29 Mar 2024, 13:11:59 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
-विश्लेषक


सड़कें देश के विकास की धमनियां होती हैं। सड़क निर्माण का तंत्र, अधिकारी, कर्मचारी सभी वही हैं, लेकिन सरकार बदलने का असर इस क्षेत्र में साफ देखा जा सकता है। कांग्रेस के नेता वर्तमान सरकार पर चाहे जितना हमला बोलें, लेकिन सड़क निर्माण की गति पर वे खामोश हो जाते हैं। वह यह नहीं बताना चाहते कि संप्रग सरकार के मुकाबले अब छह-सात गुना अधिक सड़कों का निर्माण कैसे होने लगा। भूतल परिवहन मंत्री की कार्यकुशलता से यह लक्ष्य प्राप्त हुआ है। भविष्य में प्रतिदिन औसत तीस किमी सड़क निर्माण की उनकी योजना है। पहले यह  तीन-चार किमी. से आगे बढ़ने का नाम नहीं लेता था। गडकरी ने पर्यावरण सुधार हेतु राजमार्गों के दोनों ओर वृक्षारोपण का अभियान भी शुरू किया है। गडकरी ने अस्सी लंबित योजनाओं पर काम शुरू कराया और उन बाधाओं को दूर किया, जिसके कारण सड़क निर्माण में विलंब होता था।  इस कारण पौने चार लाख करोड़ की चार लाख से अधिक योजनाएं अटकी पड़ी थीं। पर्यावरण और रेलमंत्रालय से तालमेल बैठाकर अनेक बाधाओं को दूर किया गया । रेलवे बोर्ड ने आरओबी और आरयूबी के सभी संभव डिजाइनों के साथ पोर्टल तैयार किया। इससे आॅनलाइन मंजूरी तीन-चार माह में संभव हो गई। संप्रग सरकार में यह अवधि तीन चार वर्ष थी।

वास्तव में ऊर्जा क्षेत्र में जन सहयोग की जरूरत है। मोदी की सरकार ने ऊर्जा के क्षेत्र में भी बड़े प्रयास किए, लेकिन बिजली की किल्लत से निजात नहीं मिल पाई। हमारे देश में बिजली की जितनी जरूरत है अभी उतनी बिजली नहीं उत्पादित हो रही है। इसलिए बिजली की खपत कम करने के लिए जन सहयोग की जरूरत है। बिजली राज्यों का भी विषय है। ऐसे में बिजली की समस्या के समाधान में उनके प्रयासों का विशेष महत्व है। फिर भी केंद्रीय बिजली विभाग आज यह घोषणा करने की स्थिति में है कि उसके पास पर्याप्त बिजली है। राज्य सरकारें नियमानुसार जितनी बिजली की मांग करेंगी, उसकी आपूर्ति की जाएगी। दो वर्ष में कोयला उत्पादन 7.4 करोड़ टन व बिजली उत्पादन क्षमता 46545 मेगावॉट बिजली उत्पादन है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर जिस भारत पर्व समारोह की शुरुआत की, उसके तहत एक प्रकार से सभी मंत्रियों को अपना रिपोर्ट कार्ड सार्वजनिक करने का निर्देश दिया था। यह केवल उपलब्धियों का बखान नहीं करना मंत्रियों की जवाबदेही भी इसके माध्यम से सुनिश्चित की गई थी। इसके अलावा इस माध्यम से अनेक योजनाओं की जानकारी आमजन तक पहुंचाने का उद्देश्य निर्धारित किया गया था, जिससे वह योजनाओं का लाभ उठा सके। दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना और इंटीग्रेटेड पॉवर डेवलपमेंट स्कीम के तहत विद्युतीकरण को बहुत गति दी गई। इसके अंतर्गत उत्तरप्रदेश सरकार को मिले दस हजार करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च ही नहीं की गई। ऐसे में कहा जा सकता है कि बेहतर व तेज कार्य करने वाली राज्य सरकारें ही अधिक लाभ उठा सकती है। ट्रांसमिशन नेटवर्क में सुधार भी राज्यों का दायित्व है। केंद्र की नीति से कोयला भी रिकार्ड मात्रा में निकाला जा रहा है। उत्पादन न गिरे, इसके लिए पर्याप्त मात्रा में बिजलीधरों को कोयला उपलब्ध कराया जा रहा है। दो वर्ष में अठारह हजार से अधिक गांवों का विद्युतीकरण हुआ।

गौरतलब है कि संप्रग सरकार स्पेक्ट्रम घोटाले में बहुत बदनाम हुई थी लेकिन मोदी सरकार ने इसमें पारदर्शिता का पालन कड़ाई से किया। यही कारण था कि एक लाख दस हजार करोड़ रुपए के आवंटन को पूरी ईमानदारी से सम्पन्न कराया गया। संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रधानमंत्री के निर्देशों पर बखूबी अमल किया। नरेंद्र मोदी ने पहले ही साफ कर दिया था कि संप्रग काल की गलत नीति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसी प्रकार बीएसएनएल को आठ हजार करोड़ के घाटे से छह सौ बहत्तर करोड़ के संचालित मुनाफे में ले आना भी बड़ी उपलब्धि है। उनके विभाग ने भविष्य में आॅप्टिकल फाइबर को दो लाख से अधिक ग्राम पंचायतों तक ले जाने की योजना बनाई।

उद्योग-उपक्रम में मेक इन इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया, आदि नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजनाएं रही हैं। वाणिज्य व उद्योग मंत्री निर्मला सीतारामण ने इस दिशा में मोदी के मंसूबों को आगे बढ़ाने में योगदान किया। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में करीब चालीस प्रतिशत की वृद्धि को उपलब्धि माना जा सकता है। आज अनेक देश मेक इन इंडिया में साझीदार बन रहे हैं, लेकिन इसका वास्तविक लाभ तभी मिलेगा जब राज्य सरकारें भी इसके लिए तैयार होंगी। उन्हें अपने यहां निवेश के अनुकूल सुविधाएं और माहौल बनाना होगा। त्वरित फैसलों के लिए ईमानदार व पारदर्शी सिंगल विडो सिस्टम लागू करना होगा। वैश्विक अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल और अनिश्चितता के बावजूद भारत ने साढ़े सात प्रतिशत से अधिक की विकास दर हासिल की है। आर्थिक वृद्धि मजबूत है। इसीलिए आज विश्व के निवेशकों के लिए भारत में महत्वपूर्ण अवसर उपलब्ध हैं। औद्योगिक क्षेत्र में सुधार प्रक्रिया का भी अनुकूल प्रभाव हो रहा है। सरकार का ध्यान केवल बड़े उद्योगों तक सीमित नहीं है, वरन् लघु और सूक्ष्म उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए प्रभावी योजना बनाई गई है। मुद्रा बैंक और कौशल विकास के द्वारा करोड़ों युवकों को सूक्ष्म, लघु उद्योग लगाने की प्रेरणा दी जा रही है। लघु व सूक्ष्म उद्योग मंत्री कलराज मिश्र इस संबंध में देश के उद्योगपतियों तथा राज्य सरकारों के साथ तालमेल स्थापित कर योजना को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं।
 

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