24 Apr 2024, 15:37:19 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-वीना नागपाल

मध्य प्रदेश में एक ‘प्रसन्नता ’ का मंत्रालय बनाने की घोषणा हुई है। इससे पहले यूएई में ऐसा ही मंत्रालय बनाया जा चुका है जिसकी मंत्री एक महिला है। अभी इन बनाए गए मंत्रालयों का खाका समझ में नहीं आया है? यह मंत्रालय क्या-क्या करेगा? इसकी नीति क्या होगी? यह ऐसे क्या कार्यक्रम आयोजित करेगा कि उनमें शिरकत कर लोग विशेषकर महिलाएं खुश रहने लग जाएंगी, क्योंकि महिलाएं ही अधिकांशत: खुश नहीं रह पातीं। उनके लिए कदम-कदम पर इतनी दुश्वारियां हैं कि लगता नहीं है कि वह खुश रह सकती हैं। क्या कोई हास्य योग होगा या इसी तरह के खेल व व्यायाम वह करेंगी कि भीतर से उनकी खुशी फूट जाए। यह आसान तो  नहीं है।

अभी स्थितियां प परिस्थितियां तो तत्काल दिखाई नहीं पड़ रही हैं कि किशोरियां, युवतियां तथा वयस्क महिलाएं खिलखिलाएं और उनके भीतर प्रसन्नता व आनंद के फव्वारे फूटने लगें। वह तो कदम-कदम पर डरी-सहमी  रहती हैं। स्वयं को कहीं आते-जाते समय असुरक्षित महसूस करती हैं। युवकों और पुरुषों के एकतरफा प्रेम के अधिकार जताने से परेशान हैं। अभी भी भोपाल  की एक लेक्चरार युवती पर तेजाब फेंक दिया गया, क्योंकि वह एक शादीशुदा बच्चों वाले पुरुष के प्रेम को स्वीकार नहीं कर रही थी। वह स्वीकार करती भी क्यों? क्या उस युवती का अपनी कोई सोच और निर्णय नहीं था। ऐसे में कोई महिला व युवती कैसे खुश रह सकती है। वह पल-पल इस अप्रिय स्थिति को सहन करती रहती है कि उसके परिवार का ही कोई पुरुष या उसके घर में आने वाला परिचित मौका पाते ही उसे भेड़िए की तरह दबोच ले और उसकी निजता को तार-तार कर दे। उसे तो दहशत में जीना पड़ता है। प्रसन्नता और खुशी का उससे दूर-दूर का तक वास्ता नहीं है। यह तो होता ही है इसके अतिरिक्त वह लिंग भेद की असमानता भरे व्यवहार को सहन करती रहती है। उस पर तरह-तरह की पाबंदियां हैं। वह अपनी इच्छा से कहीं आ-जा नहीं सकती। उसे अपने प्रत्येक पल की जानकारी अपने परिवार को देना पड़ती है। वह दिन में कई बार परिवार की अदालत में खड़ी होकर बताती रहती है कि वह यहां क्यों गई? वहां क्यों गई? वह किससे मिली? कौन उसकी सहेली है? उस सहेली के घर में कौन-कौन है। वह निरंतर एक अविश्वास के माहौल को जीती है। क्या वह खुश रहती है? इस माहौल में आनंदित रहती है। ठहाके लगाना तो दूर क्या वह मुस्करा भी पाती है? उसके लिए ऐसा मंत्रालय क्या योजना बनाकर उसे लागू करेगा कि वह खुलकर हंस पाए। स्थिति तो यहां तक कि अपने जीवनसाथी के चुनाव में भी एक मूक सहभागी है। उसका स्वतंत्र निर्णय अब भी मान्य नहीं किया जाता। यदि उसने ऐसा किया तो परिवार के सम्मान के नाम पर उसे नृशंसता से उसके परिवार वाले मार देते हैं। उसके पिता-भाई और यहां तक कि जन्म देने वाली ‘मां’ भी तो इसमें शामिल हो जाती है और उसकी आॅनर किलिंग हो जाती है। ‘मां’ की तो उसके प्रति कैसी सोच होती है इसकी बात न ही करें तो अच्छा होगा। कन्या शिशु भू्रण हत्या करने वाली और अपनी नवजात बिटिया को नाली और कंटीली झाड़ियों में फेंकने वाली मां उसे खुशी का एक कण भी नहीं देती। बाल विवाह के अंतर्गत ब्याही जाने वाली लड़की  के लिए क्या आनंद और क्या सुख होता है? यह ‘‘प्रसन्नता’’ के शीर्षक से बनाया जाने वाला मंत्रालय जब तक इस आधी आबादी का दु:ख, गम, असुरक्षा, भय, चिंता नहीं मिटाएगा तब तक उसके बनाने का मकसद अधूरा ही रहेगा।

[email protected]

  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »