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नरेंद्र मोदी में है दम, दुनिया में चमकेंगे हम

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 10 2016 10:20AM | Updated Date: Jun 10 2016 10:20AM
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-कैलाश विजयवर्गीय
लेखक भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं


भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त अधिवेशन में तालियों की गड़गड़ाहट के बीच भारत-अमेरिका संबंध, अर्थव्यवस्था, आतंकवाद, व्यापार, शांति, सुरक्षा सहित कई मुद्दों पर अपनी बात रखी। भारत की जनता ने भी अमेरिका में मोदी के स्वागत और भाषण की जमकर सराहना की है। इधर, हम सब सो गए और उधर, मोदी अमेरिका से मैक्सिको रवाना हो गए। सुबह जागे तो मोदी का मैक्सिको में भव्य स्वागत हो रहा था। स्विट्जरलैंड और अमेरिका के बाद न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप का भारत को सदस्य बनाने के लिए मैक्सिको ने भी समर्थन किया है। मोदीजी पांच देशों की सफल यात्रा के बाद भारत के लिए रवाना भी हो गए हैं। आप जब यह लेख पढ़ रहे होंगे तो हमारे प्रधानमंत्री भारत वापस आ चुके होंगे। पता ही नहीं चलता है कि हमारे प्रधानमंत्री कब सोते हैं? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब भी देखो देश को तरक्की की राह पर आगे ले जाने के लिए काम करते ही दिखाई देते हैं, लगातार काम करना और दूसरों से कराना, यही उनकी सफलता का मूलमंत्र है।

नरेंद्र मोदी के पांच देशों की यात्राओं से कई शानदार उपलब्धियां हासिल हुई हैं। पांच देशों की यात्रा के दौरान स्विट्जरलैंड ने भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह यानी न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (एनएसजी) में शामिल करने का समर्थन किया है। एनएसजी की सदस्यता के लिए स्विट्जरलैंड का समर्थन मिलने में भारत का पलड़ा भारी हुआ है। एनएसजी की सदस्यता के लिए पाकिस्तान के विरोध के बावजूद चीन के रुख में नरमी आई है। इस मुद्दे पर जापान ने भी भारत का साथ दिया है। उनकी अमेरिका यात्रा के पहले दिन ही भारत को एक और बड़ी सफलता मिली है। मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (एमटीसीआर) के सदस्य भारत को इस ग्रुप में शामिल करने को राजी हो गए हैं।  34 देशों वाले इस ग्रुप में भारत को शामिल करने पर किसी ने विरोध नहीं जताया। गौरतलब है कि हॉलैंड के रॉटरडम में पांच से नौ अक्टूबर 2015 के बीच 29वें पूर्ण अधिवेशन में भारत की सदस्यता के आवेदन पर विचार करके लगभग आम सहमति बन गई थी। 34 सदस्यों में से केवल इटली ने इसका समर्थन नहीं किया था। अब जल्दी ही इस बारे में घोषणा कर दी जाएगी।

भारत की इन उपलब्धियों के साथ ही अमेरिका से कई बड़े समझौते हुए हैं। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी का यह चौथा अमेरिका दौरा है। उनकी सातवीं बार अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा से मुलाकात हुई। मोदी-ओबामा की मुलाकातों ने विश्व का पूरा परिदृश्य ही बदल दिया है। दोनों देश भारत में छह न्यूक्लियर रिएक्टर बनाने पर राजी हुए हैं। इसे करीब एक दशक से अटकी यूएस-भारत सिविल न्यूक्लियर डील के पूरे होने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। भारत के प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में ओबामा को अपना परम मित्र बताया। परमाणु सुरक्षा, आतंकवाद, वैश्विक तापवृद्धि और पेरिस में जलवायु समझौते के मुद्दे पर दोनों देश एक साथ आए हैं। दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के साथ ही दोस्ताना संबंध बनाने की भी उन्होंने बात कही। अमेरिका ने जिस गर्मजोशी से मोदी की अगवानी की है, उससे यह साबित होता है कि उनमें दुनिया को बदलने का दम है।

मोदी के अमेरिका की यात्रा से सामरिक और आर्थिक सफलताओं के साथ ही सांस्कृतिक मोर्चे पर भी उपलब्धि हासिल हुई है। अमेरिका ने भारत को 200 से ज्यादा सांस्कृतिक कलाकृतियां लौटा दी हैं। इन कलाकृतियों की कीमत लगभग 10 करोड़ डॉलर है। प्रधानमंत्री ने कलाकृतियां लौटाने के लिए आयोजित समारोह में यह कर कि कुछ लोगों के लिए इन कलाकृतियों की कीमत मुद्रा के रूप में हो सकती है, लेकिन हमारे लिए यह इससे कहीं ज्यादा है। यह हमारी संस्कृति और विरासत का हिस्सा है। सभी का दिल जीत लिया। ओबामा ने भी कहा कि मोदी ने अमेरिका आकर केवल भारतीयों का ही दिल नहीं जीता है, बल्कि अमेरिकियों के मन पर भी छा गए हैं। भारत को वापस मिली कलाकृतियों को भारत के संपन्न धार्मिक स्थलों से लूटा गया था। इनमें से कई कलाकृतियां तो 2000 साल पुरानी हैं। इन्हें भारत के सबसे संपन्न धार्मिक स्थलों से लूटा गया था। इनमें संत माणिक कविचावकर की एक मूर्ति चोल काल की है। इस मूर्ति को चेन्नई के सिवान मंदिर से चुराया गया था। इसकी कीमत 15 लाख डॉलर है। एक हजार साल पुरानी गणेश की कांसे की मूर्ति भी वापस मिली है। इन तमाम उपलब्धियों से तो अभी सफलताओं का श्रीगणेश हुआ है। अब दुनिया को मोदी के इस दावे में दम लग रहा है कि यह शताब्दी हमारी है।
 

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