कल तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अपने प्रधान सचिव और संगी-साथियों की करतूतों की वजह से मुंह छुपाना पड़ रहा है। भ्रष्टाचार के खिलाफ ताल ठोंकने वाले केजरीवाल की इससे ज्यादा किरकिरी और क्या होगी कि उन्हीं के दफ्तर में बैठे लोग करोड़ों का भ्रष्टाचार कर डकार तक नहीं ले रहे हैं। केजरीवाल के नारे और वादे खोखले साबित हुए कि वे भ्रष्टाचार को जड़-मूल से खत्म करके रहेंगे। इस दिशा में उनके प्रयास कितने कमजोर निकले कि वे अपने दफ्तर में बेखौफ चल रहे भ्रष्टाचार को ही नहीं देख पाए।
जब सीबीआई ने सोमवार को केजरीवाल के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार को कम्प्यूटरों की खरीद में 50 करोड़ रुपए के गड़बड़ घोटाले से जुड़े मामले में गिरफ्तार कर लिया तो केजरीवाल की बातों का वजन रुई के फोहे की तरह हवा में उड़ चला। 1989 बैच के आईएएस अफसर राजेंद्र कुमार के साथ ही उनके चार अन्य साथियों संदीप कुमार, दिनेश कुमार, तरुण शर्मा और अशोक कुमार को भी सीबीआई ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है। इस मामले में सीबीआई का कहना है कि राजेंद्र कुमार ने अलग-अलग विभागों की जिम्मेदारी संभालते हुए अपनों के नाम से बनाई गई कई फर्जी कंपनियों को अनुचित रूप से आर्थिक फायदा पहुंचाया। चर्चा तो यह भी है कि वर्ष 2006 में एंडेवर्स सिस्टम्स नाम की कंपनी बनाई गई। ये राजेंद्र कुमार और अशोक कुमार की फ्रंट कंपनी है। दिनेश कुमार गुप्ता और संदीप कुमार इसके निदेशक थे। ये कंपनी सॉफ्टवेयर और सॉल्यूशन मुहैया कराती थी। यह बात एफआईआर में भी दर्ज कराई गई है। बताया जा रहा है कि भ्रष्ट राजेंद्र कुमार ने 2007 में दिल्ली सरकार की ओर से हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की खरीद के लिए एक पैनल बनाने की प्रक्रिया शुरू की। इसी साल वे दिल्ली ट्रांसपोर्ट लिमिटेड के सचिव बनाए गए। इसके बाद बिना उचित टेंडर जारी किए वे अपने चहेतों को ठेके बांटते रहे। अनुमान लगाया गया है कि इस मामले में 50 करोड़ रुपए से ज्यादा का घोटाला किया गया है। सीबीआई के चंगुल में फंसे राजेंद्र कुमार को लेकर दिल्ली सरकार का रवैया उनके बचाव में दिखाई दे रहा है। वह गलती स्वीकार करने की बजाय केंद्र सरकार पर ही तोहमत लगाकर बचने का प्रयास कर रही है।
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का इस बारे में कहना है कि केंद्र सरकार घटिया स्तर की राजनीति पर उतर आई है। सीबीआई की यह कार्रवाई वास्तव में दिल्ली सरकार को बदनाम करने की साजिश है। सिसोदिया आरोप लगा रहे हैं कि केंद्र सरकार राजनीतिक द्वेष की भावना से यह कदम उठा रही है और दिल्ली सरकार के काम करने वाले सच्चे अधिकारियों को हटाया जा रहा है। सिसोदिया का यह भी कहना है कि राजेंद्र कुमार की गिरफ्तारी पूरे सीएम दफ्तर को पंगु बनाने के लिए की गई है। सिसोदिया ने यहां तक कह दिया कि यदि सीएम हाउस में एक चपरासी भी बचेगा तो हम उसी से काम करा लेंगे। गौरतलब है कि पिछले साल 15 दिसंबर को सीबीआई ने मुख्यमंत्री कार्यालय के करीब स्थित राजेंद्र कुमार के दफ्तर पर छापा मारा था। राजेंद्र कुमार के दफ्तर पर सीबीआई के छापे के बाद 'आप' सरकार और केंद्र सरकार के बीच तीखा आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चल पड़ा था।
पिछले दिनों मोदी सरकार के खिलाफ अपने तेवरों को और ज्यादा तल्ख करने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की मंशा एकदम स्पष्ट हो चली थी कि वे भाजपा के विकल्प के तौर पर मानी जाने वाली कांग्रेस की जगह आम आदमी पार्टी को बतौर मुख्य प्रतिद्वंद्वी स्थापित करना चाह रहे थे। अब केजरीवाल के विरोधियों को उन्हें निपटाने का पूरा मौका मिल गया है। सच यह भी है कि सियासत में सब जायज होता है, लेकिन फिलहाल केजरीवाल की राह अत्यधिक कांटों भरी है।