-अश्विनी कुमार
पंजाब केसरी दिल्ली के संपादक
राशियों के हिसाब से पेड़ लगाने में कोई बुराई नहीं, लेकिन सवाल इस बात का है कि क्या विकसित समाज में ऐसे अंधविश्वास फैलाया जाना चाहिए। इसमें कोई संदेह नहीं कि हमारे लोकतंत्र की जड़ों में तंत्र-मंत्र छिपा हुआ है। देश की प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी कभी धीरेंद्र ब्रह्मचारी तो कभी स्वामी सदाचारी से प्रभावित रहीं। धीरेंद्र ब्रह्मचारी का उन पर एकछत्र प्रभाव रहा। फिर तांत्रिक चंद्रास्वामी ने अपनी जगह बनाई। उन्होंने भी श्रीमती गांधी की शक्ति, यशवृद्घि तथा विश्व कल्याण के लिए कई अनुष्ठान किए। स्वामी पूणार्नंद भी काफी चर्चित रहे। हर राजनीतिज्ञ का अपना योगी, संत, महंत, ज्योतिषी और तांत्रिक रहे हैं। इनके बड़े-बड़े आश्रम बने हैं। प्रधानमंत्री रहे चंद्रशेखर की देवरिया के देवरहा बाबा में अटूट आस्था थी।
आज भी अनेक राजनीतिज्ञ तंत्र-मंत्र में आस्था रखते हैं। चंद्रशेखर राव भी ऐसे ही राजनीतिज्ञ हैं। आपका आवास, आपका क्षेत्र हरा-भरा हो, हर कोई ऐसा चाहता है। वृक्षविहीन वीरान लगने लगते हैं राजपथ। पर्यावरण की रक्षा की खातिर ही पेड़ उगाने के लिए हर किसी को प्रेरित किया जाता है। हाईवे फैल रहे हैं, हरितिमा खत्म हो रही है। इसलिए जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ उगाए जाएं लेकिन तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने राज्य के लोगों से कहा है कि वे अपनी राशियों के हिसाब से पेड़ उगाएं।
चंद्रशेखर राव का ज्योतिष और वास्तु में काफी विश्वास है। उनका कहना है कि राशियों के हिसाब से पेड़ लगाने से लोगों को न केवल व्यक्तिगत बल्कि राज्य को भी फायदा होगा। इससे सभी ‘गुड लक’ होगा। तेलंगाना के लोगों को मुख्यमंत्री की बातों पर कोई आश्चर्य नहीं हुआ, लेकिन उनके अंधविश्वास पर दूसरे राज्य के लोगों को हैरानी जरूर हुई है। उन्होंने तो वास्तु दोष के कारण मौजूदा परिसर में काम करने से इंकार कर दिया है और उन्होंने वास्तु विशेषज्ञ की सलाह पर नए सचिवालय के निर्माण की योजना भी तैयार कर ली है। यहां तक कि राज्य की सड़कें और इमारतें भी वास्तु विशेषज्ञ की सलाह लेकर बनाए जा रहे हैं। राव अपने लिए नया कार्यालय और आवास बनवा रहे हैं जो करीब 8.9 एकड़ में होगा, इसके निर्माण पर 35 करोड़ की लागत आएगी। इसमें एक सभागार भी होगा।
आईएएस आॅफिसर्स क्लब से सटे तरणताल को तोड़ दिया गया है। इसका निर्माण स्वर्गीय मुख्यमंत्री वाई.एस. राजशेखर रेड्डी ने करवाया था। समझ नहीं आ रहा है कि तेलंगाना सरकार क्या कर रही है। पर्यावरणविद् चिंतित हैं, क्योंकि एक तरफ तो सरकार हैदराबाद में सड़क चौड़ी करने के लिए केबीआर नेशनल पार्क में 1394 पेड़ काटने की योजना बना रही है। सड़कों को चौड़ाकर निवेशकों को आकर्षित करने और हैदराबाद में व्यापार बढ़ाने की योजना है।
एक तरफ पेड़ काटे जा रहे हैं तो दूसरी तरफ लोगों को राशियों के हिसाब से पेड़ लगाने को कहा जा रहा है। पुराने जमाने में राजा-महाराजा भी बाग लगवाते थे, वहां ऐसे पेड़ लगाए जाते थे जिससे वातावरण शीतल रहे और उन्हें बड़े करीने से लगाया जाता था। वृंदावन में ऐसे पुराने पेड़ आज भी देखे जा सकते हैं, लेकिन आजकल राजमार्ग तो बनाए जा रहे हैं और केवल उन्हें सजाने के लिए ऐसे पेड़ लगाए जा रहे हैं जिनका सामान्य जनजीवन में कोई अधिक महत्व नहीं होता।
यह पेड़ हरे तो होते हैं, लेकिन वातावरण को शीतलता प्रदान नहीं करते। पहले खुली सड़कों पर आते ही पर्यटकों को ठंडी हवा मिलती थी, छाया मिलती थी, परंतु अब न ठंडी हवाएं मिलती हैं, न छाया। भारतीय संस्कृति में वृक्षों का अपना महत्वपूर्ण स्थान रहा है। आयुर्वेद के जनक महर्षि चरक ने भी वातावरण की शुद्धता के लिए वृक्षों का महत्व बताया है। वास्तु शास्त्र से शुभ पेड़-पौधों की पहचान की जा सकती है, लेकिन जिस देश में करोड़ों लोगों को अपना घर नसीब नहीं, जो लोग बिल्डरों द्वारा बनाए गए कबूतरखाने जैसे फ्लैटों में रहते हों, बिल्डिंग कानूनों का खुला उल्लंघन कर मंजिलें बढ़ा दी गई हों जहां न धूप आती हो, वहां वास्तुशास्त्र अपने आप में अर्थहीन हो जाता है। यह वही लोग सोच सकते हैं जिनके पास अथाह धनराशि हो और महलनुमा बंगले हों। आज के समय में बिल्डर का फ्लैट मिलना ही भाग्यशाली समझा जाता है।
बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं द्वारा तांत्रिक अनुष्ठान करवाए जाने के बावजूद हमने उनका वर्चस्व खत्म होते देखा। राजनीतिक वर्चस्व के बारे में कोई योगी, कोई तांत्रिक यह दावा नहीं कर सकता कि यह सब उनके अनुष्ठानों, साधनाओं का परिणाम है। वे अपने ही विवेक और आत्मबल से गतिमान हैं। लोकतंत्र में तंत्र निरपेक्ष पथ के यथार्थ को रचनात्मक और सार्थकतावादी माना जाना चाहिए। नहीं कह सकता कि चंद्रशेखर राव का भविष्य क्या होगा लेकिन उनके अंधविश्वासी होने पर आश्चर्य जरूर होता है।