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भाजपा-शिवसेना में तकरार के मायने

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 2 2016 10:32AM | Updated Date: Jul 2 2016 10:32AM
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- राजीव रंजन तिवारी
 - विश्लेषक


शिवसेना और भाजपा के बीच की कड़वाहट बढ़ती जा रही है। दोनों पार्टियों के तेजी से बिगड़ रहे रिश्तों के बीच बीजेपी ने पिछले दिनों शिवसेना के कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया। दरअसल,  मुंबई में बीएमसी के एक कार्यक्रम में उद्धव ठाकरे और मुंबई बीजेपी अध्यक्ष आशीष शेलार को मंच साझा करना था, लेकिन शिवसेना के बीजेपी नेताओं के खिलाफ प्रदर्शन को लेकर विरोध जताते हुए बीजेपी नेता शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से दूरी बनाते दिखे। अब महाराष्ट्र सरकार में सहयोगी शिवसेना अपनी ही सरकार के विरोध में खड़ी हो गई है। जमीन घोटाला और दाऊद के फोन कॉल विवाद के कारण कुर्सी गंवाने वाले महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे के बहाने शिवसेना ने बीजेपी पर वार किया है। मुखपत्र सामना में पार्टी ने लिखा है कि वह पीठ पर वार नहीं करती जो किसी की बदनामी कराकर राजनैतिक रोटी सेंके। शिवसेना ने खडसे को सच्चा देशभक्त बताया और कहा है कि खडसे पर कई आरोप हैं, लेकिन उन पर लगा दाऊद से रिश्ते का आरोप मानने लायक नहीं है। यह खडसे की देशभक्ति पर कलंक लगाने जैसा है। उन पर अन्याय किया गया है।

वास्तव में महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता एकनाथ खड़से के घावों पर शिवसेना ने मरहम लगाकर भाजपा को चिढ़ाने का काम किया है। जमीन घोटाला और दाऊद इब्राहिम के फोन कॉल विवाद के कारण कुर्सी गंवाने वाले महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे के बहाने शिवसेना ने भाजपा पर जमकर हमला बोला है। शिवसेना ने सहयोगी भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा है कि अगर मुख्यमंत्री उनकी पार्टी का होता तो खडसे का यह हश्र नहीं होता। गौरतलब है कि खड़से भी इन दिनों बागी तेवर अपनाए हुए हैं। पिछले दिनों एक चुनावी सभा में खड़से ने कहा था कि यदि उन्होंने मुंह खोला तो देश हिल जाएगा। खडसे के समर्थन में उतरी शिवसेना आजकल भाजपा के खिलाफ लगातार गुस्से का इजहार कर रही है, जबकि दोनों पार्टियों का महाराष्ट्र और केंद्र में याराना भी है। बीते माह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए शिवसेना ने योग दिवस को कहा था कि योग पर सारी दुनिया का ध्यान केंद्रित करना एक सार्थक प्रयास है लेकिन इस प्राचीन और निहित व्यायाम से महंगाई पर काबू नहीं पाया जा सकता। शिवसेना ने मोदी से पूछा कि क्या नरेंद्र मोदी योग करने से महंगाई से छुटकारा मिलेगा। इस व्यायाम से जनता मुद्रास्फीति के दर्द और पीड़ा से राहत नहीं पा सकती। मोदी ने दुनियाभर के 130 देशों को योग करने के लिए पृथ्वी पर उल्टा दिया है। अब मोदी को चाहिए कि वह पाकिस्तान को भी धरती पर लाकर टिका दें। यह सिर्फ हथियारों की मदद से ही संभव है। शिवसेना ने प्रधानमंत्री की विश्व योग दिवस में भाग लेने की आलोचना की। कहा कि जमीन पर लेटने से कीमतें नहीं घटेंगी। शिवसेना के मुखपत्र सामना ने लिखा था कि गैर भाजपा राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने मोदी का विरोध किया और कहा कि योग के नाम पर वह जनता का ध्यान महंगाई से भटकाना चाहते हैं, जबकि सच यही है कि योग एक विज्ञान है। उसका विरोध संभव नहीं, मगर मोदी जो कर रहे हैं वह जनता को मूर्ख भी बना रहे हैं। महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। हाल ही में केंद्र और महाराष्ट्र की सत्ता में अपनी सहयोगी बीजेपी पर तीखा हमला बोलते हुए शिवसेना ने कहा कि उसके वरिष्ठ सहयोगी दल की राजनीति झूठ और अफवाहें फैलाने की है और दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र तक वह सच बोलने वाले लोगों की आवाज दबाने की कोशिश कर रहा है। इससे पहले बीजेपी के एक प्रकाशन मनोगत ने अपने लेख में एक भाजपा नेता ने उद्धव ठाकरे की पार्टी को तलाक लेने की चुनौती दे दी। 

बयानबाजी से शुरू हुआ दोनों के बीच का विवाद सड़क पर आ गया है और इसके थमने के फिलहाल आसार नहीं। माहौल को शांत करने के लिए बीजेपी ने कोशिश की पर शिवसेना की तरफ से पानी फेर दिया गया है। 30 जून को महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार की तरफ से शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे को बाघ का पुतला भेंट किया गया। यह पहल महाराष्ट्र के वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने उद्धव ठाकरे के बांद्रा स्थित घर मातोश्री में जाकर की है। मुलाकात के बाद वित्तमंत्री ने कहा कि आपस में अच्छे संबंध रहें इसकी कोशिश दोनों दलों से होती है। कार्यकर्ताओं को संयम बरतना चाहिए। मुलाकात के लिए औपचारिक वजह थी महाराष्ट्र सरकार की पौधरोपण मुहिम। 1 जुलाई से शुरू होने वाली इस मुहिम के शुभारंभ के कार्यक्रम में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को बुलाया जाना था। इस बहाने से शिवसेना आलाकमान से मुलाकात की पहल तब हुई जब शिवसेना के कार्यकर्ता बीजेपी के नेताओं की तस्वीरों पर जूते चला रहे थे। वित्तमंत्री के जाने के बाद शिवसेना प्रमुख ने कहा कि वे केवल झगड़ने के लिए नहीं बोलते। जो ठीक है, वही बोल रहे हैं। गठबंधन के बीच के विवाद पर पूछे सवाल पर उद्धव ने कहा कि पता नहीं गठबंधन के बीच का विवाद कब खत्म होगा। दूसरी तरफ सामना के संपादकीय से हर दूसरे दिन बीजेपी के नेताओं पर होने वाली टिप्पणी से दोनों दलों में कटुता कायम है, जबकि, एक वर्ग मानता है कि यह नूरा-कुश्ती है, जो मुंबई महानगरपालिका के चुनाव तक जारी रहेगी।

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में शिवसेना कोटे से अनंत गीते मंत्री हैं जबकि महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस की सरकार में शिवसेना के करीब एक दर्जन मंत्री हैं। लगभग रोज की बात बन चुकी यह तकरार अब छीछालेदार स्तर पर उतर आई है। 'मनोगत' में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को 'शोले' के असरानी के तौर पर दिखाया गया तो शिवसेना कहां पीछे रहने वाली थी, उसने बीजेपी चीफ अमित शाह के 'गब्बर' वाले पोस्टगर जारी कर दिए। इस सबके बावजूद दोनों पार्टियों में से कोई भी गठबंधन के बारे में सख्त फैसला नहीं ले पा रही। विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी को पता है कि शिवसेना के सरकार के हटने या हटाने पर महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार अल्पमत में आ जाएगी, इसलिए वह आर-पार का फैसला लेने से डर रही है। खैर, अब देखना यह है कि आगे क्या होता है?

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