी वॉर में माहिर पाकिस्तान से चूहे-बिल्ली का खेल भी बहुत हो चुका है। फिलहाल जिस तरह दुनिया इस समय भारत के साथ है और जिस गुस्से और गम में भारत फंसा है इसे देखते हुए हिसाब चुकता करना ही अब मुनासिब लगता है।

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