29 Mar 2024, 15:18:13 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-वीना नागपाल

बच्चे राष्ट्र की संपत्ति होते हैं। जिस प्रकार कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति की देख-रेख करता है, उसकी सुरक्षा में पल-पल उसका ध्यान रहता है इसी प्रकार किसी राष्ट्र के पास उसकी भूमि पर जन्म लेने वाले प्रत्येक बच्चे की सुरक्षा की जिम्मेदारी सर्वोपरि है। किसी भी बच्चे की उपेक्षा न हो और उसे किसी भी प्रकार की अवहेलना न सहन करना पड़े इसे राष्ट्र को अपने परम कर्तव्यों में से एक मानना चाहिए।

इसी को ध्यान में रखते हुए संसद ने एक बहुत महत्वपूर्ण कर्तव्य निभाया है। संसद के दोनों सदनों द्वारा मातृत्व अवकाश की समय अवधि बढ़ाकर छ: माह तक कर दी है। इसे सारे देश में तरंतु लागू किया जाना चाहिए। आजकल अधिकांश महिलाएं कामकाजी हैं। इसके मुख्यत: दो कारण हैं शायद अन्य भी कारण हो सकते हैं। महिलाएं परिवार में आर्थिक सहयोग देने के लिए बाहर जाकर कार्य करती हैं। दूसरा बड़ा कारण उनके उच्च शिक्षा प्राप्त कर अपनी दक्षता व योग्यता का सफल व सही उपयोग करना है। यदि हम महिलाओं को आर्थिक रूप से सुरक्षित जीवन देना चाहते हैं तथा उनमें आत्मविश्वास जगाना चाहते हैं तो उन्हें यह सुविधा व स्वतंत्रता मिलना ही चाहिए कि वह कामकाजी हों।

उनके बाहर जाकर कामकाजी होने का मतलब यह तो नहीं है कि उनसे उनका मातृत्व का अधिकार छीन लिया जाए या वह जब नन्हे बच्चों की मां बनें तो उन बच्चों से मां की ममता की छांव और उसकी नरम-गरम गोद को परे कर दिया जाए? पहले तो मातृत्व अवकाश की बात होती ही नहीं थी। जैसे ही कोई महिला मां बनी कि उसे उसके कामकाज से हटा दिया जाता था। महिलाएं स्वयं भी नौकरी छोड़ देती थीं कि मां बनने के बाद वह बच्चे की देखभाल करें या काम पर जाएं। उन्हें किसी प्रकार की यह सुविधा नहीं थी कि उन्हें कुछ अवकाश प्राप्त हो कि वह अपने नवजात शिशु की देखभाल के बहुत आत्मीय क्षणों में उसे मातृत्व सुख देकर पुन: अपने काम पर लौट आएं। इसके दो दुष्परिणाम थे, एक तो किसी भी महिला के उसे प्राकृतिक व नैसर्गिक वरदान से वंचित करने की अमानवीय बात थी तथा दूसरी ओर एक शिशु को उसकी मां की ममता की छांव से दूर करने की, दूसरी अमानवीय कोशिश थी। इसी के साथ एक तीसरी संभावना पर भी बात की जाती थी कि समाज की आधी आबादी का तथा किसी राष्ट्र की आर्थिक संपन्नता या उसे सुदृढ़ता प्रदान करने वाली एक महत्वपूर्ण संख्या को उसके इस योगदान से दूर करने अथवा सहयोग देने से भी वंचित करने की बात थी। इन कारणों की उपेक्षा नहीं की जा सकती, न ही अनदेखी की जा सकती है। आज प्रगति करने वाले विकासशील तथा संपन्न राष्ट्र अपने आर्थिक विकास में महिलाओं की भागीदारी को बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं और इसलिए ही वह महिलाओं को मातृत्व अवकाश देने की सुविधा सुनिश्चित करते हैं। यह भी तो स्वीकार किया जाता है कि मातृत्व अवकाश के तहत जब बच्चों को ममता की छांव मिलेगी तब उसे देश की भावी पीढ़ी स्वस्थ व पुष्ट होगी और राष्ट्र के निर्माण में उसका योगदान होगा। भारत ने प्रगतिशील व विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में अपना स्थान बनाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण कदम उठाया है। उसे केवल यह भी सुनिश्चित करना होगा कि शासकीय संस्थानों के साथ-साथ निजी संस्थान भी इसका महत्व समझें और भावी पीढ़ी को बनाने में पवित्र कार्य करें। भावी माताएं हक से अपनी ममता की छांव का अधिकार मांगें।

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