-आर.के. सिन्हा
सदस्य, राज्यसभा
अगर हम अपने ही देश में 100 सिंगापुर विकसित कर लें तो कैसा रहे। क्या यह मुमकिन है? हां, परंतु इसके लिए यह भी जरूरी है कि हम अब कमर कस लें। शुरुआत तो हो ही चुकी है। दरअसल देश में 100 स्मार्ट सिटीज का निर्माण करने की तैयारियां चालू हो गईं हैं। पहले हम अपने सपने छोटे रखते हैं। यानी 100 शहर ही सिंगापुर जैसे बना लेते हैं। बाद में सारे भारत को भी सिंगापुर की तर्ज पर विकसित करने के संबंध में भी सोच लिया जाएगा। यहां पर बार-बार सिंगापुर का उल्लेख इसलिए किया जा रहा है क्योंकि इस टापू राष्ट्र ने दुनिया के सामने मिसाल कायम की है। 55 लाख की आबादी वाला यह शहर या देश, आप जो भी चाहे कहें, इस वक्त सारी दुनिया में बेजोड़ है। कौन-सा होता है, बेजोड़ शहर? दरअसल बेहतर शहर होने के दो मापदंड माने जाते हैं। पहला, उस शहर में इंफ्रास्ट्रक्चर किस स्तर का है। दूसरा, वहां पर रोजगार के अवसर कितने उपलब्ध हैं? इन दोनों ही मोर्चों पर सिंगापुर 100 फीसद अंक लेता है। तो आखिरकार यह हम क्यों नहीं कर सकते?
एक बार आप जरा सिंगापुर घूम लें तो आपको समझ आ जाएगा कि किस तरह से किसी शहर को विकसित किया जाता है। सिंगापुर की सड़कें, सार्वजनिक यातायात व्यवस्था, पेयजल, बिजली बगैरह गजब है। बेशक यह सपना वहां पर सरकार और नागरिकों ने मिलकर ही पूरा किया है। भारत में भी 'मेक योर सिटी स्मार्ट' योजना चालू की गई है। इसका मकसद सड़कों, जंक्शन और पार्कों की डिजाइन तय करने में नागरिकों को शामिल करना है। केंद्र में मोदी सरकार के सत्तासीन होने का बाद शहरों के कायाकल्प करने के बारे में सोचा गया। इस लिहाज से 100 शहरों का चयन हुआ। इनमें वर्ल्ड क्लास ट्रांसपोर्ट सिस्टम, 24 घंटे बिजली-पानी की सप्लाई, सरकारी कामों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम, एक जगह से दूसरे जगह तक 45 मिनट में जाने की व्यवस्था, स्मार्ट एजुकेशन, एन्वायर्नमेंट फ्रैंडली, बेहतर सिक्युरिटी और एंटरटेनमेंट की फैसिलिटीज का उपलब्ध रहने का मानदंड बनाया गया है।
आपको याद होगा कि स्मार्ट सिटी बनाने के लिए सबसे पहले मोदी सरकार के पहले बजट में घोषणा की गई थी। बजट में 7060 करोड़ रुपए का फंड भी अलॉट किया गया था, लेकिन 100 शहरों को सिंगापुर बनाने के सपने को साकार करने के लिए हमें भी सुधरना होगा। क्या हम अपनी नदियों में कूड़ा-करकट नहीं डालेंगे? सिंगापुर शहर से गुजरने वाली नदी सिंगपुरा नदी में गंदगी फैलाने वाले पर 15 हजार डॉलर का जुर्माना लगता है। क्या हमें भी इस तरह के कठोर दंड की व्यवस्था नहीं करनी चाहिए? सिंगापुर शहर में बहने वाली नदी की सफाई में सरकार को दस साल लगे। अब वहां के पानी को आप पी सकते हैं। उसके आसपास सैकड़ों रेस्तरां खोले गए हैं। वहां पर बैठकर पर्यटक मजा करते हैं। वहां का मंजर अद्भुत होता है। यही पर्यटक सिंगापुर को मोटी विदेशी मुद्रा कमा कर देते हैं, जिस पर सिंगापुर की पूरी की पूरी अर्थव्यवस्था ही टिकी हुई है, लेकिन हमने अपनी नदियों का क्या हाल किया हुआ है? पता नहीं कब से विजयदशमी पर हजारों-लाखों दुर्गा की प्रतिमाएं नदियों में विसर्जित की जाती रही हैं। गणेशोत्सव से लेकर दुर्गा पूजा और काली पूजा तक लाखों मूर्तियों को नदियों और समुद्र में विसर्जित किया जा रहा है। अब ये किसी को बताने की जरूरत नहीं है कि इन मूर्तियों को नदियों में विसर्जित करके हम इन्हें और कितना गंदा कर रहे हैं। देखिए, दोनों बातें तो एक साथ नहीं चल सकती। एक तरफ हम नदियों को साफ करने का संकल्प लें, दूसरी ओर इन्हें किसी न किसी बहाने भिन्न-भिन्न तरीकों से गंदा करते रहें। इनके नदी और समद्र में मिलने से इनका जल कितना प्रदूषित होता है, ये अब साफ है। इससे जलजीवों का जीवन भी खतरे में पड़ गया है और डॉल्फिन, घड़ियाल, सोंस, कछुए आदि तो समाप्तप्राय से हो गए हैं।
नदियों में विसर्जित करने से गंगा, यमुना और दूसरी नदियों को हम पूरी तरह से नष्ट कर रहे हैं। यमुना तो अब एक बदबूदार नाले में तब्दील हो चुकी है। एक बात समझ लेनी चाहिए कि नदियों को साफ करना सिर्फ सरकारों का ही दायित्व नहीं हो सकता, इस कार्य में समाज की भागेदारी भी जरूरी है। इसलिए अब समाज के जाग जाने का वक्त भी आ गया है। देखा जाए तो इसमें अब काफी देरी हो चुकी है। अब और विलंब नहीं होना चाहिए।
खैर स्मार्ट सिटीज में होंगी चौड़ी शानदार सड़कें, शिक्षा और स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाएं, साइबर-कनेक्टिविटी और ई-गवर्नेंस की सुविधाएं, हाईटेक ट्रांसपोर्ट नेटवर्क के साथ-साथ कचरा निबटान का 100 फीसदी इंतजाम। पर, क्या कोई शहर इन्हीं सुविधाओं के दम पर स्मार्ट सिटी होने का दावा कर सकता है? बेहतर होगा कि इन शहरों में उन लाखों लोगों के लिए भी स्पेस हो जो कम दामों में अपनी छत का सपना देख रहे हैं।
अब जबकि बेहद महत्वाकांक्षी योजना स्मार्ट सिटीज पर काम चालू हो गया है, तो कायदे से नए सिरे से विकसित किए जाने वाले शहरों में सस्ते घरों को बनाने पर खास फोकस रखने की जरूरत है। दुनिया उम्मीद पर कायम है तो यह भी माना जाना चाहिए कि आने वाले वर्षों में हमारे देश में भी 100 शहर सिंगापुर की तर्ज पर विकसित हो जाएंगे और प्रति वर्ष करोड़ों की संख्या में पर्यटकों का आगमन भारत को भी सिंगापुर की तरह आर्थिक रूप से मजबूत करेगा।