25 Apr 2024, 00:25:36 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-वीना नागपाल

देश की राजधानी दिल्ली महिलाओं के साथ होने वाले दुर्व्यवहार और जोर-जबरदस्ती की घटनाओं के कारण बहुत बदनाम है। निर्भया कांड के बाद जितने भी आक्रोश से भरे प्रदर्शन किए गए और मोमबत्तियां जलाई गईं वह सब लगभग व्यर्थ ही साबित हुए। न तो जोर-जबरदस्ती और अशिष्टता की घटनाएं कम हुईं और न लोग इसके प्रति जागरूक हुए या सहमे व डरे। इन दुर्घटनाओं के इतने समाचारों के कारण दिल्ली को महिलाओं के लिए असुरक्षित क्षेत्र ही माना जाने लगा।

हां! इतना जरूर हुआ कि निर्भया की दुर्घटना के बाद युवतियों में इतना साहस और जागरूकता तो आई कि वह बदनामी के डर से अपने साथ होने वाले दुर्व्यवहार को चुप रहकर सहने के स्थान पर इसकी शिकायतें दर्ज कराने लगीं और यह भी एक अच्छा बदलाव आया कि इन पीड़िताओं के परिवार वालों ने पूरी तरह उनका साथ देना प्रारंभ किया और न्याय पाने के लिए अब वह उनके साथ पूरी दृढ़ता से खड़े होते हैं।

जहां तक इस बदलाव का सवाल है इसे पूरी तरह समर्थन दिया जाना चाहिए, पर इसका एक दूसरा पक्ष भी उभरकर सामने आ रहा है जो कई प्रश्न खड़े कर रहा है। उसी दिल्ली में 45 प्रतिशत बलात्कार के मामले झूठे निकले, यह आंकड़ा कम नहीं माना जा सकता। पिछले छह महीनों में ही 45 प्रतिशत दर्ज मामले झूठे निकले और केस दर्ज करने वाली महिलाएं और युवतियां इन आरोपों को सिद्ध नहीं कर सकीं। यहां तक कि ऐसा भी हुआ कि छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा होने या फिर अपनी इच्छा व मांगें पूरी न होने पर अपने साथ हुई जोर-जबरदस्ती का केस दर्ज करवा दिया और कुछ दिनों बाद गुस्सा शांत होने पर स्वयं ही आरोपी को बचाने के लिए वापस अदालत जा पहुंची। ऐसे केसों की जरा बानगी देखिए। युवतियों ने बताया कि जिस पर उन्होंने आरोप लगाया है उससे तो वह बेइंतहा प्रेम करती हैं और दोनों के बीच प्रेम संबंध कुछ समय से मौजूद है पर, कुछ दिनों से ‘उसने’ अपना फोन बंद कर रखा था कि जिससे विवाह होने वाला था उससे वह प्रगाढ़ता से मिल रही थीं, पर उसने विवाह की तारीख आगे बढ़ा दी या उसके परिवार द्वारा विवाह तय होने के बाद मांगें की जाने लगीं या फिर उसके किसी निकट के पुरुष के साथ पुरुष द्वारा विवाहत्तेर संबंध बनाए जाने के कारण उसका पता उस पुरुष की पत्नी को लग जाने के कारण पत्नी ने युवती को बहुत बुरी तरह से धमकाया तो उस युवती को इतना गुस्सा आया कि उसने उस पुरुष पर सेक्सुअल हैरेसमेंट का आरोप लगाकर उसे कठघरे में खड़ा कर दिया। वह उस पुरुष को सबक सिखाना चाहती थी पर, वह आरोप सिद्ध नहीं कर पाई। कई घटनाओं में लिव-इन-रिलेशनशिप अथवा अन्य कारणों से अपनी मर्जी से किसी के साथ रहने के बाद जब आपसी मतभेद के कारण साथ छूट जाता है तब भी कई युवतियां अपने साथ किए दुर्व्यवहार का आरोप लगाती हैं और कुछ समय बाद वही केस वापस लेने अदालत भी पहुंच जाती हैं। एक विवाहित महिला ने दहेज उत्पीड़न के साथ-साथ यौन उत्पीड़न का भी केस लगा दिया, जिसे वह सिद्ध नहीं कर पाई।

दहेज उत्पीड़न के कानून का जिस तरह दुरुपयोग हुआ है लगभग उसी तरह उसी के नजदीक यौन उत्पीड़न के कानून का भी हाल हो रहा है। न्यायालय ऐसे केस के कारण बेवजह बोझ में आता हैं। इस मानसिकता का टूटना बहुत जरूरी है कि केवल बदले की भावना और क्रोध के कारण ऐसे मुकदमे दर्ज किए जाएं। महिलाओं को अपने जज्बातों पर रोक लगाना होगी।

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