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अपने भीतर झांकने की तकनीक है योग

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 21 2016 10:31AM | Updated Date: Jun 21 2016 10:31AM
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-सद्गुरु जग्गी वासुदेव
योग व आध्यात्मिक गुरु


संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानवता के इतिहास के एक नाजुक दौर में 21 जून को अंतराष्ट्रीय योग दिवस के तौर पर घोषित किया है। यह घोषणा, शरीर को तोड़मरोड़ कर की जाने कसरत करने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी, से ज्यादा महत्वपूर्ण है। संयुक्त राष्ट्र संघ के इतिहास में योग दिवस पर पहली बार दुनिया के 177 देशों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया। संयुक्त राष्ट्र संघ में इससे पहले कभी भी किसी प्रस्ताव को इतना भारी समर्थन नहीं मिला। हम इस दिन मानवता की खुशहाली खोजने की दिशा बदलना चाहते हैं। हम नहीं चाहते कि लोग अपने कल्याण या बेहतरी की खोज में बाहर, ऊपर या नीचे देखें, बल्कि हम चाहते हैं कि वे अपने भीतर झांकें। योग एक तकनीक है, एक ऐसा साधन जिससे लोग अपने भीतर की ओर मुड़कर अपना कल्याण खुद रच सकते हैं। आपका कल्याण कहीं और से नहीं आएगा, या तो आप इसे अपने भीतर तैयार करते हैं या नहीं करते। योग का यही मूल आधार है।

हमें लोगों को मूल रूप से यह समझाना होगा कि हर व्यक्ति अपना कल्याण खुद ही कर सकता है, इसके लिए उसे किसी दूसरे सहारे या शक्ति की जरूरत नहीं है। जिस तरह से इंसान के बाहरी कल्याण के लिए विज्ञान और तकनीक मौजूद है, उसी तरह से उसके भीतर कल्याण के लिए भी विज्ञान और तकनीक है। इस विज्ञान और तकनीक ने भारत की इस धरती पर बेहद प्रबल अभिव्यक्ति पाई है। भारत के लिए यह एक अनूठा क्षण है, कि आज दुनिया को देने के लिए हमारे पास ऐसी चीज मौजूद है, जिसकी दुनिया के लिए जबरदस्त अहमियत है। योग को लेकर हम दुनिया की तमाम सरकारों और बड़े व्यवसायियों के संपर्क में हैं और वे सभी इस संभावना की ओर बड़े गौर से देख रहे हैं। दरअसल, हम लोगों का हमेशा से विश्वास रहा है कि अगर समृद्धि आती है तो लोग अच्छे से रहेंगे, लेकिन आज अगर आप देखें तो दुनिया में सबसे समृद्ध देशों के लोग ही सबसे ज्यादा बीमार और अस्वस्थ दिखाई देते हैं। अब अमेरिका का उदाहरण ही ले लीजिए। वहां पोषण के इतने विकल्प होने के बावजूद लोग हर साल तीस खरब डॉलर सिर्फ सेहत की देखरेख व चिकित्सा पर खर्च कर देते हैं। इस तरह का खर्च किसी भी देश को डुबो सकता है और अफसोस की बात है कि भारत तेजी से उसी दिशा में आगे बढ़ रहा है। जैसे-जैसे देश में आर्थिक बेहतरी आ रही है, वैसे वैसे हमारा देश दुनिया में मधुमेह यानी डायबिटीज की राजधानी बनने की ओर अग्रसर है और अपने यहां तरह तरह की बीमारियां जन्म ले रही हैं। इसे ध्यान में रखते हुए, हरेक की जिदंगी में योग का प्रवेश कराया जा रहा है, जो सबकी सेहत और कल्याण का एक सरल, मगर सशक्त जरिया बनेगा।

योग का महत्व ही यही है कि अगर एक बार आपने योग अभ्यास को सीख लिया तो फिर आपको इसे करने के लिए किसी दूसरे व्यक्ति की मदद, किसी खास जगह या किसी उपकरण की जरूरत नहीं रह जाएगी। तब आप इसे जब और जहां करना चाहेंगे, हो जाएगा। मानव के संपूर्ण कल्याण के लिए योग विज्ञान एक जबरदस्त उपहार है। यह अपने आप में शानदार है कि तमाम राष्ट्राध्यक्ष पहली बार योग के बारे में चर्चा कर रहे हैं। सरकारें इसके प्रसार-प्रचार में पैसे लगा रही हैं, क्योंकि आज न सिर्फ स्वास्थ्य की देखरेख संबंधी पूरा ढांचा फेल हो गया है, बल्कि लोगों को खुशी देने वाले और उनके लिए कल्याणकारी तरीके पूरी तरह से फेल हो गए हैं। आज हर व्यक्ति यह चर्चा कर रहा है कि उनके जीवन में आनंद व प्रसन्नता का कितना हिस्सा है। इसे पाने के लिए कई चीजें की जा रही हैं। इसे लेकर कई तरह के रिकॉर्ड टूट रहे हैं, हजारों जगहों पर एक साथ योग से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है। पूरी दुनिया में भारत सरकार अपने दूतावासों व उच्चायोगों के जरिए लोगों को योग सिखा रही है। यह अपने आप में एक अद्भुत विकास है, क्योंकि इसमें हम कल्याण को किसी विश्वास या संप्रदाय अथवा अचानक घटने वाली किसी घटना के तौर पर न देखकर एक विज्ञान के तौर पर देख रहे हैं। हमने अपने कल्याण के लिए किसी ग्रह या नक्षत्रों की ओर नहीं देख रहे हैं। इसकी बजाय हम सजगतापूर्वक अपने कल्याण को पाने की वैज्ञानिक प्रक्रिया को देख रहे हैं। अमेरिका योग के बारे में चर्चा कर रहा है, भारत के प्रधानमंत्री योग के बारे में चर्चा कर रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति योग सीखने में अपनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। पिछले कई सौ सालों में पहली बार दुनिया के राष्ट्राध्यक्षों ने अर्थव्यवस्था, सेना, सुरक्षा जैसे दूसरे पहलुओं को छोड़कर व्यक्ति के भीतरी कल्याण के बारे में बात करना शुरू किया है।
पिछले कई सौ सालों में पहली बार दुनिया के राष्ट्राध्यक्षों ने अर्थव्यवस्था, सेना, सुरक्षा जैसे दूसरे पहलुओं को छोड़कर व्यक्ति के भीतरी कल्याण के बारे में बात करना शुरू किया है। यह सब अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन की घोषणा का नतीजा है। हमें लोगों को मूल रूप से यह समझाना होगा कि हर व्यक्ति अपना कल्याण खुद ही कर सकता है, इसके लिए उसे किसी दूसरे सहारे या शक्ति की जरूरत नहीं है। मानवीय चेतना के विकास में एक सक्रिय भागीदारी अपने आप में एक किस्मत की बात है, और मैं चाहता हूं कि आप सभी इस भाव को समझें। दुनिया को लेकर मेरा नजरिया और दृष्टिकोण इसे पूरी तरह से भीतर की ओर मोड़ने का है। आप भी इसका हिस्सा बनें।
 

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