-वीना नागपाल
स्वाति महाडिक के पति कर्नल संतोष महाडिक आतंकवादियों और घुसपैठियों से लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गए। सारे देश ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। ऐसे जांबाज वीरों पर सारा देश गर्व करता है, पर उनकी पत्नी की अपने पति को दी जाने वाली श्रद्धांजलि कुछ और ही भावनाओं से भरी हुई थी। चिता की अग्नि के समक्ष खड़ी स्वाति ने उसकी ज्वालाओं को साक्षी मानकर यह निर्णय लिया कि वह भी सेना में जाएगी और आतंकवादियों से लड़ेगी। उन्होंने अपना निर्णय परिवार को बताया। परिवार ने उनका साथ दिया। उन्होंने अपने दोनों बच्चों को अच्छा शिक्षा दिलवाने के लिए बोर्डिंग स्कूल में डाला और अपने निश्चिय को पूरा करने के लिए निकल पड़ी।
स्वाति सेना के अफसरों के समक्ष प्रस्तुत होकर अपना लक्ष्य बताया और उनसे सेना की ट्रेनिंग लेने की अनुमति मांगी। सैन्य अधिकारियों ने उनको यह अनुमति दे दी। स्वाति सर्विस सिलेक्शन बोर्ड की परीक्षा पास की और चैन्नई के आॅफिसर ट्रेनिंग एकेडमी में ट्रेनिंग ली। इसके बाद भी इंटरव्यू में बुलाए जाने पर भी वह अपनी सभी प्रस्तुतियों में खरी-उतरी। आज वह सेना में एक अफसर के रूप में पूरी तरह तैयार है और उससे संबंधित सभी ड्यूटीज को पूरी करने के लिए तत्पर हैं।
स्वाति महाडिक का जिक्र भारतीय महिला के उस चरित्र का वर्णन है, जिसमें वह कठिन तथा आपात स्थिति का कितने साहस से सामना करती हैं। उनमें एक चिंगारी हमेशा मौजूद होती है। जो समय आने पर ज्वाला बन जाती है। स्वाति महादिक के बारे में कहना इसलिए भी आवश्यक है कि वह आज की भारतीय नारी का प्रतिनिधित्व करती है। जिसमें वह अब वह सब कुछ करने के लिए तैयार व योग्य है, जिनके लिए उस पर निरीहता एक बेचारगी का लेबल लगाकर उसे एक ओर कर दिया जाता था। दरअसल अभी भी भारतीय महिला के इस नए रूप का स्वरूप और संदर्भ समझना शेष है। अभी भी हो यह रहा कि उसके सदियों पुराने दबे-घुटे रूप को लेकर ही उसके साथ सामान्यतया व्यवहार किया जाता है। पुरुष ही इसे समझ अब तक समझ नहीं पा रहा और वह इसी कारण उससे दुर्व्यवहार और अशिष्टता करता है। पर, यह याद रखिए कि ऐसी दुर्घटनाएं अधिक समय तक नहीं होने वाली। इनका भी सामना कर महिलाएं ऐसा मुंह-तोड़ जवाब दे देंगी कि ऐसी मानसिकता वाला पुरुष किसी कोने में मुंह छिपाता फिरेगा।
स्वाति महाडिक को बधाई व शुभकामनाएं ऐसी महिलाओं का पूरा वर्ग आज के भारतीय समाज में मौजूद हो गया है जो साहस व जांबाजी के कारनामों को करने के लिए तैयार है। यदि यकीन नहीं आता तो दो-चार दिन पहले प्रकाशित वह चित्र देख लें, जिसमें पहली बार एक युवती अफसर बनकर एअरफोर्स की अफसरों का पासिंग आउट परेड का नेतृत्व कर रही हैं, जिसमें पुरुष व महिला दोनों अफसरों की पासिंग आऊट परेड का नेतृत्व कर रही हैं, जिसमें पुरुष व महिला दोनों अफसर उसकी कमांड को फॉलो कर रहे हैं। स्वाति सहित ऐसी सारी महिलाएं समाज का गर्व और शान हैं जिनसे जब शत्रु डरेंगे तो भारतीय महिला का एक नया रूप प्रस्तुत होगा। संदर्भ में कहें तो भारतीय महिलाओं का इतिहास सीता, सावित्री, द्रोपदी, अहिल्या, अनसुया, चांद बीबी, लक्ष्मीबाई का रहा है तब स्वाति इसकी कड़ी में शामिल हैं।
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