-वीना नागपाल
सानिया मिर्जा प्रसिद्ध टेनिस खिलाड़ी हैं। बहुत परिश्रम और निरंतर अभ्यास से उन्होंने एक मुकाम हासिल किया है। उनका नाम सुनकर तथा उनके बारे में जानकर न केवल किशोरियां और युवतियां यहां तक कि कई परिवाले भी प्रेरित होते हैं कि अपनी बेटियों को इसी तरह आगे बढ़ने का मौका दें। खेलों के क्षेत्र में लड़कियों की भागीदारी सानिया मिर्जा के नाम के कारण ही आगे बढ़ी है। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया है कि बेटियां भी परिवार को नाम व प्रसिद्धि देती हैं।
पिछले दिनों सानिया मिर्जा की प्रेस कॉन्फ्रेंस थी। बड़े-बड़े समाचार पत्रों के जाने-पहचाने पत्रकार इसमें मौजूद थे। एक नामी-गिरामी पत्रकार (नाम बताना जरूरी नहीं है) ने एक ऐसा प्रश्न पूछ लिया जो सानिया मिर्जा समेत अन्य कई महिलाओं व युवतियों की सारी अर्जित सफलताओं और उपलब्धियों पर एक पुरुषवादी नजरिए और सोच को सामने लाता है। उन प्रतिष्ठित (?) पत्रकार ने पूछा - कब सैटल हो रही हैं? और कब फैमिली शुरू कर रही हैं? सानिया मिर्जा का इस प्रश्न पर खिझना स्वभाविक था और उन्होंने पलटकर कुछ इस तरह उत्तर दिया - आप मेरी सफलताओं के बारे में प्रश्न नहीं पूछ रहे और मेरे मां बनने की बात में आपकोअधिक रुचि है। ‘‘सानिया मिर्जा की इस बात को सुना जाए और समझा जाए। यह वही दकियानूसी और परंपरावादी नजरिया है जिससे हमारी अनगिनत युवतियां आए दिन रूबरू होती हैं। हमारी सोच इस बात के इर्द-गिर्द ही घूमती रहती है कि कोई युवती या तो कब शादी करेगी या यदि उसकी शादी हो गई है तो कब मां बनेगी। उसकी सफलताएं व उपब्धियां तथा उसका किसी ऊंचाई पर पहुंचना हमारी नजर में कुछ मायने नहीं रखता, केवल यही मायने रखता है कि उसका विवाह कब होगा और बच्चों को कब जन्म देगी। युवतियों से यही प्रश्न पूछ कर उन्हें परेशान किया जाता है और उनकी किसी भी अचीवमेंट को निरर्थक माना जाता है। युवकों को तो इस तरह के प्रश्नों के कठघरे में खड़ा नहीं किया जाता कि वह कब बाप बन रहे हैं? और कब फैमिली बढ़ा रहे हैं?
अब इसी तरह की एक और बाज सुन लें। लोकप्रिय अभिनेत्री अनुष्का शर्मा ने ‘सुल्तान’ फिल्म में बहुत सशक्त अभिनय किया है। पर, उन्हें भी फिल्म के चरित्र को लेकर प्रश्नों से उलझना पड़ा है। सोशल मीडिया पर उन्हें भी कठघरे में खड़ा होना पड़ा है। फिल्म में वह मां बनती हैं और अपने बच्चे की खातिर वह अपना कॅरियर छोड़ देती हैं। उन पर यह प्रश्न दागे गए कि एक सफल कॅरियर को जारी न रखकर उन्होंने फैमिली रेज (परिवार बढ़ाने) के लिए अपने कॅरियर को दांव पर क्यों लगा दिया? यह कदम तो महिला सशक्तिकरण और एक महिला के अचीव बनने की राह को बंद करता है। इसे इसलिए सही नहीं माना जाना चाहिए। आज के समय में ऐसा करना महिला हितैषी कदम नहीं होगा।
इन प्रश्नों के उत्तर में अनुष्का शर्मा ने एक बहुत सही बात कही। उन्होंने कहा कि यह महिला का स्व निर्णय होना चाहिए कि कब मां बनेगी और मां बनकर वह अपनी संतान की देखभाल व पालन-पोषण के लिए निर्णय लेगी। हमें इससे सहमत होना चाहिए जब प्रकृति ने केवल महिला को ही यह अनुपम वरदान दिया है कि वह ही मां बनेगी और वह ही संतान उत्पन्न करेगी तब इसमें किसी अन्य का हस्तक्षेप व निर्णय क्यों लागू होना चाहिए। किसी महिला ने कब मां बनाना है और मां का रोल कैसे निभाना है इसमें केवल मात्र उसका निर्णय ही सर्वोपरि होना चाहिए पर, ऐसा होता नहीं है। न जाने क्यों इसमें अन्य और गैर जरूरी तत्व अपनी सलाह और परामर्श देने लगते हैं। जब महिलाएं इस निर्णय की पूरी हकदार मानी जाएंगी तब बहुत सुंदर, स्वस्थ व सबल संतानों का जन्म होगा जिनकी आज सख्त जरूरत है।
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