20 Apr 2024, 05:39:59 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-सुरेश हिंदुस्थानी
लेखक समसामयिक विषयों पर लिखते हैं।


पाकिस्तान की ज्यादती के विरोध में बलूचिस्तान में उठ रहीं आवाजों में आज एक और स्वर शामिल हो गया। अब सिंध प्रांत में भी पाकिस्तान से आजादी प्राप्त करने की आवाजें सुनाई देने लगी हैं। इससे हो सकता है कि पाकिस्तान अपनी स्वयं की करनी के कारण टूट कर बिखर जाए। वर्तमान में पाकिस्तान के कई प्रांतों में भारतीयता की झलक देखने को मिल जाती है। इसलिए कहा जा सकता है कि पाकिस्तान स्वाभाविक रूप से आज भी भारत का ही अंग है। पाकिस्तान ने बार-बार कश्मीर बोला, भारत ने हमेशा सहन किया। इसके बाद भारत ने एक बार बलूचिस्तान के नागरिकों की भावनाओं को व्यक्त किया तो चीन और पाकिस्तान की भौंहें तन गर्इं।

पूरा विश्व इस बात को भली-भांति जानता है कि आज बलूचिस्तान, गिलगिट और बाल्टीस्तान में जिस प्रकार से मानवाधिकारों का हनन किया जा रहा है, उसमें पाकिस्तान का पूरी तरह से बेनकाब हो गया है। इन स्थानों पर अंदर ही अंदर पाकिस्तान के विरोध में वातावरण बना हुआ है। कुछ लोगों ने खुलकर विरोध कराना प्रारंभ कर दिया है, और कुछ लोग पाकिस्तान के दमनकारी रवैए के कारण डरे सहमे हुए हैं। अगर पाकिस्तान के इन क्षेत्रों के लोगों की भावनाओं को समझा जाए तो यह क्षेत्र किसी भी तरीके से पाकिस्तान के साथ रहना नहीं चाहते।

भारत में जिस प्रकार से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मिली हुई है, उसी तरह की बोलने की आजादी पाकिस्तान में भी होती तो संभवत: आज पूरे पाकिस्तान में ही विरोधी स्वर सुनाई दे रहे होते। सिंध और बलूचिस्तान की आजादी की उठ रही मांग केवल पाकिस्तान में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी सुनाई देने लगी है। इतना ही नहीं इन प्रदर्शनकारियों ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का खुलकर समर्थन भी किया है। आगे चलकर यह भी हो सकता है कि बलूचिस्तान और सिंध की तर्ज पर पाकिस्तान के पंजाब में भी आजादी की मांग उठने लगे, क्योंकि पंजाब के कई लोग अपने आपको आज भी स्वाभाविक रूप से भारत का हिस्सा ही मानते हैं। वहां भारतीय संस्कृति के अवशेष बिखरे हुए दिखाई देते हैं। इतना ही नहीं वहां के जनजीवन में भी भारतीयता की झलक दिखाई देती है।

पाकिस्तान में आज जो हालात दिखाई दे रहे हैं, वह केवल आतंकी आकाओं की बढ़ती हुई सक्रियता का ही परिणाम कहा जाएगा। कई क्षेत्रों में बेरोजगारी और भुखमरी के हालात हैं। पाकिस्तान ने इस समस्या के समाधान के लिए किसी प्रकार के प्रयास नहीं किए। इसके विपरीत आतंकवाद को बढ़ाने के लिए पूरा समर्थन दिया। वर्तमान में पाकिस्तान की हालत ऐसी है कि लोग आतंकवाद का विरोध करना भी चाहें तो भी नहीं कर सकते। ऐसा करने पर आतंकवादी अपने ही नागरिकों पर अत्याचार करते हैं। जिसका दंश भोली-भाली जनता को भोगना पड़ रहा है। पाकिस्तान की जनता पूरी तरह से आतंकवाद से त्रस्त आ चुकी है। जनता की भावनाओं को किसी भी देश का समर्थन मिले तो वे बिना देर किए उसके साथ चले जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के बाद हुआ भी ऐसा ही है। लंबे समय से पाकिस्तान की दमनकारी अत्याचार को सहन कर रही वहां की जनता को जब लगा कि नरेंद्र मोदी ने उनकी भावनाओं को समझा है, तो वह पूरी तरह से उनके साथ आने लगे हैं।

इसके साथ ही कश्मीर की बात करें तो वहां के वातावरण को बिगाड़ने में पाकिस्तान का पूरा हाथ रहा है। यहां पर एक बात तो साफ है कि पूरी समस्या के लिए पाकिस्तान ही दोषी है, फिर भी उलटा चोर कोतवाल को डाटे वाली तर्ज पर पाकिस्तान की सरकार चल रही है। पाकिस्तान के अपने प्रांतों में वर्तमान में जो हालत है, उसके लिए पाकिस्तान के सरकारी मुखिया और आतंकवाद फैलाने वाले संगठन ही जिम्मेदार हैं। पाकिस्तान के विरोध में पाकिस्तानियों के खड़े होने का आशय यही है कि वहां का हर व्यक्ति आतंकवाद का समर्थन नहीं करता। पाकिस्तान में आतंकवाद के विरोध में आवाज मुखरित करने वालों को हमेशा से ही दबाने का क्रम लगातार चलता है। आज बलूचिस्तान में पाकिस्तान से आजादी की मांग करने के लिए जबरदस्त प्रदर्शन हो रहे हैं। यहां पहले तो इस बात को समझना चाहिए कि बलूचिस्तान क्या है? तो इसका जवाब यही है कि बलूचिस्तान को आजादी के समय अलग देश की मान्यता मिली थी। यह पाकिस्तान का स्वाभाविक हिस्सा नहीं था। पाकिस्तान ने हमला करके बलूचिस्तान पर कब्जा किया था। तब से ही बलूचिस्तान के नागरिक पाक की ज्यादतियों के विरोध में आवाज उठाते रहे हैं। इसलिए यह कहना कि यह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण हो रहा है, किसी भी रूप से सही नहीं है। यह बात सही है कि पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे पर बेशर्मी की हदें पार करने वाला व्यवहार करता आया है, इसलिए उससे कश्मीर के मामले में अच्छे व्यवहार की कल्पना करना निरर्थक ही है। बार-बार पराजय झेलने के बाद भी उसकी भूमिका में कोई सुधार नहीं आया है।

बलूचिस्तान में चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच वहां के नेताओं का साफ कहना है कि पाकिस्तान और चीन ने हमेशा छीनने वाली ही राजनीति की है। लंदन में बलूच और सिंध के समर्थक लोगों ने प्रदर्शन करते हुए चीन-पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर बनाए जाने का भी भारी विरोध किया है। इससे यह भी साफ हो गया है कि यह लोग चीन के कदम के भी विरोधी हैं। चीन और पाकिस्तान के विरोध में उतरे लोगों ने भारत के समक्ष प्रस्ताव रखा है कि वह भी भारत के सहयोग से बांग्लादेश की तरह आजाद होना चाहते हैं। उल्लेखनीय है कि भारत ने बांग्लादेश का साथ देकर पाकिस्तान से आजाद कराया था। अब सवाल यह आता है कि जिस प्रकार से बलूचिस्तान और सिंध में पाकिस्तान से आजाद होने की आवाजें उठ रही हैं, उसमें भारत की क्या भूमिका रहेगी।

पाकिस्तान के प्रांतों में आजादी के लिए हो रहे विरोध प्रदर्शनों   के चलते एक बात स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है कि पाकिस्तान भविष्य में तीन या चार हिस्सों में विभाजित हो जाएगा। मान लीजिए पाकिस्तान के चार हिस्से बनते हैं, तब बलूचिस्तान, सिंध और पंजाब देश पाकिस्तान के विरोध में रहेंगे। तब पाकिस्तान एक दम कमजोर हो जाएगा और फिर उसकी ओर से फैलाए जा रहे आतंकवाद की आग में वह स्वयं ही झुलस जाएगा।

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