-वीना नागपाल
इंदौर जिले के कलेक्टर ने महिलाओं की निजता के अधिकार को लेकर इतना सकारात्मक निर्णय लिया है कि जिससे महिलाओं के सम्मान को बहुत महत्वपूर्ण और नितांत आवश्यक सुरक्षा मिलेगी। ऐसी दुर्घटनाओं के समाचार कई स्थानों से मिल रहे थे कि उनकी निजता पर आंच आ रही है और वह अकारण ही असम्मानित होती हैं, जबकि वह पूरी तरह से इससे बेखबर होती हैं।
यहां बात हो रही है महिलाओं के उन निजता के क्षणों की जो वह किसी स्थान के चेजिंग रूम में बिताती थीं। वाटर पार्क्स, बुटिक्स तथा शॉपिंग मॉल के बड़े-बड़े शो-रूम्स में स्थित वस्त्रों के शो रूम्स में स्थापित चेंजिंग रूम्स से संबंधित होते हैं। कलेक्टर पी नरहरि ने धारा 144 के अंतर्गत तत्काल रूप से प्रभावित इस आदेश को लागू कर दिया है कि चेजिंग रूम्स में कैमरा या अन्य किसी भी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक्स रिकॉर्डिंग डिवाइस को नहीं लगाए जा सकते। इसे पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है। महिलाओं की निजता का किसी भी प्रकार से अतिक्रमण नहीं किया जा सकता और न ही उसमें हस्तक्षेप करने की किसी को भी अनुमति या अधिकार दिया जा सकता है। यह पूर्णता गैर कानूनी होगा और दंडनीय अपराध भी माना जाएगा। इस तरह के संस्थान जहां चेंजिंग रूम्स होने की गुंजाइश हो उन्हें इस प्रकार घोषणा पत्र संबंधित एसडीएम एवं थाना प्रभारी को प्रस्तुत करना होगा। ऐसा भी होना चाहिए कि इन शो रूम्स, बुटिक्स और वाटर पार्क्स आदि के प्रवेश स्थान पर ही यह घोषणा खुले व बड़े-बड़े अक्षरों में लिखी जाना चाहिए कि उनके यहां ऐसा कोई डिवाइस लगा हुआ नहीं है जिससे महिलाएं पूरी तरह आश्वस्त रहें।
महिलाओं के सम्मान व आदर के लिए जैसे भी और जहां भी जरूरी हों ऐसे कदम उठाने नितांत आवश्यक हैं। यदि इसे लेकर प्रशासन बहुत उचित और त्वरित निर्णय लेता है तो इससे समाज में बहुत सशक्त संदेश जाता है। महिलाओं के साथ किसी प्रकार की अशिष्टता से न केवल उनका अपमान होता है बल्कि पूरे समाज के व्यवहार की सोच को भी यह प्रतिबिंबित करता है। जब ऐसे कदम उठाए जाते हैं तो यह संदेश समाज में जाता है कि महिलाओं के साथ किसी भी प्रकार की अशिष्टता तथा असम्मानजनक व्यवहार किसी भी स्तर पर और किसी भी तरह सहन नहीं किया जाएगा। हालांकि इसे लेकर बहुत सराहना की जाना चाहिए शासन अपनी ओर से बहुत सचेत है कि उसे जहां भी कुछ कमी व कमजोरी दिखती है तो वह इसे पाटने की ईमानदार कोशिश करता है। पर, इसके साथ-साथ समाज का भी दायित्व बनता है कि वह ऐसा माहौल बनाए जहां पुरुषों की मानसिकता में भी बहुत सकारात्मक परिवर्तन आए। इस तरह की अशिष्टता करने की सोच में कुछ बदलाव आएगा तब महिलाओं की निजता की सुरक्षा को लेकर ऐसे कदम उठाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। खोट तो नीयत और सोच में है तभी तो शासन को इतना सजग होना पड़ा है। शासन के लिए दूसरे मसले क्या कम हैं जो वह यहां तक भी कदम उठाने के लिए मजबूर हो जाए।
परिवारों में महिलाओं के प्रति नजरिया बदलना ही इस समस्या का स्थायी हल है। यदि परिवारों के माहौल में बेटियों और घर की महिलाओं के प्रति सम्मान का भाव है तो यह एक स्थायी भाव होता है जो समाज की प्रत्येक महिला के प्रति भी बना रहता है। ऐसे परिवारों के पुरुष ऐसी अशिष्टता करने का विचार भी अपने मन में ला ही नहीं सकते। आखिर समाज में सारे पुरुष तो अशिष्ट नहीं हैं और ऐसी सोच भी नहीं रखते। इसका बहुत बड़ा कारण उनकी परवरिश और पारिवारिक माहौल है। इसी को व्यापक रूप दिया जाना चाहिए। महिलाओं की निजता स्वयं ही सुरक्षित हो जाएगी।
[email protected]