16 Apr 2024, 10:39:05 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-वीना नागपाल

वह उच्च मध्यम वर्गीय परिवार है। विवाह योग्य बेटी है और उसके लिए रिश्ते की तलाश है। बेटी उच्च शिक्षित है, उसकी डिग्री बताने की जरूरत नहीं है। आईआईटी, आईआईएम या अन्य किसी सेंगमेंट की उच्च डिग्री से आजकल कई युवतियां संपन्न हैं। उस परिवार की वह बेटी एक उच्च संस्थान में पदाधिकारी है, वह अपने कार्यस्थल पर एक दक्ष व योग्य अधिकारी मानी जाती है पर, अब प्रश्न उसके विवाह को लेकर है।

उसके लिए जो भी रिश्ते ढूंढे जा रहे हैं वह पारंपरिक कसौटी पर कसकर तो नहीं देखे जा सकते। उस युवती की अपनी आर्थिक आत्मनिर्भरता है। इसके साथ ही उसके भविष्य में आगे बढ़ने के अवसर भी बहुत हैं। उसके लिए तो ऐसा वर तलाशा जाना चाहिए जो उसे, उसके भविष्य को स्वीकारे तथा इस तथ्य को मान्य करे कि वह भी कामकाजी है, उसका भी एक कॅरियर है और उसमें उसके जीवनसाथी का सहयोग मिलना ही चाहिए। नहीं तो होगा यह कि वह दोहरी जिम्मेदारी उठाते-उठाते बच्चे होने के बाद या उससे पहले भी अपना कार्य छोड़ देगी। एक सर्वेक्षण में पाया गया कि बहुत बड़ी संख्या में भारतीय युवतियां तथा महिलाएं अपनी अच्छी खासी जॉब छोड़कर घर बैठ जाती हैं और इसके कारण वह मानसिक अशांति से घिरी रहती हैं।

ऐसी स्थिति में क्या किया जाए? इसका बहुत सीधा और सरल समाधान यह है कि अपना भावी पति चुनते समय युवतियां यह अवश्य जान व समझ लें कि उसके विचार उनके कॅरियर को लेकर क्या हैं? क्या वह यह समझ पाएंगे कि उनके कार्यकाल के उत्तरदायित्वों को युवती को भी ईमानदारी से निभाना है और इसलिए पति का सहयोग मिलना बहुत आवश्यक है। पहले भावी वर के लिए उसका ‘वेल सेटल्ड’ होने का विचार ही मुख्य होता था। पर आजकल अधिकांश युवतियां स्वयं ही वेल सेटल्ड हैं इसलिए उन्हें ऐसे पति के साथ की, सहयोग की जरूरत है जो उनके घर व बाहर के उत्तरदायित्वों का साझेदार हो। इसलिए विवाह से पूर्व जब वर की तलाश की जाए तो यह जान लेना भी आवश्यक होगा कि वह किसी महिला के बाहर जाकर काम करने के विचार को कितनी अहमियत देता है? यदि उसके परिवार में महिलाएं जैसे मां या बहन कामकाजी हों तो वह इस बात को बेहतर तरीके से समझ सकता है कि महिलाओं को दोहरी जिम्मेदारी उठाने में अपने साथी के सहयोग की बहुत आवश्यकता होती है। इसके साथ ही वह यह भी समझ पाता है कि महिलाओं के लिए भी एक कॅरियर होता है और इसे पाने के लिए या इसमें बने रहने के लिए उन्हें अपनी योग्यता व दक्षता पूरी तरह  दिखाना होती है। ऐसे में परिवार के सहयोग की पृष्ठभूमि उन्हें समझ में आती है और वह भी अपनी पत्नी को सद्भावना से पूरा-पूरा सहयोग दे पाते हैं।

जीवनसाथी की तलाश से अब नए कॉन्सेप्ट जुड़ गए हैं। अब न तो खानदान की पड़ताल करने की बात रही है और न ही भावी वर की आर्थिक कमाई को लेकर जांच की जाती है। जब इतनी उच्च शिक्षित और आर्थिक कमाई करने वाली युवती है तो उसके लिए वर भी उसी सेगमेंट में तलाश किया जाता है और मिल भी जाता है पर, अब ऐसी युवतियों की अपने कॅरियर को लेकर कुछ महत्वाकांक्षाएं व विचार होते हैं। उन्हें विवाह के बाद पड़ने वाली जिम्मेदारियों के कारण धराशायी नहीं किया जा सकता। पार्टनर के हाथ बंटाने और सहयोग देने की बात व विचार को जान व समझकर अब यूं रिश्ता बनाया जाए।

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