19 Apr 2024, 08:20:31 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-वीना नागपाल

युवतियों और लड़कियों की आजादी पर रोक लगाने की बात नहीं हो रही है। बात इसको लेकर है कि पब या हुक्का बार में युवतियां यदि देर रात तक रहती हैं और वहां से नशे में डूब कर निकलती हैं तो यह बात न तो उनकी आजादी से संबंधित है और न ही उनकी सुरक्षा से। इस विषय को लेकर बहस बाद में की जा सकती है कि पब या हुक्का बार में लड़कियां जाएं कि नहीं? यह बात तो युवक व युवतियों दोनों पर लागू होती है कि दोनों के लिए ही हितकारी नहीं है। यदि स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से किसी भी प्रकार नशा करना सही नहीं है इससे उनके स्वास्थ्य पर जो दुष्प्रभाव पड़ता है, उसमें लड़कों व लड़कियों में किसी भी प्रकार का अंतर नहीं है।

बात जब युवतियों के इन पब या हुक्का बार में जाने की होती है तब उनकी सुरक्षा को लेकर आशंका भी बनी रहती है और चिंता भी होती है। इन स्थानों पर मदहोशी का माहौल तो होता ही है और साथ ही साथ इसमें समय का ध्यान भी रखा पाना मदहोशी के कारण कठिन होता है। युवतियां अपने बारे में सुरक्षा को लेकर लगभग लापरवाह हो जाती हैं। समाज में यूं ही महिलाओं की सुरक्षा का एक असुरक्षित माहौल बना हुआ है। जब भी इस विषय को लेकर बात उठती है तब सब चिंतित हो उठते हैं। हमें युवतियों के मान-सम्मान को लेकर उन सब कदमों के उठाने के बारे में त्वरित निर्णय ले लिए जाते हैं या उनकी घोषणा सुनाई देने लगती है। जब इतना गहन चिंतन और इतने विस्तार से जब चर्चाएं होती हैं तब युवतियों को ऐसे स्थानों पर देर रात बैठे रहना तथा वहां से निकलना उन्हें कई बार अप्रिय स्थितियों में डाल सकता है।

हम सब तो यह चाहते हैं कि महिलाओं के लिए ऐसा माहौल बने कि वह आधी रात को भी निशंक हो कर बाहर निकलें और आ जा सकें। हम महात्मा गांधी के उस व्यक्तव्य से शत-प्रतिशत सहमत हैं जो उन्होंने महिलाओं की स्वतंत्रता के विषय में कहा था। उन्होंने कहा था कि मैं महिलाओं को पूर्ण रूप से स्वतंत्र तब मानंूगा जब रात को भी महिलाएं किसी भय व आतंक के बिना आ-जा सकें। कई महिलाएं मजबूरी में अंधेरा होने तथा रात का प्रहर शुरू होते हुए भी काम करती हैं। आजकल तो कई कंपनियों में रात की ड्यूटी भी महिलाएं व युवतियां कर रही हैं। जब से रात में भी कानून महिलाओं को काम करने का अधिकार दिया गया है तब से कई सर्विसेज में और कारखानों में भी महिलाएं काम करने लगी हैं पर, अभी तक ऐसा माहौल नहीं बन पाया है कि वह पूरी तरह भय मुक्त होकर ऐसे व्यवसायों से जुड़ सकें। जो महिलाएं इस तरह रात्रि कालीन सेवाओं में संलग्न हैं हम उन्हें पूरी सुरक्षा दे पाएं-यह हमारी शासन व सामाजिक व्यवस्था का बहुत बड़ा उत्तरदायित्व है। पर, जब तक यह नहीं बन पाएगा हम उनके बारे में चिंतित रहेंगे। इसमें सबसे चिंतनीय बात एक और शामिल है। प्राय: ऐसे स्थानों पर युवतियां अपने पुरुष साथी या मित्र के साथ  आती हैं। वह अपनी ही सुरक्षा करने की स्थिति में नहीं होते तब अपनी साथी युवती की किसी आपात स्थिति में क्या सुरक्षा कर  पाएंगे। यहां तक कि वह स्वयं भी मदहोशी की स्थिति में अपनी साथी युवती के साथ अशिष्टता कर बैठते हैं। हम सब महिला स्वतंत्रता के हामी हैं पर, उस उच्छृंखलता और स्वछंदता के पक्षधर नहीं है जिनमें पब और हुक्का बार में युवतियां पाई जाती हैं और जिनकी खबरें बनती हैं।

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