28 Mar 2024, 16:34:33 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-वीना नागपाल

जो घटनाएं निरतंर घटित हो रही हैं तब उन पर चर्चा भी निरतंर होते रहना चाहिए। उन पर विचारों की कड़ी कभी टूटना भी नहीं चाहिए। लगता है इस बात पर रुका तभी जाएगा जब इसका समाधान मानव स्वयं ही ढूंढ लेगें, क्योंकि यह घटनाएं मानव सभ्यता पर कलंक हैं। लगता है अब वह सीमा आ गई है जब इन बातों पर और ऐसी घटनाओं का घटना बंद हो जाए।

पहली घटना पर बातचीत करते हैं तो बहुत सकारात्मक है। बात लंदन की है। भारतीय मूल की एक युवती जो स्वयं एक जोर-जबरदस्ती की पीड़िता रही है, ने एक पहला ऐसा क्लिनिक खोला है जिसमें इन पीड़ित युवतियों और महिलाओं को हर प्रकार की चिकित्सकीय व मनोवैज्ञानिक व अन्य प्रकार की सहायता दी जाती है। पवन अमारा नाम की इस युवती ने अपने क्लिनिक का नाम भी बहुत सार्थक रखा है। क्लिनिक का नाम है-माय बॉडी बैंक प्रोेजेक्ट ‘‘अर्थात अपने शरीर की संरचना को पुन: प्राप्त करना। इन पीड़िताओं का योग्य चिकित्सकों तथा मनोवैज्ञानिकों व मानसिक चिकित्सकों द्वारा पूरा-पूरा व बहुत गहन उपचार किया जा रहा है। अमारा का विश्वास है कि यदि उनका यह क्लिनिक एक क्षेत्र में सफल होता है तो वह इसकी अन्य क्षेत्रों में भी शाखाएं खोलेंगीं। इस क्लिनिक में उन महिलाओं को विशेष रूप से सहायता व सुविधा दी जाएगी, जो इस दुर्घटना के कारण गर्भवती हो गई और उन्हें समझ नहीं आ रहा कि वह इस स्थिति से कैसे निपटें। इन महिलाओं को बहुत सहारे और आश्वासन देने वाले शब्दों की जरूरत होती है। उन्हें कदम-कदम पर सांत्वना मिलना चाहिए। पवन अमारा का क्लिनिक इन पीड़ित महिलाओं को पूरा सपोर्ट सिस्टम देने की व्यवस्था कर रहा है। कितना सकारात्मक कदम है यह। अब! दूसरी सकारात्मक घटना का जिक्र करते हैं। इस दुर्घटना की टीवी चैनल्स पर बहुत चर्चा हुई थी बात हरियाणा की है। वह  युवती कॉलेज में पढ़ती थी। 2013 में उसके साथ हरियाणा के भिवानी शहर में पांच व्यक्तियों ने अशिष्टता की। लगभग दो वर्ष तक मानसिक संताप में रहने के बाद उसने पुन: स्वयं को संभाला और रोहतक में आकर अपनी पढ़ाई शुरू की। उसकी तलाश करते-करते आरोपी रोहतक भी पहुंच गए और पुन: उन पांचों ने उसके साथ अशिष्टता की। पुलिस में रिपोर्ट हुई और उनमें से तीन आरोपी पकड़े गए, पर उस युवती का साहस और दृढ़ निश्चय देखिए। वह पुन: कॉलेज गई। उसने फिर से पढ़ाई शुरू कर दी है’ उस युवती के परीक्षा परिणाम हमेशा से प्रथम श्रेणी के रहे हैं और आठवीं तो उसे गणित में 99 प्रतिशत अंक आए थे। उस युवती का सबसे बड़ा दुर्भाग्य उसकी गरीबी है और इसी कारण तथा कथित ऊंची जाति वालों और रसूखदारों के निशाने पर वह रही। उसके पिता चारपाई बुनते हैं और मां घर से सिलाई करती है। पर, इतनी विपरित परिस्थितियों और इन पीड़ाजनित परिस्थितियों से गुजरने के बावजूद उस युवती की जिजीविषा और उसका मानसिक बल कमजोर नहीं हुआ। वह जांबाज और शाबाशी के योग्य लड़की कहती है कि उसे छात्रवृत्ति मिल रही है और वह निरंतर मिलती रहे इसके लिए वह हमेशा अच्छे प्रतिशत अंक लाती रहेगी। वह आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) की परीक्षा देगी। उसकी मां ने उसकी पीठ पर हाथ रखकर कहा कि मैं इसे अपनी सबसे बड़ी जिम्मेदारी मानती हंू कि मेरी बेटी अपनी शिक्षा पूरी करे। उसकी मां यह क्षेत्र छोड़ना चाहती है और अपनी बेटी को उसकी महत्वकांक्षा पूरी करने के पूरे अवसर देना चाहती है। बेटी से बात करो तो वह कहती है कि प्रशासनिक अधिकारी बनकर मैं इन जुल्म से भरे जोर-जबरदस्ती के और किसी युवती को इतना अपमानित करने वाले हादसों को होने ही नहीं दूंगी और यदि दुर्भाग्यवश ऐसा हुआ तो इन अपराधियों को कड़ी सजा दिलवाऊंगी। इन दोनों घटनाओं और इनके संदर्भों ने एक विश्वास व आशा जगाई है कि अब ऐसी दुर्घटनाएं एक हादसा भी नहीं रहेंगी और किसी युवती की मानिसक व शारीरिक सबलता भी नहीं आहत कर पाएंगी। जब ऐसी युवतियां सिर उठाकर समाज में जिएंगी और सशक्त बनकर रहेंगी, समाज भी उन्हें स्वीकृत कर सम्मान से जीने का हक देगा तब अपराधियों के हौंसले पस्त हो जाएंगे। इनकी प्रतिध्वनि दूर तक जाएगी।

[email protected]
 

  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »