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राजनीतिक तपस्वी हैं राजेंद्र शुक्ल

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 3 2016 11:18AM | Updated Date: Aug 3 2016 11:18AM
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-राजेंद्र शुक्ल
उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री


वे एक वट वृक्ष की तरह हैं, जैसे परिवार में कोई बुजुर्ग, जो अपनी तमाम मसरुफियतों के बावजूद अपनी एक नजर अपने घर, अपने परिवार, अपने आत्मीयजनों के साथ जनता जनार्दन पर बराबर बनाए रखते हैं। वे शांत हैं..., लेकिन कमजोर नहीं... उनकी जड़ें उनके अपने आदर्श और सिद्धांतों की तरह बड़ी गहरी हैं... हवाएं कितनी भी रौद्र क्यों न हो जाएं उनकी शाखाएं उनके मन की उदारता की तरह झुक जरूर जाती हैं, लेकिन उन्हें, उनकी जड़ों की गहराइयां और जन-जीवन पर मजबूत पकड़, टस से मस नहीं होने देती हैं। उन तक आने वाले इस वट वृक्ष के घने और विशाल आकार की छाया में ठहर सकते हैं... विश्राम कर सकते हैं- जीवन की धूप जैसी तल्खियों से निजात पा सकते हैं।

एक वट वृक्ष की तरह ही वे श्रद्धा के केंद्र बने हुए हैं... हमारी भारतीय संस्कृति में वृक्ष -पूजन का जीवंत साक्ष्य है- वट वृक्ष.... लोक मानस में वट वृक्ष की ही तरह ही उनके प्रति जन-विश्वास पूरी गहराई तक बना हुआ है। अगाध निष्ठा का केंद्र है ये वट वृक्ष....। राजेंद्र शुक्ल ने अपने राजनीतिक जीवन और सत्ता के साकेत में रहते हुए जिस धीरता, संवेदनशीलता और अपनत्त का परिचय दिया है, वह बिरला तो नहीं पर अनूठा है। यहीं है जो उन्हें वृक्ष जैसी विशलता देता है और उनके आचरण से लोगों को शीतलता और सुरक्षा का भाव पैदा होता है। विंध्य माने पिछड़ापन। यह दुर्भाग्यपूर्ण था लेकिन हकीकत थी। बड़े कद्दावर और प्रभावशाली नेता इस क्षेत्र में रहे, पर विंध्य की पहचान नहीं बनी। एक व्हाइट टाइगर था वह भी समय के साथ लुप्त होने वाला था, पर इसकी टीस कहीं राजेंद्र शुक्ल में थी। लक्ष्य के प्रति जो जुनून और समर्पण शुक्ल में है, वह विंध्य क्षेत्र के विकास के रूप में चप्पे-चप्पे में नजर आता है। समूचे विंध्य को देश के मानचित्र में एक स्पष्ट और चटखदार पहचान दिलाने में श्री शुक्ल की अभूतपूर्व भूमिका है।

शुक्ल की प्रतिबद्धता और संकल्पबद्धता के चलते विकास के सैकड़ों ऐसे छोटे-बड़े काम है, जिन्होंने विंध्य का चेहरा बदल दिया है। अगर एक पंक्ति में  शुक्ल को परिभाषित करना हो तो यह कहा जा सकता है कि समाज और देश के हित की यात्रा शुरू करने के बाद न कभी उन्होंने पीछे मुड़कर देखा और न कभी मील के पत्थर गिने। राजेंद्र शुक्ल के सेवा संकल्प का समर्पित भाव और चुनौतियों की जिद और जुनून के साथ सामना करने का जज्बा उनके व्यक्तित्व के ऐसे पहलू है, जिन्होंने विंध्य की राजनीति को चौतरफा विकास और सेवा में बदल दिया है। शुक्ल के व्यक्तित्व का सशक्त पहलू व्यापक धारा है। उनके व्यक्तित्व में व्यवहारिकता और आध्यात्मिकता का अनूठा संयोजन है। उनकी सफलताओं का आधार उनके करिश्माई व्यक्तित्व और करिश्माई सोच के चलते एक अलग पहचान बना रहा है। विंध्य की जनता ही उनकी भगवान है और सेवा में ही उन्हें नारायण के दर्शन होते हैं। शुक्ल के व्यक्तित्व में उनके संस्कार साफ दिखाई देते हैं। उनकी एक खूबी यह भी है कि अपनी प्रशासनिक कार्यशैली में भी वे इस तरह का संतुलन बनाकर रखते हैं।

राजेंद्र शुक्ल का व्यक्तित्व आसाधारण रूप से विशाल और प्रतिभा सम्पन्न हैं। एक योगी की तरह हर आम-खास की बात, समस्या सुनना, मनन करना, तार्किकता की कसौटी पर कसना और तत्काल निर्णय कर उसकी समस्या का समाधान कर उसके क्रियान्वयन का निर्देश देना। यह उनका एक ऐसा गुण है, जिससे आम 'जन' के 'मन' से उनका एक गहरा और आत्मीय रिश्ता बन जाता है। राजेंद्र शुक्ल को कभी छवि निर्माण के लिए प्रयास नहीं करने पड़े। उनकी सद्इच्छाओं ने उनकी छवि को इतना पुख्ता कर दिया है कि लाख कोशिशें उसे घुंधला कर पाने में अक्षम हैं। शुक्ल ने विंध्य के क्षेत्र के आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा पर्यटन विकास को प्राथमिकता में रखा हैं। उठते-बैठते विकास का सपना देखने वाले शुक्ल ने अपने नाम कई उपलब्धियां दर्ज की हैं। अपने क्षेत्र के विकास के लिए उनके ड्रीम प्रोजेक्टस मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी, चाकघाट से इलाहाबाद और हनुमना से बनारस फोन-लेन सड़कों का निर्माण हो अथवा गुढ़ में विश्व के सबसे बड़े 750 मेगावॉट सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना हो। शुक्ल ने रीवा के चौतरफा विकास में विशेष रुचि ली हैं। इसी के चलते रीवा विकास शहर के रूप में उभरा है। रानी तालाब का सौंदर्यीकरण, फ्लाईओवर, शॉपिंग मॉल, कलेक्ट्रेट भवन, गार्बेज ट्रीटमेंट प्लांट, बस स्टैंड, जिला चिकित्सालय को सर्व-सुविधायुक्त बनाने आदि जैसी अनेक उपलब्धियां भी उनके नाम दर्ज है। उन्होंने महत्वपूर्ण लो कास्ट एयरपोर्ट स्वीकृत करवाया। इससे रीवा सहित पूरे विंध्य को यातायात और संचार के साधन मिलेंगे, जो क्षेत्र का कायाकल्प कर देंगे। शुक्ल विकास कार्यों के लिए धुन के पक्के माने जाते हैं। रेल बजट में रीवा-राजकोट ट्रेन प्रारंभ किए जाने की घोषणा हुई। शुक्ल का अकाट्य तर्क है कि रीवा-राजकोट ट्रेन प्रारंभ होने से विंध्य क्षेत्र का चतुर्दिक आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक विकास होगा।

रीवा में 3 अगस्त 1964 को जन्मे राजेंद्र शुक्ल ने युवा अवस्था में ही राजनीति के प्रति अपनी रुचि बता दी थी, जब वे वर्ष 1986 में रीवा इंजीनियरिंग कॉलेज छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। व्यवसाय कृषि, तैराकी के शौकीन शुक्ल पहली बार वर्ष 2003 में विधानसभा के लिए चुने गए। उसके बाद उन्होंने निरंतर तीसरी बार अपनी विजय को बरकरार रखा। योग्य, कुशल, प्रबंधन और प्रशासनिक क्षमता के धनी शुक्ल को जब भी जो जिम्मेदारी सौंपी गई उन्होंने अपने प्रबंधन कौशल का बेहतर प्रदर्शन किया। वर्ष 1992 में रीवा में युवा सम्मेलन का अति सफल आयोजन कर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया था। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की रीवा बैठक में बेहतर प्रबंधन से राष्ट्रीय राजनेताओं के सामने शुक्ल ने अपनी पहचान को नए आयाम दिए। विवादों से दूर रहकर बिना शोरगुल के काम करते रहने की नीति पर वे चले। तीन कार्यकाल में मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण मंत्री-पदों की कसौटी पर खरे भी उतरे। नेतृत्व के प्रति निष्ठा और राज्य सरकार के लक्ष्यों को पूरा करने की प्रतिबद्धता श्री शुक्ल की विशेषता है। बिजली संकट से जूझते हुए मध्यप्रदेश को रोशन करने की चुनौती उन्हें मिली। आज मध्यप्रदेश सरप्लस बिजली वाला प्रदेश है।

वे ऊर्जा मंत्री के रूप में जितने खरे उतरे उतनी ही शुक्ल ने उद्योग मंत्री का प्रभार लेते ही प्रदेश में औद्योगिक क्रांति का लक्ष्य लेकर अपने दायित्वों के निर्वहन में तत्परता प्रदर्शित की है। जनसंपर्क मंत्री के रूप में भी अपनी एक अलग पहचान स्थापित की है। उन्होंने सात-आठ वर्ष से लंबित विभागीय पुरस्कारों को प्रदान करने में जो तत्परता दिखाई, उसे मीडिया जगत ने सराहा। साथ ही पत्रकारों को लैपटॉप देने की योजना पर प्रभावी अमल कर दिखाया। इसी तरह पत्रकारों की स्वास्थ्य एवं दुर्घटना बीमा योजना को भी अमली जामा पहनाकर उसे क्रियान्वित किया। बुजुर्ग पत्रकारों के लिए लागू श्रद्धानिधि की राशि में बढ़ोत्तरी के लिए वे प्रयासरत रहे। उज्जैन में आयोजित सिंहस्थ महाकुंभ पर्व-2016 की सफल ब्राांडिंग के चलते देश-विदेश के कोने-कोने से श्रद्धालुओं ने अपनी भागीदारी दिखाई।

ओहदा उनके लिए कभी पहचान नहीं बना। श्री शुक्ल से ओहदे की पहचान बनी है। लोगों के जीवन में थोड़ी खुशियां ला सके और उनके दिलों में यह अहसास जगा सके कि कोई उनका अपना है, अपने इस उद्देश्य में राजेंद्र शुक्ल पूरी तरह सफल हैं।

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