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Gagar Men Sagar

इतनी कमजोर, मजबूर और निरीह युवतियां

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 13 2016 11:29AM | Updated Date: Aug 13 2016 11:29AM
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-वीना नागपाल

ऐसी हारी हुर्इं और जीवन से पूरी तरह निराश व अवसाद से इस हद तक ग्रसित युवितयां क्या हमें अपने आस-पास दिखाइ देती हैं? ऐसा लगता तो नहीं है। हमें तो चहकती हुई, खिलखिलाती हुई और अपने जीवन का आनंद उठाती हुई ही युवतियां दिखती हैं। कोई किसी संस्थान में काम कर रही है तो कोई किसी विशेष डिग्री को प्राप्त करने के लिए अध्ययन करती हुई तो कोई स्कूटी चलाती हुई अपने निर्दिष्ट स्थान पर पहुंचने के लिए उत्साहित युवतियों का हुजूम दिखाई देता है। उन्हें देखकर ऐसा तो नहीं लगता कि वह एक घटना से उत्तेजित होकर अति निराशा व उदासी में घिर कर अपने जीवन का अंत कर देंगी? यह तो उनके जीवन का लक्ष्य नहीं था कि वह असमय ही मृत्यु को गले लगा लें किसी के संबंध में इतनी मजबूर हो जाएं कि उच्च बालकनी से छलांग लगा दें, इन युवतियां को शिक्षा प्राप्त करते देख तथा किसी संस्थान में अपनी पूरी योग्यता व दक्षता से अपना कर्तव्य देख न केवल बहुत अच्छा लगता है बल्कि उन पर गर्व भी होता है। कितनी जल्दी उन्होंने अवसर मिलते ही चाहर-दीवारी को लांघ कर इस तरह अपना आत्मविश्वास दिखाया है। उनके माता-पिता भी उन्हें भरपूर अवसर देने के लिए आज तत्पर हैं यहां तक कि वह उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए अपने से दूर भी भेज देते हैं। वह पराए शहर में जाकर अध्ययन करती हैं तो पैरेंट्स उनकी पूरी आर्थिक सहायता करते हैं। उनके होस्टल में रहने या कहीं पीजी (पेइंग गेस्ट) बनाने के लेकर अगर वह अलग कमरा लेकर स्वतंत्रता पूर्वक रहना चाहती हैं तब भी वह अपनी बेटी पर विश्वास करके उसे न केवल भरपूर आर्थिक सहायता देते हैं बल्कि वह चाहते हैं कि वह जैसा भी चाहे अच्छा जीवन जीते हुए अपना भविष्य बनाने के अवसर पाए। परंतु युवतियां इस कसौटी पर खरी नहीं उतर रहीं और अपने पैरेंट्स के विश्वास को तोड़ रही हैं।

आए दिन यह समाचार आने लगे हैं कि फलां युवती ने फ्लैट की बालकनी से कूदकर आत्महत्या कर ली। क्या मुंबई और क्या दिल्ली या अन्य कोई महानगर और इंदौर तक में युवतियों ने इस प्रकार अपनी जान दे दी है। मुंबई में कोई युवती अभिनय के क्षेत्र में अपनी कला दिखाने के लिए तो दिल्ली में पत्रकारिता के क्षेत्र में एक पत्रकार होने की धाक स्थापित करने के लिए तो इंदौर में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए अपने माता-पिता से दूर युवतियां आर्इं पर अपने मूल लक्ष्य को भुलाकर ऐसे संबंधों में उलझ गर्इं जिनसे निराश होकर उन्होंने बिल्डिंगों से कूदकर अपनी जान दे दी।

युवतियां इस तरह से आत्महत्या कर अपनी कमजोरी और निरिहता ही दिखा रही हैं। जिन भविष्य की सफलताओं के उन्होंने सपने लिए थे और जिनके सपनों पर उनके पैरेंट्स ने पूरा-पूरा विश्वास किया था। उन सबको एक ओर करके, दरकिनार कर उन्होंने स्वयं को और अपने पैरेंट्स को बहुत बड़ा धोखा दिया है। वह अपनी स्वतंत्रता तथा खुलेपन का केवल इतना ही मतलब निकाल सकीं कि किसी के प्रेम में पड़कर अपने लक्ष्य और उद्देश्य को भुलाकर उस संबंध को ही जीवन का सर्वोपरि लक्ष्य मान लिया जाए। यदि वही सब करना था तो उन्होंने अपने पैरेंट्स को अपने सपनों के जाल में क्यों उलझाया? एक संबंध उन पर इतना हावी हो गया कि उन्होंने उसके माया जाल में फंसकर मछली की तरह तड़प-तड़पकर बालकनियों से कूदकर जान दे दी। युवतियों से गुजारिश है कि इन संबंधों के कारण वह कमजोर न पड़ें और निरीह न बनें। उन्हें अपने और माता-पिता द्वारा उन पर विश्वास किए जाने के सपनों को सच कर दिखाना है और समाज में एक मुकाम पर पहुंचना है।

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