17 Apr 2024, 00:57:32 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-राहुल लाल
अंतरराष्ट्रीय विषयों के स्तंभकार


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वियतनाम यात्रा ने भारत-वियतनाम के रणनीतिक,आर्थिक व सांस्कृतिक भागीदारी को नवीन आयामों से विभूषित किया है। साथ ही कूटनीतिक तौर पर दक्षिण चीन सागर में चीनी वर्चस्व को चुनौती दी है। वर्तमान वैश्विक परिप्रेक्ष्य में प्रधानमंत्री की वियतनाम यात्रा ने 1991 में घोषित भारतीय विदेश नीति के महत्वपूर्ण तत्व ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ को (2014 में) ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ में बदलते हुए भारतीय विदेश नीति को एक नया आयाम प्रदान किया। भारत वियतनाम के सांस्कृतिक संबंध बहुत पुराने व प्रगाढ़ है। बौद्ध धर्म दोनों देशों को लंबे समय से सांस्कृतिक ढंग से सूत्रबद्ध करता रहा है। इस संदर्भ में वियतनाम के सुप्रसिद्ध ‘कुआन सू पैगोडा’ में प्रधानमंत्री  का एक वक्तव्य ‘बुद्ध और युद्ध’ के संदर्भ में बहुत प्रासंगिक नजर आता है। उन्होंने कहा ‘जो लोग युद्ध लेकर आए वे मिट गए, हम बुद्ध लेकर आए, अमर हो गए।’ भारत ने वियतनाम पर हुए अमरीकी हमले का जोरदार विरोध किया था।

1975 में भारत ने वियतनाम को भारी समर्थन दिया था। 1978 में दोनों राष्ट्रों ने द्विपक्षीय व्यापार समझौता किया था। 1992 में दोनों देशों ने गति प्रदान करते हुए आर्थिक समझौता किया, जो तेल की खोज, कृषि व विनिर्माण से संबंधित थे। भारत-वियतनाम दोनों मेकांग गंगा सहयोग के सदस्य हैं, जो भारत व दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के साथ संबंधों को प्रगाढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वियतनाम दक्षिण पूर्व एशिया में भारत का कितना स्वभाविक मित्र है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह न केवल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत का स्थाई सदस्यता का समर्थन करता है, अपितु ‘एपेक’ में भी हमारे सदस्यता का समर्थन करता है। रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री की वियतनाम यात्रा के दौरान 12 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। इसमें अंतरिक्ष, दोहरा कराधान, सुरक्षा, संयुक्त राष्ट्र शांति आॅपरेशन,2017 को मैत्री वर्ष के रूप में मनाना, स्वास्थ्य, सूचना-प्रौद्योगिकी,सामाजिक विज्ञान, साइबर सुरक्षा और प्रद्यौगिकी और नौकाओं के निर्माण जैसे समझौते शामिल हैं।

वियतनाम के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत करने के लिए भारत ने 500 मिलियन डॉलर की मदद की घोषणा भी की। प्रधानमंत्री ने कहा कि क्षेत्रीय चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत वियतनाम को हर संभव सहयोग देता रहेगा। प्रधानमंत्री ने वियतनाम  में सॉफ्टवेयर पार्क की स्थापना के लिए 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर का ऋण देने की घोषणा की। इससे वियतनाम को अपना  इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने  में मदद मिलेगी। इस संदर्भ में  वियतनाम के साथ हुए रक्षा समझौता महत्वपूर्ण हैं। जहां वियतनाम के साथ भारत के सांस्कृतिक संबंध दो हजार साल  पुराने हैं, वहीं रक्षा संबंधों के नए आयामों को 2014 में राष्ट्रपति की वियतनाम यात्रा के समय देखा जा चुका है । भारत के प्रधानमंत्री  ने कहा है कि ‘समुद्री सुरक्षा काफी महत्वपूर्ण है तथा भारत इस स्तर पर वियतनाम को सहयोग करने के लिए वचनबद्ध है।’ भारत के लिए दक्षिण चीन सागर अत्यंत महत्वपूर्ण है। लगभग भारत का ज्यादातर व्यापार दक्षिण चीन सागर के द्वारा ही होता है। यही रास्ता हिंद महासागर और प्रशांत महासागर को जोड़ता है। इसलिए इस पर बसे हुए तमाम देशों के साथ भारत के द्विपक्षीय या बहुपक्षीय संबंध इस इलाके में न केवल शांति से जुड़े हए  है बल्कि इस बात पर भी निर्भर करते है कि इस रास्ते पर किसी देश का वर्चस्व न हो। चीन का दक्षिण चीन सागर पर जो दावा था, वह निराधार था। हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने इसी साल यह निर्णय दिया कि दक्षिण चीन सागर पर चीन का कोई एकाधिकार नहीं है।

उल्लेखनीय है कि चीन द्वारा दक्षिणी चीन सागर में कृत्रिम द्वीप बनाने से वहां के ‘कोरल रीफ’ को भी खतरा है। एक अनुमान के अनुसार दक्षिण चीन सागर के 162 वर्ग किलोमीटर कोरल रीफ क्षेत्र नष्ट हो चुका है। चीन ने न्यायाधिकरण के फैसले को मानने से इनकार कर दिया है। चीन हमेशा से  ही न्यायाधिकरण को अवैध बताता आ रहा है और इसकी उसके  किसी भी आदेश का बहिष्कार करता आ रहा है। वियतनाम ऊर्जा, तेल, गैस, सुरक्षा इत्यादि के लिए दक्षिण चीन सागर पर निर्भर है, ऐसे में चीन का दक्षिणी चीन सागर में कृत्रिम द्वीप का निर्माण वियतनाम के लिए काफी चिंता का विषय है। 

भारत के 125 से ज्यादा तेल ब्लॉक दक्षिण चीन सागर में है, जो वियतनाम से हमने प्राप्त किया है। इस तरह हमारे आर्थिक व ऊर्जा सुरक्षा के लिए दक्षिण चीन सागर काफी महत्वपूर्ण है। इस तरह भारत-वियतनाम द्विपक्षीय संबंध तथा भारत आसियान संबंध केवल एक देश व देशों के समूह के बीच केवल घनिष्ठ संबंध न हो कर क्षेत्रीय चुनौतियों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण मार्ग भी प्रशस्त करते हैं। प्रधानमंत्री की वियतनाम यात्रा ऐतिहासिक रही, जिसने रक्षा समझौते से लेकर रणनीतिक भागीदारी तक संबंधों में नवीनता का समावेश किया। विस्तृत ढंग से अगर देखें तो संस्कृति से लेकर सुरक्षा तक, तकनीक से लेकर आधारभूत ढांचे के विस्तार तक विकास की नई रूपरेखा तैयार की गई, जिससे न केवल प्रधानमंत्री की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ को बढ़ावा मिलेगा बल्कि भारत-वियतनाम के संबंधों में भी नए आयामों को लेकर और मजबूती आएगी,जो न केवल क्षेत्रीय चुनौतियों से निपटने के संबंध में अपरिहार्य है,साथ ही शक्ति संतुलन व क्षेत्रीय  स्थिरता का भी मार्ग प्रशस्त करेगा।

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